‘केंद्र में बैठे लोगों की बातों पर ध्यान नहीं देता’, पीएम मोदी पर नीतीश का पलटवार

पटना

‘अगर अपनी बात सीधे-सीधे और स्पष्ट शब्दों में कह दी तो काहे के नीतीश कुमार’, बिहार की राजनीति में ये ‘जुमला’ काफी प्रसिद्ध है। कई दफे तो नीतीश कुमार की रणनीति का अंदाजा सियासत के माहिर खिलाड़ी भी नहीं लगा पाते। लेकिन एक चीज है जो नीतीश कुमार की खासियत है, वो संदर्भ देकर अपनी आगे की राजनीति जाहिर करने में बेहद माहिर हैं। मसलन अगर उन्हें कुछ कहना होता है तो वो सीधे नहीं कहते, लेकिन संदर्भ देकर ये जरूर इशारा कर देते हैं कि उनके दिमाग में चल क्या रहा है। अब इसे जो समझे वो सब समझ जाए और जो न समझे उसके लिए नीतीश के पास कोई ऑप्शन नहीं होता। ऐसा ही कुछ शुक्रवार को पटना में हुआ।

अगर आज अटल होते तो…?
पटना में एक कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पत्रकारों से रूबरू हुए। इस दौरान उन्होंने करीब डेढ़ मिनट पत्रकारों से बात की। इस बातचीत में उनसे जेडीयू ऑफिस में लगे पोस्टर और पीएम पद की दावेदारी पर सवाल पूछा गया। लेकिन नीतीश ने इसका जवाब ये कहकर दिया ‘जब श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी देश के प्रधानमंत्री थे, तब हमने किस तरह से उनके साथ काम किया। किस तरह से उन्होंने सब लोगों का ख्याल रखा। यहां पर भी बिहार के लोगों ने काम करने का मौका दिया, चाहे कोई भी साथ रहे। कोई भी रहे केंद्र में कुछ बोलते रहते हैं, हम उनपर ध्यान नहीं देते। चलिए निश्चिंत रहिए।’

नीतीश के बयान की डीकोडिंग
नीतीश के इन बयान में दो ऐसी बातें ढूंढीं जो नीतीश ने इशारों में कही, लेकिन न कहकर भी वो बहुत कुछ कह गए। इन दो पॉइंट से समझिए कि कैसे…

पहला- अटल बिहारी वाजपेयी के साथ काम किया- यहां नीतीश ने ये जाहिर किया कि केंद्र में काम करने का जो अनुभव उन्हें है वो पीएम नरेंद्र मोदी को नहीं है, क्योंकि नीतीश तब अटल की सरकार में केंद्रीय रेल मंत्री थे। यूं समझिए कि नीतीश ने अनुभव के आधार पर खुद को पीएम मोदी से सीनियर बताकर पीएम पद की दावेदारी पर अपना स्टैंड साफ कर दिया।

दूसरा-अटल जी सब लोगों का ख्याल रखते थे- सीएम नीतीश कुमार का ये बयान बड़ा मायने रखता है। आपको याद होगा कि एक समय था जब नीतीश मोदी के लिए 2012 में शुरू हुई पीएम पद की दावेदारी को लेकर नाराज हो गए थे। बहाना कुछ और था लेकिन नीतीश ने NDA का साथ छोड़ दिया। तब भी उन्होंने कुछ ऐसा ही कहा था। ऐसे में सवाल ये है कि क्या नीतीश ये कहना चाहते थे कि ‘अगर आज अटल बिहारी वाजपेयी होते तो…।’ वाक्य का अंत तीन बिंदुओं से करने पर क्या मतलब होता है, ये समझदार लोग आराम से समझ जाएंगे। वैसे भी 2024 में अब सिर्फ दो साल ही तो बाकी हैं। सो इंतजार कीजिए, शास्त्रों में भी कहा गया है कि ‘जो लिखा है वही होगा।’

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