इस्लामाबाद
पाकिस्तान में बाढ़ के बाद अब महामारी का खतरा मंडरा रहा है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि पाकिस्तान के बाढ़ प्रभावित इलाकों में आने वाले चार से 12 हफ्तों में बच्चों सहित करीब 50 लाख लोग जल और वेक्टर जनित बीमारियों जैसे टाइफाइड और दस्त से बीमार पड़ सकते हैं। इतना ही नहीं, संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी के अनुसार पाकिस्तान के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की कम से कम 6,50,000 गर्भवती महिलाओं को देखभाल की सख्त जरूरत है। देश में बाढ़ के चलते 1,100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 3 करोड़ 30 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। खेतों में खड़ी फसलें बर्बाद हो गई हैं। वहीं, जो इस प्राकृतिक प्रकोप से बच गए हैं, वे स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
पाकिस्तान में लोगों को इन बीमारियों का सता रहा डर
स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि स्थिति गंभीर है, सिंध, बलूचिस्तान, दक्षिणी पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा के बाढ़ प्रभावित इलाकों के लोगों के दस्त, हैजा, आंत या पेट में जलन, टाइफाइड और वेक्टर जनित बीमारियां जैसे डेंगू और मलेरिया की चपेट में आने का खतरा है। उन्होंने कहा कि आकलन है कि इस महामारी से निपटने के लिए शुरुआती तौर पर ही एक अरब रुपये की दवाओं और उपकरणों की जरूरत होगी।
50 लाख लोगों के बीमार पड़ने का खतरा
पाकिस्तान के प्रतिष्ठित जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ और इस्लामाबाद स्थित हेल्थ सर्विसेज अकादमी के कुलपति डॉ.शहजाद अली के हवाले से एक अखबार ने लिखा कि देशभर में मानसूनी बारिश और बाढ़ से करीब 3.3 करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं, अनुमान है कि इनमें से बच्चों सहित करीब 50 लाख लोग जल और वेक्टर जनित बीमारियों की वजह से अगले चार से 12 सप्ताह में बीमार पड़ेंगे। उन्होंने कहा कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में साफ पेयजल उपलब्ध नहीं है और दस्त, हैजा, टाइफइड, आंत व पेट में जलन, डेंगू और मलेरिया जैसी बीमरियों के होने का खतरा है।
बच्चों पर बीमारियों का हो सकता है ज्यादा असर
डॉ.शहजाद अली ने कहा कि कमजोर प्रतिरोधक क्षमता होने की वजह से बच्चों के इन बीमारियों से ग्रस्त होने का ज्यादा खतरा हैं और एहतियाती उपाय नहीं किए गए तो गंभीर दस्त एवं अन्य जल जनित बीमारियों से सैकड़ों बच्चों की जान जा सकती है। उन्होंने कहा कि तत्काल बाढ़ प्रभावित इलाकों के सभी लोगों को टायफाइड-हैजे का टीका लगाने की जरूरत है। देश में ये टीके उपलब्ध हैं और इससे सिंध और बलूचिस्तान में इन बीमारियों से होने वाली मौतों को रोका जा सकता है।’
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले बच्चे सबसे अधिक असुरक्षित
पूर्व स्वास्थ्य निदेशक और संक्रामक रोगों के विशेषज्ञ डॉ.राणा मुहम्मद सफदर के मुताबिक बाढ़ प्रभावित इलाके में रहने वाले बच्चे सबसे अधिक असुरक्षित हैं और उनपर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि टीकाकरण कार्यक्रम की पहुंच उन बच्चों तक सुनिश्चित की जानी चाहिए जिन्हें टीका नहीं लगा है। डॉ.सफदर ने कहा कि दस्त और अन्य जल जनित बीमारियों के अलावा बच्चों को खसरा होने का भी खतरा है और विस्थापित आबादी में यह जंगल की आग की तरह फैल सकता है। पोलियो एक अन्य खतरा है और दुर्भाग्य से खैबर पख्तूनख्वा और पंजाब के कई शहरों में पोलियो वायरस का संक्रमण देख रहे हैं। यह अन्य शहरों को भी चपेट में ले सकता है।
पाकिस्तान में 6.5 लाख महिलाओं को प्रसव संबंधी इलाज की जरूरत
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) ने यह चेतावनी भी दी कि महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ लिंग आधारित हिंसा (जीबीवी) का खतरा बढ़ गया है। वहीं जून की शुरुआत से बाढ़ से जूझ रहे पाकिस्तान में लगभग दस लाख घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं। यूएनएफपीए के अनुसार 6,50,000 में से 73, 000 से अधिक महिलाओं का अगले महीने प्रसव होने की उम्मीद है। उन्हें मातृत्व स्वास्थ्य देखभाल की सख्त जरूरत है। यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य पर काम करने वाली एजेंसी यूएनएफपीए ने अभूतपूर्व बाढ़ से प्रभावित महिलाओं की दयनीय तस्वीर पेश की है।
अगले महीने 73000 महिलाओं के प्रसव की उम्मीद
संयुक्त राष्ट्र एजेंसी के अनुसार, अगले महीने 73,000 महिलाओं के प्रसव की उम्मीद है, उन्हें कुशल जन्म परिचारक, नवजात देखभाल और मदद की आवश्यकता होगी। यूएनएफपीए ने कहा कि गर्भधारण और प्रसव आपात स्थिति या प्राकृतिक आपदाओं के खत्म होने का इंतजार नहीं करते। एजेंसी ने कहा कि महिलाएं और बच्चे सबसे संवेदनशील हैं और संकट की इस घड़ी में उन्हें अत्यधिक देखभाल की जरूरत है।
सिंध में हॉस्पिटल तबाह, बलूचिस्तान का भी यही हाल
यूएनएफपीए-पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रतिनिधि बख्तियार कादिरोव ने कहा कि यूएनएफपीए यह सुनिश्चित करने के लिए जमीनी स्तर पर काम कर रहा है कि गर्भवती व प्रसव से गुजर चुकीं महिलाओं को सबसे चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी जीवन रक्षक सेवाएं मिलती रहें। संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने दुनिया से राहत प्रयासों को जारी रखने का आग्रह करते हुए कहा कि सिंध में 1,000 से अधिक स्वास्थ्य केंद्रों को या तो आंशिक रूप से या पूरी तरह से नुकसान हुआ। बाढ़ से सबसे बुरी तरह प्रभावित क्षेत्र बलूचिस्तान है, जहां 198 स्वास्थ्य प्रतिष्ठानों को नुकसान हुआ है।