नई दिल्ली,
रूस का कच्चा तेल खरीदने पर पश्चिमी देश लगातार भारत की आलोचना कर रहे हैं. ऐसे में रूस ने भारत का बचाव करते हुए पश्चिमी देशों को खरी-खोटी सुनाई है. भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव का कहना है कि ऐसा करना पश्चिमी देशों के असैद्धांतिक रुख और उनके दोहरे मापदंड को दर्शाता है क्योंकि ये देश खुद अपने अवैध प्रतिबंधों से छूट पाकर रूस का तेल और गैस खरीद रहे हैं.
उन्होंने पीटीआई को दिए इंटरव्यू में कहा कि भारत और रूस के बीच व्यापार तेजी से बढ़ा है. दोनों पक्ष के बीच भुगतान की कई प्रणालियां है. एशिया और मिडिल ईस्ट में कुछ साझेदारों के साथ किसी तीसरे देश की मुद्राओं का इस्तेमाल करने भी एक विकल्प है. ऐतिहासिक रूप से रूस पेट्रोल और डीजल के लिए भारत का सबसे प्रमुख स्रोत नहीं रहा है लेकिन पश्चिमी देशों की आपत्ति के बावजूद बीते कुछ महीनों में भारत ने रूस से रियायती दरों पर कच्चा तेल खरीदा है.
अलीपोव ने कहा, भारत की आलोचना करने वाले पश्चिमी देश न सिर्फ इस तथ्य पर चुप्पी साधे हुए हैं कि वे खुद को अपने अवैध प्रतिबंधों से छूट देकर सक्रिय रूप से रूस का तेल और गैस खरीद रहे हैं. ऐसा कर वे अपने असैद्धांतिक रुख और दोहरे मापदंड को स्पष्ट रूप से उजागर कर रहे हैं.
राजदूत ने कहा कि सत्ता के लिए अमेरिका की महत्वकांक्षाओं के तुष्टीकरण के लिए यूरोप ने अपनी स्वतंत्र आवाज को पूरी तरह से खो दिया है. यूरोप अब बाकी दुनिया के लिए तेल और गैस की कीमतों में इजाफा कर अपने आर्थिक लाभ को जारी रखने की कोशिश कर रहा है.
उन्होंने यह भी कहा कि रूस पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का भारत, रूस व्यापार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है. अलीपोव ने कहा कि इस साल के शुरुआती छह महीनों में दोनों देशों के बीच व्यापार 11.1 अरब डॉलर रहा जबकि 2021 में दोनों देशों के बीच व्यापार लगभग 13 अरब डॉलर था.
उन्होंने कहा, हमारे पास इस पर विश्वास करने के हरसंभव कारण हैं कि इस साल के अंत तक दोनों देशों के बीच व्यापार का ऐतिहासिक रिकॉर्ड होगा. यह बड़े पैमाने पर हाइड्रोकार्बन की सप्लाई की वजह से नहीं है , जिसकी सप्लाई 10 गुना से अधिक बढ़ी है.
अलीपोव ने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार की भुगतान प्रणालियों (Payment Systems) का उल्लेख करते हुए कहा कि इनमें से एक राष्ट्रीय मुद्राओं का इस्तेमाल करना है. हाल के वर्षों में राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार 40 फीसदी से अधिक बढ़ा है.
अलीपोव ने कहा, हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक विशेष सर्कुलर जारी कर भारतीय रुपये में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के इस्तेमाल की बात कही थी. उन्होंने कहा कि रूस की जिन कंपनियों और बैंकों पर प्रतिबंध नहीं लगाए गए हैं, वे अमेरिकी डॉलर और यूरो का इस्तेमाल कर कारोबार कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि रूस पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के दुष्प्रभावों का राजनीतिक और आर्थिक तौर पर गलत आकलन किया गया है. ईंधन और खाद्य सामग्रियों की कीमत बढ़ने से दुनियाभर में महंगाई बढ़ी है और विकसित देशों पर भी मंदी के बादल मंडरा रहे हैं.
रूस से तेल खरीदने के भारत के फैसले के बार में अलीपोव ने कहा कि भारत ने लगातार कहा है कि वह राष्ट्रीय हित में ऐसा कर रहा है. भारत का यह फैसला लगातार बढ़ रही भारतीय अर्थव्यवस्था और इसके लोगों की भलाई की जरुरतों को दर्शाती हैं.
यूक्रेन संकट को लेकर भारत के रुख के बारे में पूछने पर राजदूत अलीपोव ने कहा कि रूस, भारत के रुख का सम्मान और इसकी सराहना करता है. यूक्रेन संकट को लेकर भारत का रुख अंतर्राष्ट्रीय कानून की नींव और राष्ट्रीय हितों के रणनीतिक विजन पर आधारित है.उन्होंने कहा कि भारत के साथ रूस की रणनीतिक साझेदारी की विशेषता यह है कि यह किसी के खिलाफ नहीं है. बता दें कि यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर भारत ने तटस्थ रुख अपनाया है और उसने रूस की आलोचना नहीं की.