28.5 C
London
Tuesday, July 1, 2025
Homeराज्यनीतीश कुमार का मन डोल रहा है, सच होने जा रही है...

नीतीश कुमार का मन डोल रहा है, सच होने जा रही है प्रशांत किशोर की एक और भविष्यवाणी?

Published on

पटना

श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित जेडीयू अधिवेशन में सीएम नीतीश कुमार की ओर से दिए गए भाषण के बाद बिहार की राजनीति में नई चर्चाओं का हवा दे दी है। जेडीयू के इस अधिवेशन के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो गई है कि क्या नीतीश कुमार का मन फिर से डोल रहा है। सीएम नीतीश ने अधिवेशन में कुछ ऐसी बातें कही जिसके बाद से इस तरह के सवाल उठ रहे हैं। इतना हीं नहीं सीएम के भाषण के बाद सवाल उठने लगे हैं कि क्या चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की ओर से नीतीश कुमार को लेकर की गई भविष्यवाणी सच होने जा रही है। सोमवार की सुबह जब लोगों के हाथों में अखबार पहुंचे और उन्होंने नीतीश कुमार के भाषण की बातें पढ़ी उसके बाद से आम लोगों के मन में भी कई तरह के सवाल उठने लगे हैं।

सीएम नीतीश के किन बातों पर उठा मन डोलने वाली बात?
जेडीयू कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए सीएम नीतीश ने बताया कि वह बीजेपी से क्यों अलग हुए। नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार सरकार में वरिष्ठ मंत्री बिजेंद्र यादव और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह की सलाह पर उन्होंने एनडीए से अलग होने का फैसला लिया। उन्होंने यह भी कहा कि इन्हीं दोनों नेताओं ने सलाह दी थी कि एनडीए से अलग होकर महागठबंधन में शामिल होकर सात दलों की सरकार बनाएं। इस दौरान सीएम नीतीश ने आरोप लगाया कि 2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के साथ होने के बावजूद उन्होंने जेडीयू को डैमेज करने का काम किया। आरोप लगाया कि बीजेपी बिहार में जेडीयू को पूरी तरह से कमजोर करने के एजेंडे पर काम कर रही थी।

बिहार के राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो सीएम नीतीश जब कभी किसी फैसले के लिए पार्टी के किसी दूसरे नेता को जिम्मेवार ठहराते हैं तब वह कोई राजनीतिक दांव चलते हैं। उदाहरण के लिए 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद से ही नीतीश कुमार लगातर कहते रहे कि उन्होंने बीजेपी के कहने पर मुख्यमंत्री की कुर्सी स्वीकार की है। इन बयानों के बाद नीतीश कुमार एनडीए से अलग होकर महागठबंधन में शामिल हुए। इससे पहले 2015 में बने महागठबंधन से 2017 में अलग होकर एनडीए में दोबारा जाने के सवाल पर वह कहते थे कि कैबिनेट के अहम सहयोगी अशोक चौधरी और बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी की सलाह पर उन्होंने महागठबंधन से अलग होकर दोबारा बीजेपी से गठबंधन करने का फैसला लिया था। अब नीतीश कुमार एक बार फिर से महागठबंधन में जाने के सवाल पर ललन सिंह और बिजेंद्र यादव की सलाह को जिम्मेदार बता रहे हैं। इस वजह से उनके एक बार फिर से पाला बदलने का सवाल उठाया जा रहा है।

नीतीश कुमार के पाला बदलने पर प्रशांत किशोर के तर्क में कितना दम
चुनावी रणनीतिकार इन दिनों बिहार में स्वराज यात्रा कर रहे हैं। इस दौरान वह सीएम नीतीश को लेकर लगातार बयान दे रहे हैं। इसी दौरान प्रशांत किशोर ने कुढ़नी उपचुनाव में जेडीयू प्रत्याशी की हार के बाद आरोप लगाया है कि नीतीश कुमार एक बार फिर से पाला बदल सकते हैं। इससे पहले प्रशांत ने तर्क दिया था कि जेडीयू के एनडीए से अलग होने के बाद भी नीतीश कुमार के करीबी हरिवंश राज्यसभा के उपसभापति बने हुए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि हरिवंश के जरिए नीतीश कुमार एक बार फिर से एनडीए में जाने का ऑप्शन रखे हुए हैं।

