दिल्ली में आप की मेयर बनवाने में जुटी है बीजेपी! आखिर इस अजीब उतावलेपन की वजह क्या है?

नई दिल्ली

कानून के मुताबिक दिल्ली में मेयर का चुनाव अप्रैल में ही हो सकता है। चूंकि अप्रैल आने में अभी लगभग साढ़े तीन महीने बाकी हैं और पार्षदों के पाला बदलने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है, इसलिए आप की भारी जीत के बाद भी मेयर चुनाव में खेल की गुंजाइश बनी हुई है। वैसे भी कई राज्यों में विधायकों के पाला बदलने से सत्ता का पलड़ा एक तरफ से दूसरी तरफ झुक चुका है। हालांकि, कहा जा रहा है कि बीजेपी नहीं चाहती है कि आम आदमी पार्टी (AAP) को दिल्ली में अपना मेयर बनवाने में कोई मुश्किल हो। आपको लग सकता है कि पार्षद पाला बदलकर आ जाएं तो फिर बीजेपी अपना मेयर बनाने की कोशिश क्यों नहीं करेगी?

एमसीडी मेयर की रेस से दूर रहेगी बीजेपी
दरअसल, बीजेपी ने एमसीडी मेयर चुनाव की रेस से खुद को इसलिए अलग कर लिया है क्योंकि वह चाहती है कि आप अपने चुनावी वादों में फंसकर खुद ही नुकसान करवा लेगी। सूत्रों ने कहा है कि बीजेपी विपक्ष में बैठेगी ताकि वादे पूरा नहीं हो पाने की स्थिति में आप को बहानेबाजी का मौका नहीं मिल पाए। बीजेपी के बड़े अधिकारियों ने हमारे सहयोगी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया (ToI) से कहा कि पार्टी के ज्यादातर लोगों को मेयर चुनाव की रेस से दूर रहने में ही भलाई दिख रही है। उन्हें लगता है कि आप ने चुनाव में कई ऐसे बड़े-बड़े वादे कर लिए हैं जो व्यावहारिक नहीं हैं, इसलिए उन्हें पूरा कर पाना लगभग असंभव है। अगर आप अपने किए प्रमुख वादों को पूरा करने में असफल रहती है तो बीजेपी को अगले चुनावों में उस पर हमला करने के बड़े मौके हाथ लग जाएंगे। बीजेपी के एक पदाधिकारी ने कहा कि अब तक किसी भी पार्टी सांसद और पार्षद को आप के पार्षदों को लुभाने के प्रयासों के लिए नहीं कहा गया है।

दूर की सोच रही है बीजेपी
ध्यान रहे कि पार्षदों के पार्टी बदलने में कोई कानूनी अड़चन नहीं होती है क्योंकि निगम में दल-बदल विरोधी कानून लागू नहीं होता है। दिल्ली के मेयर चुनाव में सभी 250 निर्वाचित पार्षद मतदान करेंगे। नियमों के मुताबिक, दिल्ली की पहली मेयर महिला जबकि तीसरे वर्ष में आरक्षित श्रेणी का ही मेयर होना चाहिए। बीजेपी के एक अन्य पदाधिकारी ने कहा, ‘एमसीडी चुनाव में बीजेपी के खिलाफ माहौल बनने का एक मुख्य कारण यह था कि दिल्ली सरकार ने फंडिंग रोक दी जिससे एमसीडी कर्मियों की सैलरी लटक जाती थी। साथ ही, कई विकास कार्यों को भी अंजाम तक नहीं पहुंचाया जा सका। अगर बीजेपी का मेयर होगा तो फिर से वही स्थिति पैदा होगी।’ उन्होंने कहा, ‘कूड़े के पहाड़ों को अगले पांच वर्ष में खत्म करने जैसे वादे व्यावहारिक नहीं हैं, इसलिए हमें अगले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में जनता के सामने आप की असलियत उजागर करने का मौका मिलेगा।’

आप-बीजेपी में आरोप-प्रत्यारोप
आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने बीजेपी पर उनके पार्षदों को धमकाने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि बीजेपी हमारे पार्षदों को लुभाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा था, ‘ये आप के निर्वाचित पार्षद हैं। उन्हें खरीद पाना असंभव है। मैं दिल्ली के पुलिस कमिश्नर से पार्षदों की खरीद-फरोख्त करने के प्रयास में जुटे या उन्हें धमकी दे रहे लोगों को गिरफ्तार करें।’ उधर, बीजेपी ने भी इसी तरह का आरोप आप पर लगाया। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला और पार्टी के दिल्ली प्रदेश प्रवक्ता हरीश खुराना ने कहा कि कथित आप नेता शिखा गर्ग ने आनंद विहार की बीजेपी पार्षद मोनिका पंत को पार्टी बदलने के लिए फोन किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि शिखा ने मोनिका से कहा था कि अगर वो बीजेपी छोड़कर आप में आ जाती हैं तो उन्हें अपने क्षेत्र के लिए ज्यादा फंड दिया जाएगा।

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