शिमला
चार बार के विधायक सुखविंदर सिंह सुक्खू ने रविवार को हिमाचल प्रदेश के 15वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। छत्तीसगढ़, राजस्थान के बाद हिमाचल तीसरा राज्य है, जहां कांग्रेस की सरकार बनी है। समारोह में सुक्खू की मां, पत्नी और बेटियां भी मौजूद थीं। सुखविंदर सिंह सुक्खू का हिमाचल प्रदेश का सीएम बनने तक का सफर आसान नहीं था। सुक्खू का बचपन बहुत की कठिनाइयों में गुजरा। मां को बेटे के भविष्य को लेकर चिंता रहती थी। बेटे ने शपथ ली तो मां भावुक हो उठीं। सुक्खू के करीबी लोगों ने उनके पुराने दिन याद किए। पिता रसील सिंह शिमला में हिमाचल रोडवेज ट्रांसपोर्ट में ड्राइवर थे। सुक्खू को खुद अखबार बेचने से लेकर दूध बेचने तक का काम करना पड़ा। यहां तक कि उन्हें वॉचमैन की नौकरी तक करनी पड़ी।
सुक्खू के पिता की मामूली ड्राइवर की नौकरी से परिवार के खर्च पूरे नहीं हो पाते थे। सैलरी कम थी, सुक्खू कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे। पिता के पास फीस देने को रुपये नहीं थे तो सुक्खू ने अपना खर्च निकालने के लिए छोटा शिमला में अखबार बेचना शुरू किया।
काम करके पूरी की पढ़ाई
सुक्खू सुबह जल्दी उठकर अखबार डालने लगे। उसके बाद सुबह का बाकी समय दूध बेचने में लगाने लगे। दिन में कॉलेज की पढ़ाई करते। इसी तरह सुक्खू ने अपना ग्रैजुएशन पूरा किया। वह अपनी पढ़ाई का खर्च उठाने और परिवार का हाथ बंटाने के लिए तड़के उठते थे और देर रात तक काम करते थे।
वॉचमैन की नौकरी से बने हेल्पर
सुक्खू को उनके परिवार के लोग श्यामा कहकर पुकारते थे। ग्रैजुएशन के बाद सुक्खू की बिजली विभाग में वॉचमैन की नौकरी लग गई। वह वॉचमैन की नौकरी करने लगे। यहां नौकरी के बाद उनके काम को देखते हुए इसी विभाग में उन्हें हेल्पर की पोस्ट पर प्रमोट कर दिया गया। सुक्खू आगे बढ़ना चाहते थे इसलिए कड़ी मेहनत करते रहे।
90 के दशक में चलाया पीसीओ
सुक्खू पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री पंडित सुखराम के करीबी भी रहे हैं। नब्बे के दशक में जब हिमाचल प्रदेश में पंडित सुखराम संचार की क्रांति लेकर आए तो सुक्खू ने उनकी मदद से एक पीसीओ खोला। काफी समय तक वह पीसीओ भी चलाते रहे। सुखराम के करीबी होने का उन्हें फायदा मिला और उनकी मदद से ही उनका राजनीतिक करियर शुरू हुआ।
ऐसे शुरू हुआ सुक्खू का राजनीतिक करियर
सुक्खू कांग्रेस से संबद्ध नेशनल स्टूडेन्ट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) की राज्य इकाई के महासचिव थे। उन्होंने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से एमए और एलएलबी की थी। जमीनी स्तर पर काम करते हुए वह दो बार शिमला नगर निगम के पार्षद चुने गए थे। उन्होंने 2003 में नादौन से पहली बार विधानसभा चुनाव जीता और 2007 में सीट बरकरार रखी लेकिन 2012 में वह चुनाव हार गए थे। इसके बाद 2017 और 2022 में उन्होंने फिर से जीत दर्ज की।
सुक्खू के चार भाई-बहन हैं। वह खुद दूसरे नंबर के हैं। उनके सबसे बड़े भाई राजीव सेना से रिटायर हैं। उनकी दो छोटी बहने हैं जिनकी शादी हो चुकी है। सुक्खू की शादी 11 जून 1998 को कमलेश ठाकुर नाम की युवती से हुई थी। सुक्खू की दो बेटियां हैं जो दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) से पढ़ाई कर रही हैं।