कुढ़नी की हार के बाद पीएम की बुलाई बैठक में पहुंचे नीतीश
भारत को मिली जी20 की अध्यक्षता को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। पहली बैठक 5 दिसंबर को बुलाई गई तब नीतीश कुमार उसमें शामिल नहीं हुए। इस मुद्दे पर पीएम ने दूसरी बैठक 11 दिसंबर को बुलाई तब सीएम नीतीश कुमार इसमें शामिल हुए। यहां गौर करने वाली बात यह है कि पहली बैठक जब हुई तब कुढ़नी उपचुनाव के रिजल्ट नहीं आए थे। वहीं दूसरी बैठक जब हुई तब कुढ़नी उपचुनाव में जेडीयू की हार हो चुकी थी। नीतीश कुमार के पुराने सहयोगी और बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी भी इस बात पर ध्यान दिला चुके हैं। सुशील मोदी ने आरोप लगाया था कि कुढ़नी के रिजल्ट से नीतीश कुमार को समझ में आ गया कि उनका वोटबैंक उनसे दूर जा चुका है। इसलिए वह पीएम की ओर से बुलाई गई बैठक में पहुंचे थे।

खुद जिम्मेदारी लेने से क्यों पीछे हटते हैं सीएम नीतीश
हर बड़े राजनीतिक फैसला लेने के बाद नीतीश कुमार इसके लिए दूसरों को जिम्मेदार बता देते हैं। जब वह महागठबंधन से एनडीए में आए तो सुशील कुमार मोदी और अशोक चौधरी की सलाह, जब एनडीए से अलग होकर महागठबंधन में गए तो बिजेंद्र यादव और ललन सिंह की सलाह। जब आरसीपी सिंह केंद्र में मंत्री बने तो बतौर अध्यक्ष उन्होंने खुद ले लिया फैसला। अमित शाह के कहने पर प्रशांत किशोर को जेडीयू में लेने का फैसला। इससे पहले 2014 की हार शर्मनाक हार के बाद शरद यादव की सलाह पर 2015 में महागठबंधन में जाने का फैसला। नीतीश कुमार के ऐसे कई बयान हैं जिसमें वह बड़े राजनीतिक फैसलों के लिए दूसरों को जिम्मेदार बताते रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या नीतीश कुमार इतना लंबा राजनीतिक अनुभव होने के बाद भी खुद राजनीतिक फैसले नहीं लेते हैं।

Latest articles

लापरवाह अधिकारियों पर होगी सख्त कार्यवाई: राज्यमंत्री श्रीमती गौर

भेल भोपाललापरवाह अधिकारियों पर होगी सख्त कार्यवाई: राज्यमंत्री श्रीमती गौर,पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण...

MP Guest Teachers Bharti:मध्य प्रदेश में गेस्ट टीचर्स की बंपर भर्ती 70 हज़ार पदों पर ऑनलाइन आवेदन 30 जून से शुरू

MP Guest Teachers Bharti: मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया...

More like this

Jyotiraditya Scindia:मोबाइल पर अमिताभ की कॉलर ट्यून से ज्योतिरादित्य सिंधिया भी परेशान हटाया जा सकता है संदेश

Jyotiraditya Scindia:मोबाइल कॉल करने से पहले सुनाई देने वाली साइबर जागरूकता कॉलर ट्यून जिसमें...

मध्य प्रदेश में सदानिरा समागम का आगाज CM मोहन यादव बोले- प्रदेश में गंगा-यमुना से भी ज्यादा जल

CM : मध्य प्रदेश में जल संरचनाओं के संरक्षण के लिए चलाए जा रहे...

MP Unique Transfer: भ्रष्टाचार में जेल में बंद पटवारी का भी हो गया ट्रांसफर

MP Unique Transfer:हाल ही में मध्य प्रदेश में तबादला नीति के तहत अधिकारियों और...