अमेरिका और फ्रांस में पत्नी के साथ जबरन सेक्स पर सजा, तो भारत में अब तक क्यों नहीं बना कानून?

नई दिल्ली

महंगाई, बेरोजगारी, प्रदूषण के अलावा भी देश में एक और अहम मुद्दा है, जिस पर आमतौर पर चर्चा तभी होती है, जब सुप्रीम कोर्ट की ओर से कुछ प्रतिक्रिया दी जाती है। हां, आपने सही समझा, हम बात कर रहे हैं नाबालिग पत्नी से जबरन रेप के मामलों की। भारत में आज भी अधिकांश लोग इस मुद्दे पर खुलकर चर्चा नहीं करते हैं, कुछ लोगों का मत है कि इससे वैवाहिक जीवन प्रभावित होता है, तो कुछ लोग मानते है कि शादी के बाद रेप जैसा कुछ भी नहीं होता है। पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाना तो पति का अधिकार होता है। पिछले कई सालों से मैरिटल रेप और नाबालिग पत्नी के साथ जबरन रेप के मामलों को अपराध की श्रेणी में लाने के लिए कुछ सामाजिक संगठन प्रयास कर रहे हैं, मगर सरकार की इच्छा शक्ति की कमी के चलते यह मामला उलझा हुआ है और इस पर कानून नहीं बन सका है।

हालांकि यह ज्वलंत मुद्दा बीच-बीच में जरूर उठता है। आज इस मुद्दे का जिक्र इसलिए हो रहा है, क्योंकि दिल्ली के उपराज्यपाल की ओर से गृह मंत्रालय को इस संबंध में एक प्रस्ताव भेजा गया है, जिसमें कहा गया है कि 15 से 18 साल के बीच की पत्नी के साथ बिना उसकी मर्जी के यौन संबंध बनाने पर भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत उसे बलात्कार माना जाए। बता दें कि भारत में लड़की की शादी की उम्र 18 वर्ष है जबकि लड़कों के लिए शादी की उम्र 21 वर्ष है।

गृह मंत्रालय ने सरकारों की राय मांगी थी
दिल्ली पुलिस के सूत्रों के मुताबिक दिल्ली के LG वी के सक्सेना ने गृह मंत्रालय को आईपीसी की धारा 375 के अपवाद 2 को खत्म करने की सिफारिश करते हुए एक प्रस्ताव भेजा है। गृह मंत्रालय ने दिल्ली हाई कोर्ट में उस रिट याचिका को लेकर सरकारों की राय मांगी थी, जिसमें आईपीसी की धारा 375 के अपवाद 2 की वैधता को चुनौती दी गई है। आईपीसी की धारा 375 के अपवाद 2 को इस आधार पर चुनौती दी गई है कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन करता है। साथ ही यह पॉक्सो एक्ट के प्रावधानों के अनुरूप भी नहीं है।

क्या कहता है इंडियन लॉ?
भारतीय कानून के तहत नाबालिग पत्नी के साथ रेप अपराध नहीं है। रेप को दंडनीय अपराध घोषित करने वाली IPC की धारा 375 के (अपवाद-2) के मुताबिक मैरिटल रेप को अपराध नहीं माना गया है। अपवाद 2 में यह प्रावधान किया गया है कि यदि 15 से 18 वर्ष के बीच की लड़की की शादी हो जाती है, तो उसका पति उसके साथ गैर-सहमति से यौन संबंध बना सकता है और आईपीसी के तहत उसे दंडित करने का प्रावधान नहीं है। इसका ये भी मतलब है कि पति अगर जबरन सेक्स संबंध बनाए तो भी वह अपराध और रेप नहीं माना जाएगा। आपको बता दें कि भारत, पाकिस्तान, चीन, बांग्लादेश, अफगानिस्तान समेत केवल 34 देशों में मैरिटल रेप अपराध नहीं है।

नए प्रस्ताव में क्या है?
नए प्रस्ताव के तहत अगर आईपीसी में संशोधन किया जाता है, तो 15 से 18 वर्ष के बीच की पत्नी के साथ गैर-सहमति से यौन संबंध बलात्कार की श्रेणी में आएगा और आईपीसी के तहत दंडनीय होगा। साथ ही सिफारिश लागू होने पर यौन अपराधों से बच्चों को बचाने संबंधी अधिनियम (पॉक्सो) के बीच की विसंगति को भी दूर करेगा, जो 18 वर्ष तक के किसी भी व्यक्ति के खिलाफ अपराधों और आईपीसी के प्रचलित प्रावधानों पर लागू होता है। गृह मंत्रालय के एक पत्र के जवाब में दिल्ली पुलिस और कानून विभाग की ओर से इस आशय का प्रस्ताव पेश किया गया था।

