नई दिल्ली/कोच्चि
भारतीय नौसेना को दूसरा एयरक्राफ्ट कैरियर (IAC) मिल गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सुबह कोच्चि के कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में आईएनएस विक्रांत को इसे देशसेवा में समर्पित किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ‘केरल के समुद्री तट पर पूरा भारत एक नए भविष्य के सूर्योदय का साक्षी बन रहा है। INS विक्रांत पर हो रहा यह आयोजन, विश्व क्षितिज पर भारत के बुलंद होते हौसलों की हुंकार है।’ यह बस पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर ही नहीं, समंदर पर तैरता किला है।आईएनएस विक्रांत का डिजाइन और निर्माण, सबकुछ भारत में ही किया गया है। पीएम मोदी ने नौसेना के नए निशान का भी अनावरण किया जो ब्रिटिश राज की परछाई से दूर है। इसमें बायीं ओर ऊपर की तरफ राष्ट्रध्वज और दायीं तरफ अशोक स्तंभ और उसके नीचे लंगर है। आईएनएस विक्रांत की कमिशनिंग से जुड़ी लेटेस्ट अपडेट्स के लिए बने रहें एनबीटी ऑनलाइन के साथ।
मोदी ने आईएनएस विक्रांत की खासियतें बताते हुए कहा कि ‘यह युद्धपोत से ज्यादा तैरता हुआ एयरफील्ड है, यह तैरता हुआ शहर है। इसमें जतनी बिजली पैदा होती है उससे 5,000 घरों को रौशन किया जा सकता है। इसका फ्लाइंग डेक भी दो फुटबॉल फील्ड से बड़ा है। इसमें जितने तार इस्तेमाल हुए हैं वह कोचीन से काशी तक पहुंच सकते हैं।’
अंग्रेजों ने तोड़ी हमारे समुद्री सामर्थ्य की कमर: पीएम मोदी
पीएम ने कोच्चि में कहा, ‘छत्रपति वीर शिवाजी महाराज ने इस समुद्री सामर्थ्य के दम पर ऐसी नौसेना का निर्माण किया, जो दुश्मनों की नींद उड़ाकर रखती थी। जब अंग्रेज भारत आए, तो वो भारतीय जहाजों और उनके जरिए होने वाले व्यापार की ताकत से घबराए रहते थे। इसलिए उन्होंने भारत के समुद्री सामर्थ्य की कमर तोड़ने का फैसला लिया। इतिहास गवाह है कि कैसे उस समय ब्रिटिश संसद में कानून बनाकर भारतीय जहाजों और व्यापारियों पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए गए।’
‘बेटियों के लिए कोई बंधन नहीं होगा’
विक्रांत जब हमारे समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा के लिए उतरेगा, तो उस पर नौसेना की अनेक महिला सैनिक भी तैनात रहेंगी। समंदर की अथाह शक्ति के साथ असीम महिला शक्ति, ये नए भारत की बुलंद पहचान बन रही है। अब इंडियन नेवी ने अपनी सभी शाखाओं को महिलाओं के लिए खोलने का फैसला किया है। जो पाबंदियों थीं वो अब हट रही हैं। जैसे समर्थ लहरों के लिए कोई दायरे नहीं होते, वैसे ही भारत की बेटियों के लिए भी अब कोई दायरे या बंधन नहीं होंगे।
भारतीय नौसेना को मिला नया ध्वज
मोदी ने भारतीय नौसेना के नए ध्वज का भी अनावरण किया। पीएम ने कहा, ‘आज भारत ने, गुलामी के एक निशान, गुलामी के एक बोझ को अपने सीने से उतार दिया है। आज से भारतीय नौसेना को एक नया ध्वज मिला है। अब तक भारतीय नौसेना के ध्वज पर गुलामी की पहचान बनी हुई थी। लेकिन अब आज से छत्रपति शिवाजी से प्रेरित, नौसेना का नया ध्वज समंदर और आसमान में लहराएगा।’
‘ओल्ड शिप्स नेवर डाई’
इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘आप सभी नौसेना की परंपराओं से अवगत हैं, ‘ओल्ड शिप्स नेवर डाई’। 1971 के युद्ध में अपनी शानदार भूमिका निभाने वाले विक्रांत का यह नया अवतार, ‘अमृत-काल’ की उपलब्धि के साथ-साथ हमारे स्वतंत्रता सेनानियों और बहादुर फौजियों को भी एक विनम्र श्रद्धांजलि है।’
पीएम मोदी को मिला गार्ड ऑफ ऑनर
प्रधानमंत्री मोदी कोचीन शिपयार्ड पहुंच गए हैं। यहां मौजूद नौसेना के अधिकारियों ने उनका स्वागत किया। पीएम मोदी को नेवी की ओर से गॉर्ड ऑफ ऑनर दिया गया। पीएम थोड़ी देर में पहले स्वदेशी युद्धपोत INS विक्रांत को भारतीय नौसेना को समर्पित करेंगे।रक्षा मंत्रालय ने एक ट्वीट में कहा, ‘स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर IAC विक्रांत, भारत के समुद्री इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा और सबसे जटिल युद्धपोत है। इसका नाम 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले भारत के पहले एयरक्राफ्ट कैरियर के नाम पर रखा गया है।’
एलीट क्लब में शामिल हो जाएगा भारत
आईएनएस विक्रांत का सेवा में आना रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। विक्रांत के सेवा में आने से भारत अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन और फ्रांस जैसे उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो जाएगा जिनके पास स्वदेशी रूप से डिजाइन करने और एक विमान वाहक बनाने की क्षमता है। आईएनएस विक्रांत का निर्माण, भारत के प्रमुख औद्योगिक घरानों के साथ-साथ 100 से अधिक लघु, कुटीर एवं मध्यम उपक्रम (MSMEs) द्वारा आपूर्ति किए गए स्वदेशी उपकरणों और मशीनरी का उपयोग करके किया गया है। विक्रांत के जलावतरण के साथ, भारत के पास सेवा में मौजूद दो विमानवाहक जहाज होंगे, जो देश की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करेंगे।
IAS विक्रांत में क्या खास है?
जहाज में अल्ट्रा-मॉडर्न मेडिकल फैसिलिटीज के साथ पूरा मेडिकल कैंपस है। जिसमें प्रमुख मॉड्यूलर ओटी (ऑपरेशन थिएटर), आपातकालीन मॉड्यूलर ओटी, फिजियोथेरेपी क्लिनिक, आईसीयू, प्रयोगशालाएं, सीटी स्कैनर, एक्स-रे मशीन, दंत चिकित्सा परिसर, आइसोलेशन वार्ड और टेलीमेडिसिन सुविधाएं आदि शामिल हैं। यह स्वदेश निर्मित उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (ALH) और हल्के लड़ाकू विमान (LCA) के अलावा मिग-29 के लड़ाकू जेट, कामोव-31 और एमएच-60 आर बहु-भूमिका वाले हेलीकॉप्टरों सहित 30 विमानों से युक्त एयर विंग को संचालित करने में सक्षम होगा।
विक्रांत से विक्रांत तक
1960 में ही भारतीय नौसेना को पहली बार विमानवाहक पोत सौंपा गया। तब ब्रिटेन से आयातित इस पोत का नाम भी विक्रांत ही था, जो अब रिटायर हो चुका है। उसी के नाम पर नए स्वदेशी पोत का नाम विक्रांत रखा गया है। भारतीय नौसेना को दूसरा विमानवाहक पोत विराट भी 1988 में ब्रिटेन से ही खरीद कर दिया गया था। तब दक्षिण पूर्व एशिया के देशों ने भारत की समुद्री महत्वाकांक्षाओं में गैरजरूरी विस्तार का आरोप लगाया था। विराट भी अब रिटायर हो चुका है। करीब एक दशक पहले मिला तीसरा विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य रूस से आयातित था। अब विक्रमादित्य के साथ विक्रांत भारतीय नौसेना की शान बनकर हिंद महासागर में उसके हितों की रक्षा में मुस्तैदी से तैनात रहेगा।