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Sunday, July 6, 2025
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तब भारत में लंच उड़ाकर मीठी-मीठी बातें करने वाले बिलावल अब क्यों हो गए इतने जहरीले!

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नई दिल्ली

पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी इन दिनों चर्चा में हैं। चर्चा की वजह है उनकी बेशर्मी। वह बेशर्मी जो किसी ‘चलनी को सूप पर हंसने’ का दुस्साहस देता है। वह बेशर्मी जो दुनिया के खूंखार आतंकियों के पनाहगाह मुल्क को आतंक के पीड़ित पड़ोसी पर ही उंगली उठाकर खुद को हंसी का पात्र बनाता है। पहले तो बिलावल ने संयुक्त राष्ट्र में पाखंड की हद पार करते हुए पाकिस्तान में बढ़ते आतंकवाद के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया। जहर उगला। और जब विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दुनिया के सबसे बड़े मंच पर आतंक की नर्सरी पाकिस्तान को नंगा कर दिया तो बिलावल ने पीएम मोदी पर बेहद आपत्तिजनक बयान दे डाला। भारत ने बेहद निचले स्तर के उस ‘असभ्य’ बयान की निंदा की है। ये वही बिलावल हैं जिन्होंने कभी भारत में लंच का लुत्फ उठाकर मीठी-मीठी बातें कहीं थी। लेकिन अब वह इतने जहरीले क्यों हो गए, आइए समझते हैं।

तब एक दूसरे से सीखने की बातें कही थीं
बिलावल भुट्टो अप्रैल 2012 में अपने पिता आसिफ अली जरदारी के साथ भारत दौरे पर आए थे। तब उनके पिता पाकिस्तान के राष्ट्रपति थे और 23 साल के बिलावल ने सियासत में कदम ही रखा था। वह पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के चेयरमैन थे। तब डॉक्टर मनमोहन सिंह की अगुआई में यूपीए की सरकार थी। उस दौरे में बिलावल ने यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस के तत्कालीन महासचिव राहुल गांधी से भी अलग-अलग मुलाकात की थी। राहुल के साथ उनकी मुलाकात करीब 40 मिनट तक चली थी। वैसे भी भारत और पाकिस्तान के इन दोनों प्रमुख परिवारों में बहुत पुराना रिश्ता रहा है जो राहुल की दादी इंदिरा गांधी और बिलावल के नाना जुल्फिकार अली भुट्टो के दौर से ही चला आ रहा है। खैर बात उस लंच की जिसके बाद बिलावल ने मीठी-मीठी बातें कही थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आसिफ अली जरदारी के लिए लंच रखा था जिसमें बिलावल भी शामिल हुए। लंच में सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत यूपीए की कई सियासी हस्तियां भी शामिल हुईं। लंच के बाद बिलावल ने ट्वीट किया, ‘राष्ट्रपति (आसिफ अली जरदारी) और मैंने राहुल गांधी और प्रधानमंत्री सिंह (मनमोहन सिंह) के साथ लंच का लुत्फ उठाया। स्वादिष्ट था भोजन। हमें एक दूसरे से बहुत कुछ सीखना है।’

पाकिस्तान की सियासत का बुनियादी उसूल बन चुका है भारत-विरोध
तब मीठी-मीठी बातें करने वाले बिलावल भुट्टो की जुबां इतनी जहरीली क्यों गई है? इसका जवाब पाकिस्तान की राजनीति में छिपा है। बिलावल को पता है कि भारत के खिलाफ वह जितना जहर उगलेंगे, उन्हें पाकिस्तान में इसका उतना ही सियासी फायदा मिलेगा। इसीलिए पाकिस्तानी नेताओं में भारत के खिलाफ जहर उगलने की होड़ लगी रहती है। भारत-विरोध पाकिस्तान की सियासत का बुनियादी उसूल है। वहां आर्मी और सियासतदान भारत के खिलाफ नफरत ही सिखाते और सींचते आए हैं। यहां तक कि मासूम बच्चों तक के दिमाग में ऐसी नफरत घोल दी गई है। जो भारत के खिलाफ जितना जहर उगलेगा, वह पाकिस्तान में उतना ही बड़ा देशभक्त होगा। इस वक्त पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीके इंसाफ ने सत्ताधारी पीएमल-एन और बिलावल की पीपीपी के गठबंधन की सरकार की नाक में दम कर रखा है। आर्मी भी पीटीआई के निशाने पर है। ऐसे में बिलावल भारत के खिलाफ जहर उगलकर खुद को और अपनी पार्टी को ‘बड़ा देशभक्त’ साबित करने की कोशिश कर रहे हैं।

बिलावल ने पार की हद
बिलावल ने पहले तो संयुक्त राष्ट्र में आतंकवाद को लेकर भारत के खिलाफ जहर उगला। उन्होंने पाकिस्तान में बढ़ते आतंकी हमलों के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया। जवाब में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पाकिस्तान की बखिया उधेड़ कर रख दी। कहा कि ओसामा बिन लादेन और मुंबई हमले के गुनहगारों को पनाह देने वाला पाकिस्तान आतंकवाद पर उपदेश मत दे। इसके बाद बिलावल ने तो हद ही पार कर दी। जयशंकर के बयान से तिलमिलाए बिलावल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बहुत ही अपमानजनक टिप्पणी कर दी। उन्हें ‘गुजरात का कसाई’ बता दिया।

आर्मी को खुश रखने के लिए भारत के खिलाफ जहर उगलना बिलावल की मजबूरी
इस जहरीले बोल की दूसरी वजह ये है कि अभी बिलावल भुट्टो सत्ता में हैं लेकिन यह खुला राज है कि पाकिस्तान में असली सत्ता आर्मी के पास ही होती है। इसलिए आर्मी को खुश रखना सत्ताधारी पार्टियों की मजबूरी होती है। इसके लिए भारत के खिलाफ जहर उगलने से अच्छा कोई शॉर्ट कट भला क्या होगा। पाकिस्तानी सेना भारत के खिलाफ जहर को बढ़ावा देती रही है और उसे खुश रखने के लिए वहां के नेता भी आग उगलते हैं। यही वजह है कि सत्ता में रहते हुए पाकिस्तान का कोई नेता भारत के बारे में अच्छी बातें नहीं कहता। क्या पता कौन सी बात आर्मी को चुभ जाए और वह कान उमेठ दे। हां, सत्ता से बाहर रहने पर उन्हीं नेताओं के भारत को लेकर सुर बदल भी सकते हैं। इमरान खान का ही उदाहरण देख लें। जबतक वह सत्ता में थे तबतक भारत के खिलाफ जहर उगलते रहे लेकिन सत्ता से बाहर होते ही वह भारत की विदेश नीति के मुरीद हो गए। कई बार सार्वजनिक तौर पर भारत की विदेश नीति और विदेश मंत्री एस. जयशंकर की तारीफ कर चुके हैं। कहते आ रहे हैं कि भारत को कोई आंख नहीं दिखा सकता। इतना ही नहीं, वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ईमानदारी का हवाला देते हुए नवाज शरीफ के कथित भ्रष्टाचार पर हमला करते हैं। भारत को खुद्दार मुल्क बताते हुए हाल ही में इमरान ने कहा था कि नरेंद्र मोदी की देश के बाहर कोई संपत्ति नहीं है लेकिन भ्रष्ट पाकिस्तानी नेताओं की दूसरे देशों में अरबों की संपत्ति है। सत्ता में रहते इमरान की भाषा अलग थी, अब अलग।

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