तिरुअनंतपुरम
केरल हाईकोर्ट ने एक मामले में एक विवाहित महिला का हौसला बढ़ाने के लिए पाकिस्तान की नोबल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई का जिक्र किया। कोर्ट का कहना था कि हमेशा माता-पिता के बताए रास्ते पर चलने की जरूरत नहीं है। मलाला से सीख लो और मलाला की तरह बहादुर बनो।
केरल हाईकोर्ट habeas corpus case की सुनवाई कर रहा था। इसमें एक शख्स ने आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी और बच्चे को उसके ससुराल वालों ने जबरन अपने पास रखा हुआ है, जबकि वो उसके साथ रहना चाहती है। हाईकोर्ट की सुनवाई के दौरान महिला हिजाब पहनकर जूम मीटिंग पर आई। कोर्ट ने उससे कुछ सवाल जवाब किए।
महिला इस बात के लिए पूरी तरह से आश्वस्त थी कि वह अपने बच्चे और अपने पति के साथ रहना चाहती है। न्यायमूर्ति अलेक्जेंडर थॉमस के सवालों के जवाब में उसने कहा कि भले ही उसके माता-पिता शादी को आगे ले जाने के पक्ष में नहीं हैं, लेकिन वह अब जो करना चाहती थी वह उसके लिए खड़ी है।
कोर्ट ने किया मलाला युसुफजई का जिक्र
फिर जस्टिस अलेक्जेंडर थॉमस ने बेंच के दूसरे जज से पूछा कि पाकिस्तान की उस लड़की का नाम क्या था। फिर वो बोले कि मलाला की तरह से बहादुर बनो। जिंदगी के फैसले बहादुरी से करो। हमेशा माता पिता की बताई लीक पर चलने की जरूरत नहीं है। महिला का कहना था कि वो आगे पढ़ाई भी करना चाहती है। बेंच ने उसे सलाह दी कि वो इंदिरा गांधी ओपन विवि या किसी दूसरे पत्राचार कोर्स को जॉईन क्यों नहीं करती। कोर्ट का मानना था कि महिला को अपने जीवन को खुशहाल बनाने के लिए आगे पढ़ाई करनी चाहिए।
कोर्ट ने युवती को दी पढ़ाई जारी रखने की सलाह
सुनवाई समाप्त होने से पहले, न्यायमूर्ति अलेक्जेंडर थॉमस ने युवती को अपनी पढ़ाई जारी रखने की सलाह दी क्योंकि उसने 12 वीं कक्षा की परीक्षा पास करने के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी। न्यायाधीश ने कहा, “आप इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विश्वविद्यालय या किसी अन्य पत्राचार पाठ्यक्रम में शामिल क्यों नहीं हो जाते?”