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Tuesday, December 2, 2025
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ट्विन टावर्स के आसपास इमारतों को कितना नुकसान, कौन कराएगा मरम्मत?

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नोएडा,

नोएडा के सेक्टर-93ए स्थित सुपरटेक के 32 मंजिला ट्विन टावर्स 28 अगस्त को इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गए. करीब 300 करोड़ की लागत से बनकर खड़े हुए दोनों अधूरे टावर पलक झपकते ही खाक में मिल गए. धमाके से पहले नोएडा प्राधिकरण और पुलिस ने कई तरह के विशेष इंतजाम किए थे. आसपास की सोसायटियों में रहने वाले लोगों को सुबह ही बाहर निकाल दिया गया था. वहीं इन सोसायटियों की इमारतों को बड़े-बड़े पर्दों से ढ़क दिया गया ताकि धूल जाने से रोका जा सके. अधिकारियों की सांसें अटकी हुईं थी. कारण, देश में पहली बार इतने बड़ी इमारतों को गिराया जा रहा था और इसके अगल-बगल की सोसायटियों में बने सैकड़ों फ्लैट्स की सुरक्षा एक बड़ी चुनौती थी. दोपहर ढाई बजे सायरन बजा और देखते ही देखते इमारत धराशाई हो गई. जिसके बाद अधिकारियों ने राहत की सांस ली. इमारत का ध्वस्तीकरण प्लान के मुताबिक ही हुआ. हालांकि इस दौरान आसपास की सोसायटियों में थोड़ा बहुत नुकसान भी हुआ है.

नोएडा प्राधिकरण की सीईओ रितु माहेश्वरी ने बताया कि जो योजना बनाई गई थी, उसी के अनुसार ध्वस्तीकरण का कार्य पूरा किया गया. इस पूरी प्रक्रिया में एटीएस विलेज की लगभग 10 मीटर बाउंड्री वॉल क्षत्रिग्रस्त हुई है. साथ ही ट्विन टावर्स की तरफ के कुछ फ्लैट्स के शीशे टूट गए हैं. एमराल्ड कोर्ट को इस पूरी ध्वस्तीकरण प्रक्रिया में कोई नुकसान नहीं हुआ है. एटीएस विलेस में जो बाउंड्री वॉल और शीशे टूटे हैं, उन्हें विस्फोट करने वाली कंपनी एडिफाइस इंजीनियरिंग द्वारा जल्द ही ठीक कर दिया जाएगा. इसके लिए सोसायटीवासियों को कोई खर्च नहीं देना होगा.

तीन महीने तक फ्लैटों में हुआ नुकसान तो कंपनी करेगी भरपाई
एक रिपोर्ट के मुताबिक ट्विन टावरों को ध्वस्त करने वाली मुंबई की कंपनी एडिफाइस इंजीनियरिंग ने एहतियात के तौर पर पहले से ही 100 करोड़ का बीमा कराया था. इसकी अवधि तीन महीने के लिए वैध रहेगी. कंपनी के एक अधिकारी ने बताया कि ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के दौरान जोखिम की आशंका को ध्यान में रखते हुए ये इंश्योरेंस कराया गया था. इसके लिए टाटा इंश्योरेंस से करार हुआ है. अगर आने वाले तीन महीनों तक भी किसी फ्लैट को कोई नुकसान इस ध्वस्तीकरण के कारण होता है तो इस बीमा के जरिए उसे ठीक कराया जाएगा

प्राधिकरण और फायर ब्रिगेड ने पानी की बौछार से हटाई धूल
बता दें कि टावरों के ध्वस्तीकरण के बाद आसपास का इलाका पूरी तरह से धूल से पट गया था. हालांकि इससे निपटने के लिए नोएडा प्राधिकरण और प्रशासन ने पहले से ही तैयारी की हुई थी. जैसे ही इमारत गिरी, उसके 15 मिनट बाद एडिफाइस इंजीनियरिंग ने ध्वस्तीकरण को सुरक्षित रूप से पूरा करने की घोषणा कर दी थी. जिसके कुछ देर बाद ही नोएडा प्राधिकरण की टीम और फायर ब्रिगेड धूल हटाने के काम में जुट गई. इसके लिए पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया गया. नोएडा प्राधिकरण के मुताबिक आसपास के इलाके और सोसायटियों में पहले से ही 100 पानी के टैंकर, 22 एंटी स्मॉग गन, 6 स्वीपिंग मशीन, 20 ट्रैक्टर-ट्रॉली और हेल्थ व उद्यान विभाग के करीब 500 कर्मचारियों को तैनात किया गया था. इन सभी ने मिलकर सोसायटी दीवारों से लेकर पेड़-पौधों और सड़कों पर जमी धूल को हटाने का काम किया.

करीब ढाई बजे हुए एक के बाद एक धमाकों से कुछ ही सेकंड में 300 करोड़ की लागत से तैयार हुए ये टावर्स खाक में मिल गए. इस दौरान पहले सायरन बजा, फिर तेज धमाके के साथ ही धूल का बड़ा गुबार उठा और देखते ही देखते नोएडा में ‘मशरूम ऑफ डस्ट’ छा गया. 3700 किलीग्राम बारूद के धमाके की आवाज कई किलोमीटर दूर तक लोगों को सुनाई दी. सेक्टर-137 और सेक्टर-142 तक लोगों ने इन धमाकों की धमक को महसूस किया. वहीं कई किलोमीटर दूर सेक्टरों में बसे लोगों ने आसमान में उड़ रहे धूल के गुबार को देखा.

एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन किए गए थे स्थापित
धूल के कारण होने वाले वायु प्रदूषण को ध्यान में रखकर उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 6 स्थानों पर मैनुअल एम्बियंट एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन स्थापित किए थे. जिनके जरिए वायु गुणवत्ता पर निगरानी रखी जा रही थी. ध्वास्तीकरण के बाद प्राधिकरण की सीईओ ने बताया कि रविवार को दोपहर 2 बजे और 3 बजे एयर क्वालिटी इंडेक्स पर पीएम-10 व पीएम 2.5 के आंकडे समान प्राप्त हुए. हालांकि एहतियात के तौर पर आसपास के लोगों से कुछ समय के लिए मास्क पहनने की भी अपील की गई थी.

पूरे हो जाते तो कुछ ऐसे होते ये ट्विन टावर
गौरतलब है कि ये ट्विन टावर देश के नामी बिल्डर सुपरटेक के ड्रीम प्रोजेक्ट में शुमार थे. इनमें 3, 4 और 5 BHK के फ्लैटों का निर्माण किया जाना था. दोनों टावरों को 40 मंजिल बनाने की योजना थी, लेकिन बीच में ही मामला हाईकोर्ट में चला गया और काम पर रोक लग गई. 32 मंजिला इन टावरों में 950 फ्लैट्स थे, जो अब ध्वस्त हो चुके हैं. जानकारी के मुताबिक बिल्डर ने जब इस प्रोजेक्ट को लॉन्च किया था तो इसका खूब प्रचार प्रसार किया गया था. 2006 में लॉन्च किए गया ये प्रोजेक्ट नोएडा का पहला सबसे आलिशान प्रोजेक्ट था. इसमें स्विमिंग पूल, मार्केट, जिम, क्लब समेत अन्य सुविधाएं शामिल हैं. जानकारों की मानें तो अगर ये ट्विन टावर बनकर तैयार हो जाते तो वर्तमान समय में ये नोएडा ही नहीं, बल्कि एनसीआर की सबसे शानदार आवासीय इमारत होती.

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