नई दिल्ली
दिल्ली की एक अदालत ने चाइल्ड वेल्फेयर कमिटी (CWC) को बुरी तरह लताड़ लगाई है। कोर्ट ने कहा कि CWC के सदस्यों को प्रॉपर ट्रेनिंग की डरूरत है ताकि बच्चे का देखभाल और प्रोटेक्शन सुनिश्चित हो सके। दरअसल, एक महिला पर अपनी ही 16 साल की नाबालिग बेटी को वेश्यावृत्ति में ढकेलने का आरोप था। लेकिन चाइल्ड वेल्फेयर कमिटी ने बच्ची की कस्टडी आरोपी मां को ही दे दी थी।
जज ने कहा, ‘मेरा पक्का मानना है कि सीडब्लूसी अपनी ड्यूटी और जिम्मेदारी निभाने में नाकाम रही है। मेरी राय में सीडब्लूसी के सभी सदस्यों को प्रॉपर ट्रेनिंग दी जानी चाहिए ताकि बच्चे का देखभाल और प्रोटेक्शन सुनिश्चित हो सके। किसी बच्चे को इस तरह अनजान और असुरक्षित माहौल में नहीं छोड़ा जा सकता।’
कोर्ट ने होम सेक्रटरी को इस मामले में की गई कार्रवाई पर रिपोर्ट (एक्शन टेकेन रिपोर्ट) फाइल करने का निर्देश दिया है। सूत्रों के मुताबिक, लड़की की शिकायत पर उसकी मां और एक अन्य शख्स के खिलाफ पिछले साल आईपीसी की धारा 354, 323 और 366 A के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। दोनों आरोपी फिलहाल जमानत पर बाहर हैं।
चाइल्ड वेल्फेयर कमिटी ने कोर्ट को ये जानकारी दी कि उसने 7 अक्टूबर 2021 को पीड़ित को उसकी बड़ी बहन के हवाले कर दिया है। हालांकि, 15 फरवरी 2022 को बड़ी बहन और मां ने उसे उचित देखभाल और प्रोटेक्शन देने में असमर्थता का इजहार किया। जिसके बाद कमिटी ने बच्ची को निर्मल छाया कॉम्पलेक्स में भेज दिया। उसके बाद इसी साल 22 मार्च को सीडब्लूसी ने बच्ची की कस्टडी उसकी मां को दे दी।
कोर्ट ने कहा कि कमिटी इस बात को समझने में नाकाम रही कि पीड़ित को आज अगर देखभाल और प्रोटेक्शन की जरूरत है तो इसकी वजह यह है कि उसकी मां/आरोपी ने उसे वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर किया था। अब बच्ची की कस्टडी मां को देने का मतलब है कि बच्ची को फिर से ठीक उसी स्थिति में छोड़ना, जहां से वह बचाई गई थी। कोर्ट ने कहा कि अगर 15 फरवरी को मां और बड़ी बहन को उसकी देखभाल बोझ लगने लगी तो 22 मार्च को ऐसा क्या हो गया जो मां उसकी उचित देखभाल में सक्षम हो गई।