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Saturday, September 13, 2025
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मध्य प्रदेश में सदानिरा समागम का आगाज CM मोहन यादव बोले- प्रदेश में गंगा-यमुना से भी ज्यादा जल

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CM : मध्य प्रदेश में जल संरचनाओं के संरक्षण के लिए चलाए जा रहे जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत 6 दिवसीय सदानिरा समागम का आयोजन किया जा रहा है. शुक्रवार शाम को भारत भवन में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इसका उद्घाटन किया. इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्य प्रदेश नदियों का घर है. यहां से 269 से अधिक नदियां निकलती हैं.

सदानिरा समागम पुरानी परंपरा और आधुनिक तकनीक का संगम

मुख्यमंत्री ने कहा यह कितना सुंदर संयोग है कि पुरानी परंपराओं को आधुनिक तकनीक से जोड़कर जो परिकल्पना की गई थी, उसे सदानिरा के माध्यम से वास्तविक रूप देने का प्रयास किया गया है. मुख्यमंत्री ने बताया कि हमारी जल संरचनाओं की पुरानी स्थितियों का आकलन और दस्तावेजीकरण उपग्रह के माध्यम से किया गया है. यह दिखाता है कि जल संरक्षण के लिए तकनीक का भी बखूबी इस्तेमाल किया जा रहा है

क्षिप्रा में 24 घंटे में 5 करोड़ श्रद्धालु कर सकेंगे स्नान

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा, पहले सिंहस्थ के दौरान क्षिप्रा के घाट टुकड़ों में बने थे. लेकिन इस बार 15-15 किलोमीटर यानी 30 किलोमीटर के घाट बनाए जा रहे हैं. यहां 24 घंटे में 5 करोड़ लोग स्नान कर सकेंगे. उज्जैन में हम ऐसी व्यवस्था करने जा रहे हैं. यह हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है. यह एक बहुत बड़ा लक्ष्य है जो जल प्रबंधन और धार्मिक आयोजनों के प्रति सरकार की गंभीरता को दर्शाता है.

CM ने बताया स्नान क्यों है जरूरी

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा आपको यह जरूर लगा होगा कि आप स्नान क्यों करना चाहते हैं इससे सुख मिलता है. अब स्नान का क्या महत्व है? तो स्नान का महत्व हमारे उद्भव से जुड़ा है. सबसे पहले जलीय जीव पैदा हुए, बाद में स्थलीय जीव-जंतु उड़ने वाले जीव बने. हमारे उद्भव के शुरुआती जनक जल से हैं. इसलिए हमें अपने माता-पिता के साथ जो सुख मिलता है वही स्नान करने से प्राप्त होता है. इससे ऊर्जा मिलती है इसीलिए हर कोई स्नान करना चाहता है यह एक दार्शनिक व्याख्या है जो स्नान के महत्व को भारतीय संस्कृति से जोड़ती है.

मध्यप्रदेश में गंगा-यमुना से ज्यादा जल

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा अगर बिहार के पास सोन नदी से गंगा के पानी का विस्तार नहीं बढ़ाया गया तो गंगा अधूरी रहेगी. सोन नदी मध्यप्रदेश के अमरकंटक से निकलती है. नर्मदा के बिना राजस्थान गुजरात और मध्यप्रदेश आधे ही कल्पित होंगे. हमारे यहां कोई ग्लेशियर नहीं हैं. लेकिन जल संरचनाओं और वन संरचनाओं के आधार पर जल की इतनी बड़ी धाराएं संचित क जा रही हैं कि इन सभी जल राशियों को अगर जोड़ दिया जाए तो मध्यप्रदेश में यमुना और गंगा से भी अधिक पानी है यह मध्यप्रदेश के जल संसाधनों की विशालता को उजागर करता है.

देश में पहली बार हो रहा है सदानिरा समागम

संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव शिवशेखर शुक्ला ने बताया कि सदानिरा समागम देश का एकमात्र ऐसा परिकल्पित उत्सव है जो नदियों जल स्रोतों और जल संरचनाओं के संवर्धन और संरक्षण के विभिन्न गतिविधियों पर केंद्रित है. यह देश में पहली बार हो रहा है कि इसमें साहित्य कला और विज्ञान सहित विभिन्न माध्यमों से 200 से अधिक वैज्ञानिक पुरातत्वविद साहित्यकार लेखक पत्रकार फिल्म अभिनेता और नाट्य कलाकार भाग ले रहे हैं. यह समागम जल संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.

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सदानिरा समागम के उद्घाटन समारोह में प्रस्तुतियाँ

भारत भवन में आयोजित इस समारोह में मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने वीर भारत ट्रस्ट मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद तथा मध्यप्रदेश आदिवासी लोक कला एवं बोली विकास अकादमी द्वारा प्रकाशित पुस्तकें सदानिरा पृथ्वी पानी का देश है.अमृत जलधारा चार खंड और ‘जल धारा’ का विमोचन किया. इससे पहले ऋषिकेश पांडे द्वारा निर्देशित लघु फिल्म सदानिरा लॉन्च की गई.

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सदानिरा समागम के उद्घाटन अवसर पर पहली प्रस्तुति स्मिता नागदेव – राहुल शर्मा भोपाल द्वारा संगीत और कविता की जुगलबंदी साउंड ऑफ रिवर की प्रस्तुत की गई. यह संगीतमय प्रस्तुति प्रकृति के प्राणदायी प्रवाह को वाणी और शब्दों में बांधने का एक सशक्त और संवेदनशील प्रयास था. इन गीतों में नदियों की गति उनके कल-कल की ध्वनि और उनकी जीवनदायिनी शक्ति को रोचक अभिव्यक्तियों में व्यक्त किया गया. वहीं दूसरी प्रस्तुति विदुषी शमा भाटे पुणे द्वारा निर्देशित नृत्य-नाटिका हमसफ़र की थी जो वितास्ता और गोदावरी के बीच एक संवाद है.

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