नाबालिग पत्नी के साथ शारीरिक संबंध रेप माना जाए: SC
पांच साल पहले 11 अक्टूबर, 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग पत्नी से शारीरिक संबंध पर बड़ा फैसला सुनाया था। देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा है कि नाबालिग पत्नी के साथ शारीरिक संबंध रेप माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी की उस धारा (IPC375(2)) को असंवैधानिक बताया है, जिसके मुताबिक 15 से 18 साल की बीवी से उसका पति संबंध बनाता है तो उसे दुष्कर्म नहीं माना जाएगा। हालांकि, बाल विवाह कानून के मुताबिक शादी के लिए महिला की उम्र 18 साल होनी चाहिए। कोर्ट के फैसले के मुताबिक यदि नाबालिग पत्नी एक साल के भीतर शिकायत करती है तो पति पर रेप का मुकदमा चलेगा।

सरकार का पक्ष जानिए
केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में शपथ पत्र देकर कहा था कि वैवाहिक दुष्कर्म को भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत अपराध की श्रेणी में नहीं रख सकते। इससे शादी के बंधन को क्षति पहुंच सकती है। इसके अलावा पुरुषों या पतियों को प्रताड़ित करने का आसान हथियार बन सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था।

हिंदू मैरिज ऐक्ट में 18 साल से कम उम्र की शादी अमान्य नहीं
रेप के अपवाद के खिलाफ बहस का मुख्य मुद्दा यह है कि अगर कोई महिला शादीशुदा नहीं है तो उसकी सहमति और असहमति के मायने हैं, लेकिन शादी होने के साथ ही उसकी सहमति और असमहित के मायने नहीं थे। वैसे बाल विवाह निरोधक कानून में प्रावधान है कि 18 साल कम उम्र में शादी नहीं हो सकती। हालांकि हिंदू मैरिज ऐक्ट में प्रावधान है कि 18 साल से कम उम्र की लड़की की शादी हो सकती है और ये शादी अमान्य नहीं है। ये शादी अमान्य करार दिए जाने योग्य है और ये तभी अमान्य हो सकती है जब लड़की-लड़का बालिग होने के बाद ऐसा चाहे अन्यथा वह शादी मान्य हो जाती है।

दुनिया के इन देशों में पत्नी के साथ जबरन सेक्स को अपराध माना गया है-

-अमेरिका ने 5 जुलाई 1993 को सभी 50 राज्यों में मैरिटल रेप को क्राइम घोषित किया था। एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में 10 से 14 फीसदी विवाहित महिलाओं के साथ वैवाहिक दुष्कर्म की घटनाएं होती हैं। एक तिहाई महिलाओं के साथ उनके पति बिना उनकी सहमति के शारीरिक संबंध बनाते हैं। यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 तक दुनिया के 150 देश मैरिटल रेप को अपराध घोषित कर चुके थे।

– फ्रांस में 1990 में कोर्ट ने मैरिटल रेप को अपराध माना था। फ्रांस की सरकार ने 1992 में एक शख्स को इस मामले में दोषी भी ठहराया था। लोगों की डिमांड पर 1994 में फ्रांस सरकार ने इसे अपराध की श्रेणी में रख दिया था। वहीं ब्रिटेन ने 1991 और जर्मनी में 1997 में इसे अपराध घोषित किया गया। उधर ग्रीस में 24 अक्टूबर 2006 को वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध माना गया।

-ऑस्ट्रिया में मैरिटल रेप को साल 1989 में आपराध घोषित कर दिया गया था। वर्ष 2004 में सरकार ने इसे स्टेट ऑफेंस करार दे दिया। इसके तहत अगर पीडि़ता शिकायत नहीं भी करती है तो सरकार इस केस को अदालत में लड़ेगी। वहीं फिनलैंड ने 1994 में इसे अपराध की श्रेणी में रखा गया था। 1922 में सोवियत यूनियन मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने वाले पहला देश था। सोवियत संघ के बाद 1932 में पोलैंड ने मैरिटल रेप को अपराध घोषित किया था।

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