डिंडौरी
एमपी के डिंडौरी जिले में एक टीचर अपनी पत्नी की मौत के बाद टूट गया है। वह अलग होने को तैयार नहीं था। रिश्तेदारों और पड़ोसियों के विरोध के बावजूद उसकी लाश को अपने घर के अंदर दफन कर दिया। ओंकारदास मोगरे ने अपनी पत्नी रुक्मणी की कब्र को एक आंतरिक मंदिर में बदल दिया और उसे फूलों से सजा दिया। साथ ही कब्र के बगल में सो गया, जिससे यह साफ हो गया कि 25 साल तक साथ रही पत्नी से उसका अलग होने का कोई इरादा नहीं है। शिक्षक के इस कदम से उसके पड़ोसी घबरा गए और कलेक्टर के पास पहुंच गए।
कलेक्टर ने शव को बाहर निकालने और उसे उचित तरीके से दफनाने का आदेश दिया। रुक्मणी की मौत मंगलवार को डिंडौरी के बिरसामुंडा स्टेडियम के पास स्थित घर में हुई थी। यह दंपति पिछले 10 सालों से सिकल सेल एनीमिया से जूझ रही थी। दंपति की कोई संतान नहीं है। महिला की मौत के बाद रिश्तेदार जब अंतिम संस्कार के लिए एकत्रित हुए तो मोगरे ने उन्हें अपने घर के अंदर दफनाने में मदद करने के लिए कहा। इस दौरान लोगों ने उन्हें समझाने की कोशिश की लेकिन शिक्षक ने यह कहते हुए मना कर दिया कि उसके बिना वह नहीं चल सकता है।
शिक्षक मोगरे के फैसले के आगे रिश्तेदारों को हार माननी पड़ी और उन्होंने घर के अंदर ही उसकी पत्नी को दफनाने के लिए गड्ढा खोदने में मदद की। हालांकि आसपास के लोग परेशान हो गए और मदद के लिए पुलिस को फोन किया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद पड़ोसी जिला कलेक्टर के पास पहुंचे। जिला प्रशासन की एक टीम शिक्षक के घर पर अंतिम संस्कार के आदेश के साथ पहुंची तो मोगरे ने विरोध किया।
वहीं, शिक्षक मोगरे ने कहा कि वह मनुष्यों और आत्माओं को सामान मानते हैं और शरीर को उनसे दूर ले जाने की कोई आवश्यकता नहीं है। वरिष्ठ अधिकारियों के हस्तक्षेप करने और शव को बाहर निकालने की अनुमति देने के बाद वह मान गए। एक रिश्तेदार जयपाल दास पारस ने मीडिया को बताया कि मोगरे अपनी पत्नी की मौत से टूट गए हैं। वह चाहते हैं कि उनका शरीर अंतिम सांस तक उनके घर के अंदर रहे।