जम्मू-कश्मीर में नए वोटरों को लेकर विवाद, सरकार ने जारी की सफाई

श्रीनगर ,

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव को लेकर हलचल तेज हो गई है. चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट पर काम करना शुरू कर दिया है. लेकिन चुनाव आयोग के नए वोटर शामिल होने वाली बात पर विवाद खड़ा हो गया है. हालांकि इस मामले में अब सरकार की ओर से सफाई दी गई है. दरअसल, आयोग ने कहा था कि इस बार वोटर लिस्ट में 20 से 25 लाख नए वोटर शामिल हो सकते हैं. क्योंकि अब जम्मू-कश्मीर में रह रहे बाहरी लोगों को भी वोटिंग का अधिकार मिल गया है.

क्या कहा है DIPR ने
नए वोटरों को लेकर मचे घमासान के बाद जम्मू-कश्मीर के सूचना और जनसंपर्क निदेशालय (DIPR) ने वोटर लिस्ट के संशोधन पर एक स्पष्टीकरण जारी किया है. साथ ही कहा कि कश्मीरी प्रवासियों के उनके मूल निर्वाचन क्षेत्रों की वोटर लिस्ट में नामांकन के लिए विशेष प्रावधानों में कोई बदलाव नहीं किया गया है. जम्मू-कश्मीर सरकार में संपत्ति और नौकरियों की खरीद के संबंध में भी नियमों में बदलाव नहीं हुआ है. वोटरों के प्रतिनिधित्व या अन्यथा से कोई संबंध नहीं है.

वोटरों की संख्या बढ़ने की ये है वजह
DIPR ने कहा कि 2011 में जम्मू-कश्मीर राज्य के विशेष सारांश संशोधन में प्रकाशित निर्वाचकों (Electors) की संख्या 66,00,921 थी. जबकि वर्तमान में मतदाताओं की संख्या 76,02,397 है. इस बढ़ोतरी की वजह सिर्फ ये है कि ऐसे मतदाता बढ़े हैं जो 18 साल के हो चुके हैं.

क्या कहता है नियम?
सरकारी अधिकारियों ने कहा था कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 और 1951 अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद जम्मू और कश्मीर में लागू है, जो आम तौर पर रहने वाले व्यक्ति को जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश की मतदाता सूची में पंजीकृत होने की अनुमति देता है.

क्या कहा था चुनाव आयोग ने?
इससे पहले जम्मू-कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी हिरदेश कुमार ने कहा था कि दूसरे राज्य के जो लोग यहां रह रहे हैं, वो अपना नाम वोटर लिस्ट में शामिल करवाकर वोट डाल सकते हैं. इसके लिए उन्हें मूल निवासी प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं है. इतना ही नहीं, जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा के लिए तैनात सुरक्षाबलों के जवान भी वोटर लिस्ट में अपना नाम शामिल करा सकते हैं. हिरदेश कुमार ने बताया था कि जो भी 1 अक्टूबर 2022 तक 18 साल का हो जाएगा, वो अपना नाम वोटर लिस्ट में जुड़वा सकता है. फाइनल वोटर लिस्ट 25 नवंबर को जारी होगी. जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार 1 जनवरी 2019 को वोटर लिस्ट आई थी. आयोग का कहना है कि इस बार वोटर लिस्ट में 20 से 25 लाख नए वोटर शामिल हो सकते हैं.

महबूबा मुफ्ती ने किया विरोध
हालांकि पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती ने चुनाव आयोग के इस बयान का विरोध करते हुए कहा था कि यह “चुनावी लोकतंत्र के ताबूत में आखिरी कील” है. वहीं सरकारी अधिकारियों की ओर से कहा गया था कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 और 1951 लागू होता है. यह आम तौर पर वहां रहने वाले व्यक्ति को जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश की मतदाता सूची में पंजीकृत होने की अनुमति देता है, बशर्ते कि उसका नाम उसके मूल निर्वाचन क्षेत्रक की वोटर लिस्ट से हटा दिया जाए.

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