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मुलायम का वो आखिरी सलाम: करहल का मंच, अखिलेश का चुनाव और दिल जीत ले गए ‘धरतीपुत्र’

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मैनपुरी

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के निधन पर पूरा देश शोक में डूब गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर दुख व्यक्त किया और कहा कि मुलायम सिंह यादव जी एक विनम्र और जमीनी नेता थे। वह जनता की समस्याओं को लेकर संवेदनशील रहते थे। उन्होंने लोकनायक जय प्रकाश और डॉ राम मनोहर लोहिया के विचारों का प्रचारित करने में पूरा जीवन लगा दिया। वैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही नहीं देश की तमाम शख्सियतें मुलायम सिंह यादव के जुझारूपन की कायल रही हैं। उत्तर प्रदेश की राजनीति में पिछड़ों, गरीबों की आवाज बुलंद करने में मुलायम सिंह यादव अगुआ रहे। उनके गरीबों के हितों के लिए जुझारूपन को देखते हुए ही उन्हें ‘धरती पुत्र’ कहा जाने लगा। ये मुलायम सिंह यादव का अथक परिश्रम ही था कि अपने गठन के बाद से ही समाजवादी पार्टी सत्ता में अपनी धमक पेश करने लगी। तीन दशकों में मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी को नई ऊंचाइयां दीं। राजनीति में तमाम ऊंच-नीच के पल आए लेकिन मुलायम सिंह यादव का जुझारू अंदाज कायम रहा।

इसी साल जब मुलायम सिंह यादव अपनी बढ़ती उम्र से जूझ रहे थे और तबियत से काफी परेशान रहने लगे थे। वह चीजें भूलने लगे थे लेकिन राजनीति का दामन उन्होंने नहीं छोड़ा था। हालांकि सक्रिय राजनीति से वह दूर हो गए थे लेकिन सपा कार्यक्रमों में खासतौर पर युवाओं को संबोधित करने में वह पीछे नहीं रहते थे।आखिरी बार इसी साल फरवरी में मुलायम सिंह यादव सार्वजनिक चुनावी मंच पर दिखाई दिए। मौका था यूपी विधानसभा चुनाव का और सीट थी मैनपुरी की करहल सीट, जहां से अखिलेश यादव चुनाव लड़ रहे थे। उनके मुकाबले में एसपी सिंह बघेल खड़े थे। दरअसल मुलायम सिंह यादव का नाम तो समाजवादी पार्टी के स्टार प्रचारकों की लिस्ट में टॉप पर था लेकिन दो फेज का चुनाव बीत चुका था और नेताजी अब तक कहीं नहीं निकले थे। आखिरकार 17 फरवरी को मुलायम सिंह यादव तबियत खराब होने के बाद भी चुनावी मंच पर दिखाई दिए। मुलायम के मंच पर आए तो समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं में जोश भर गया। वह कमजोर दिख रहे थे लेकिन कार्यकर्ता अपने बीच नेताजी को देखकर ही ऊर्जान्वित हो उठे थे।

मुलायम सिंह ने करहल की जनता को संबोधित किया और किसानों, नौजवानों एवं व्यापारियों को देश के विकास के लिए मजबूत स्तंभ करार दिया। उम्र और खराब तबियत का असर मुलायम पर साफ दिखाई दे रहा था। इस दौरान वह अखिलेश यादव का नाम भूल गए, यही नहीं वोट मांगना भी भूल गए। मुलायम की आवाज पर उम्र का असर दिख रहा था लेकिन उन्होंने भाषण जारी रखा। उन्होंने कई बार दोहराया कि सपा सरकार किसानों, व्यापारियों और युवाओं के लिए काम करेगी। इसी दौरान मुलायम जनता का आभार जताया और भाषण खत्म करने लगे तो बगल में खड़े धर्मेंद्र यादव ने उन्हें एक पर्ची पकड़ाई और करीब आकर कहा- वोट मांगिए। मुलायम सिंह यादव हंस दिए। इसके बाद उन्होंने अपील की तो अपने बेटे अखिलेश यादव का ही नाम भूल गए और कहा कि जो भी यहां उम्मीदवार हैं, उन्हें जिता देना। इस पर धर्मेंद्र ने फिर याद दिलाया तो मुलायम सिंह यादव ने कहा कि अखिलेश यादव को भारी मतों से जिता देना।

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