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Sunday, July 6, 2025
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नीतीश ने 60 फीसदी पिछड़ों के सीने को छलनी कर दिया, BJP ने खेल दिया ट्रंप कार्ड

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पटना

बिहार में सत्ता परिवर्तन के बाद सियासी घमासना जारी है। बुधवार को महागठबंधन सरकार ने विधानसभा में विश्वास मत प्राप्त किया। इससे पहले नतीश कुमार ने सदन में विश्वास प्रस्ताव पेश किया। विश्वास प्रस्ताव पर सदन में चर्चा हुई। पक्ष और विपक्ष के नेताओं ने अपने-अपने मत रखे। इसी दौरान बीजेपी विधायक संजीव चौरसिया ने जो कहा उससे सियासी तौर पर सत्ताधारी पार्टी हिल गई। किसी को उम्मीद नहीं थी, नीतीश-तेजस्वी जिसके नाम पर बिहार में सियासत करते हैं, उसे ही ट्रंप कार्ड बनाकर बीजेपी मात देने की तैयारी की है। संजीव चौरसिया ने सदन में कहा कि गठबंधन तोड़कर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 60 फीसदी पिछड़ों के सीने को छलनी करने का काम किया है।

अब सवाल उठता है कि सदन में बीजेपी विधायक ने पिछड़ों का जिक्र क्यों किया? दरअसल, नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू जब से बीजेपी से अलग हुई है, तब से चर्चा है कि नीतीश कुमार 2024 में पीएम पद के उम्मीदवार होंगे। हालांकि ये चर्चा ही है। नीतीश कुमार हर समय इससे इनकार किया है। जेडीयू और आरजेडी की ओर से बार-बार कहा जा रहा है कि अगर सभी विपक्षी पार्टियां तैयार होती हैं तो नीतीश कुमार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ एक मजबूत उम्मीदवार हो सकते हैं। बीजेपी सदन में पिछड़ों का जिक्र कर साफ कर दिया कि 2024 का चुनाव पिछड़ों के नाम पर ही लड़ेगी।

लोहे को लोहे से काटेगी बीजेपी
कहा जाता है न लोहा ही लोहा को काटता है। बीजेपी पिछड़ों का जिक्र कर साफ कर नीतीश-तेजस्वी का काट उसके पास है। 2024 का चुनाव हिन्दुत्व और पिछड़ों के नाम पर ही होगा। संजीव चौरसिया ने सदन में जंगलराज का जिक्र करते हुए कहा बिहार के लोग कभी डरते थे। हम पिछड़ों की आबादी को आगे लेकर चलने का काम किया और आग बढ़ाने का काम किया। कोरोना काल में पिछड़े-वंचितों को मुफ्त में राशन देने का काम किया। पिछड़ा-अति पिछड़ा के अभिमान-स्वाभिमान को बचाने की कोशिश की। पिछड़ा अति पिछड़ा को हमने संवैधानिक दर्जा देने का काम किया है। किसान सम्मान निधि के तहत साढ़े 12 करोड़ लोगों को आगे बढ़ाने का काम किया है। संजीव चौरसिया ने कहा कि पिछड़ा का बेटा देश का नेतृत्व कर रहा है तो उसे हटाने के लिए साजिश की जा रही है। संजीव चौरसिया ने साफ कहा कि 2024 में भी पिछड़े का बेटा देश का नेतृत्व करेगा।

बिहार विधानसभा में पिछड़ों का जिक्र क्यों?
बीजेपी ने सदन पिछड़ों का जिक्र क्यों किया, इसके लिए सबसे पहले आपको जातिगत आंकड़ों को समझना होगा। दरअसल, बिहार में 82 फीसदी हिंदू, इसमें 51 फीसदी आबादी ओबीसी की। 2011 की जनगणना के मुताबिक, बिहार की जनसंख्या 10.38 करोड़ थी। इसमें 82.69% आबादी हिंदू और 16.87% आबादी मुस्लिम समुदाय की थी। हिंदू आबादी में 19% सवर्ण, 51% ओबीसी, 15.7% अनुसूचित जाति और करीब 1 फीसदी अनुसूचित जनजाति है। मोटे-मोटे तौर पर कहा जाता है कि बिहार में 16 फीसदी यादव समुदाय, कुशवाहा यानी कोइरी 6.4 फीसदी, कुर्मी 4 फीसदी हैं। सवर्णों में भूमिहार 6 %, ब्राह्मण 5.5%, राजपूत 5.5% और कायस्थ 2 फीसदी के करीब हैं। आंकडा ऊपर-नीचे हो सकता है।

पिछड़ों की राजनीति सत्ता की धुरी
हालांकि मंडल कमीशन के बाद जब पिछड़ों की राजनीति सत्ता की धुरी बन चुकी है। बिहार में पिछड़ों के रहनुमा के तौर पर लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार की उपस्थिति को नकारा नहीं जा सकता है। इस वक्त दोनों एक साथ है। बीजेपी भी पिछड़ा वोट बैंक को लेकर सजग और सक्रिय है। यही कारण है बीजेपी ने सदन में पिछड़ों का जिक्र कर ट्रंप कार्ड खेल दिया है।

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