2017 में भेल की थ्रिफ्ट में पैनल बनी, जीते फिर फाड़ नतीजा हार

भोपाल

भेल में राजनीति भी अजीबों गरीब है कब दुश्मन दोस्त बन जाता है और दोस्त दुश्मन इस बात को भेल के कर्मचारी समझ ही नहीं पा रहे हैं । ऐसे एक नहीं कई मामले सामने आये हैं । फिलहाल वर्ष 2017 के बीएचईई थ्रिफ्ट एंड क्रेडिट को-ऑपरेटिव चुनाव की बात करें तो जिन लोगों ने एक पैनल बनाकर चुनाव लड़ा वह जीत तो गये । सत्ता में भी पांच साल दस महीने काबिज हो गये लेकिन इस बीच जब इस पैनल के डायरेक्टरों में दो फाड़ हुये और पिछले दस महीने सोशल मीडिया पर एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाये उसे भेल कर्मियों ने खुली आंखों से न केवल देखा बल्कि समझा भी की आखिर यह लोग अपनी ही संस्था की किस तरह बदनाम कर रहे हैं । नतीजा साफ है कि जब वर्ष नवंबर 2022 में इस संस्था के चुनाव भले ही देर से हुये हों मामला कोर्ट कचहेरी तब पहुंचा हो लेकिन भेल कर्मचारियों ने 2017 के नेताओं को धूल चटा दी । इस पुरानी पैरानी पैनल को याद करें तो उसमें से एक डायरेक्टर और दूसरा डायरेक्टर सब मिलाकर दो डायरेक्टर ही जीत पाये यहां तक कि इनके पुराने चार डायरेक्टर भी चुनाव हार गये । पहले वाले को बहुमत तक नहीं मिला तो दूसरों का सहारा लेना पड़ा । यह सहारा भी आगे चलकर काफी महंगा पड़ सकता है कारण साफ है कि आज भी एक डायरेक्टर इस संस्था का अध्यक्ष बनने की भीतर ही भीतर जोड़-तोड़ कर रहा है । लाभ-शुभ जो भी हो लेकिन इनको कब सफलता मिलेगी इसको लेकर कई तरह की चर्चाए जारी है लेकिन यह सब कब होगा इसका इंतजार चुनिंदा नेताओं को है ।

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