नई दिल्ली ,
बिहार में सियासी बदलाव के बाद नीतीश कुमार के अगुवाई में महागठबंधन की सरकार बने दो महीने भी नहीं गुजरे, लेकिन दो मंत्रियों को इस्तीफा हो चुका है. पहले कार्तिकेय सिंह और रविवार को सुधाकर सिंह ने मंत्री पद छोड़ दिया है. मंत्री पद से इस्तीफा देने वाले दोनों ही नेता आरजेडी कोटे से मंत्री बने थे और सवर्ण जातीय से आते हैं. सुधाकर और कार्तिकेय के मंत्री पद छोड़ने के बाद तेजस्वी यादव का ए-टू-जेड समीकरण खतरे में पड़ता दिख रहा है.
बिहार की सियासत फिर से गरमा गई है. कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भेज दिया है. सुधाकर सिंह के पिता और आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने इसकी पुष्टि की है. महागठबंधन की सरकार में आरजेडी कोटे से मंत्री बने सुधाकर सिंह ने भ्रष्टाचार को लेकर अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. सुधाकर ने खुले मंच से कृषि विभाग के अधिकारियों को चोर कहा था और खुद को चोरों का सरदार बताया था.
इसके बाद बाद कैबिनेट की बैठक के दौरान सीएम नीतीश कुमार द्वारा इस बात को लेकर टोकने पर सुधाकर सिंह से बहस हो गई थी. सुधाकर सिंह कैबिनेट की बैठक से उठकर चले गए थे. मुख्यमंत्री से पत्रकारों ने पूछा तो उन्होंना कहा था कि ऐसी कई बात नहीं. हम तो केवल उनके बयान के बारे में पूछ रहे थे. बाद में उन्होंने तेजस्वी यादव की ओर इशारा करते हुए कहा कि आगे उन्हीं को फैसला लेना है. इस तरह नीतीश कुमार ने उसी दिन आगे का फैसला लेने के लिए तेजस्वी को अधिकार दे दिया था. इसीलिए सुधाकर सिंह ने अपना इस्तीफा तेजस्वी यादव के जरिए नीतीश को भेजा, जिसे स्वीकार भी कर लिया गया है.
सुधाकर सिंह से पहले कार्तिकेय सिंह ने मंत्री पद से इस्तीफा दिया था. कार्तिकेय सिंह आरजेडी कोटे से मंत्री बने थे, लेकिन उनके खिलाफ अपहरण के पुराने मामले में कोर्ट ने वारंट जारी किया था. इसके बाद से वे विवादों में थे. इसे लेकर बीजेपी लगातार नीतीश सरकार पर निशाना साध रही थी. इसी के बाद नीतीश ने कार्तिकेय सिंह से कानून मंत्रालय वापस लेकर उन्हें गन्ना उद्योग मंत्री बना दिया था, लेकिन उसी दिन शाम कार्तिकेय सिंह ने अपना इस्तीफा दे दिया. कार्तिकेय सिंह को अनंत सिंह का करीबी माना जाता है.
बता दें कि तेजस्वी यादव अपनी पार्टी आरजेडी को मुस्लिम-यादव तक सीमित रखने के बजाय ए-टू-जेड मतलब सर्वसमाज की पार्टी बनाने की कवायद कर रहे हैं. ऐसे में नीतीश कुमार के साथ तेजस्वी यादव ने दोबारा से मिलकर सरकार बनाई तो कैबिनेट में आरजेडी ने कोर वोटबैंक यादव-मुस्लिम समाज का ख्याल रखते हुए ए-टू-जेड की पार्टी होने का भी संदेश दिया था, लेकिन डेढ़ महीने में ही तेजस्वी यादव का जातीय समीकरण का संतुलन बिगड़ने लगा है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टीसीएम तेजस्वी यादव सहित बिहार कैबिनेट में 33 सदस्य हैं. नीतीश-तेजस्वी ने बिहार के सियासी समीकरण को साधे रखने के लिए पिछड़े-अतिपिछड़े समुदाय से सबसे ज्यादा 17 मंत्री बनाए तो 6 सवर्ण जातीय के नेताओं को रखा गया. इसके अलावा दलित-5 और 5 मुस्लिम नेता कैबिनेट में शामिल हैं. जेडीयू कोटे से 6 सवर्ण जातीय के नेताओं को मंत्री बनाया गया तो तेजस्वी की आरजेडी ने दो सवर्ण जातियों को जगह दी थी.
नीतीश कैबिनेट में जेडीयू कोटे से भूमिहार समुदाय से आने वाले विजय चौधरी, राजपूत समुदाय से लेसी सिंह-सुमित सिंह और ब्राह्मण समुदाय संजय कुमार झा मंत्री हैं. ऐसे ही आरजेडी कोटे से दो उच्च जातियों के नेताओं को कैबिनेट में जगह दी गई है. आरजेडी कोटे से मंत्री बने जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह, जो राजपूत समुदाय से हैं और आनंत सिंह के करीबी कार्तिकेय सिंह भूमिहार समुदाय से हैं.
तेजस्वी यादव ने राजपूत और भूमिहार समुदाय से एक-एक मंत्री बनाकर आरजेडी को ए-टू-जेड की पार्टी होने का दांव चला था. हालांकि, डेढ़ महीने में ही नीतीश की कैबिनेट से आरजेडी कोटे से बने दोनों ही सवर्ण समुदाय से आने वाले मंत्रियों की छुट्टी हो गई है, जो तेजस्वी यादव के लिए सियासी तौर पर बड़ा झटका माना जा रहा है. आरजेडी कोटे के दोनों ही मंत्रियों का इस्तीफा नीतीश कुमार के चलते हुआ है. आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा कि यह एक बलिदान है जो वह (सुधाकर सिंह) किसानों के लिए कर रहे हैं. वह आरजेडी और जेडीयू के बीच पैदा हो रही कड़वाहट से बचने के लिए की गई.
नीतीश कुमार ने भले ही तेजस्वी यादव के साथ मिलकर सरकार बनाई है, लेकिन वो अपनी सरकार की छवि पर किसी तरह का कोई दाग नहीं लगने देना चाहते हैं. नीतीश की इमेज के चलते आरजेडी का सियासी समीकरण बिगड़ रहा है. आरजेडी कोटे से बनने वाले दोनों ही सवर्ण समुदाय के मंत्रियों का इस्तीफा हो चुका है, जिसके चलते नीतीश कैबिनेट में सवर्ण समाज से जो मंत्री बचे हैं, वो जेडीयू कोटे के हैं. आरजेडी कोटे से एक भी सवर्ण मंत्री नहीं बचा है. इसी तरह तेजस्वी के ए-टू-जेड वाले समीकरण पर गहरा झटका है. ऐसे में देखना है कि नीतीश कैबिनेट से जिन मंत्रियों का इस्तीफा हुआ है, उसकी भरपाई कैसे होती है?