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Tuesday, July 1, 2025
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शिंदे गुट को चुनाव आयोग से लगेगा झटका? ‘फर्जी’ एसटी सर्टिफिकेट पर जा सकती है विधायक की सदस्यता

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मुंबई

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट की मुश्किलें आने वाले दिनों में बढ़ सकती हैं। दरअसल नेशनल ट्रिब्यूनल पैनल ने शिंदे गुट की एक एमएलए के जाति प्रमाण पत्र को लेकर जांच शुरू की है। दरअसल हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने एमएलए के जाति प्रमाण पत्र को फर्जी बताया है। इस मामले ने संबंधित अथॉरिटी जल्द अहम निर्णय ले सकती है। जिससे महिला विधायक लताबाई सोनवणे को सदन से डिसक्वालीफाई किया जा सके। लताबाई सोनावणे महाराष्ट्र के जलगांव जिले के चोपडा चुनाव क्षेत्र से जीती थीं। दूसरी तरफ चुनाव आयोग ने नेशनल कमीशन फॉर एसटी को कहा है कि उन्हें महाराष्ट्र के राज्यपाल (Governor) की तरफ से यह पूछा गया है कि क्या लताबाई सोनावणे को फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर डिसक्वालीफाई किया जा सकता है या नहीं? इस मामले में एनसीएसटी (NCST) ने चुनाव आयोग को बताया कि उन्होंने संबंधित मामले की जांच शुरू की है। दरअसल ऐसे मामले में चुनाव आयोग गवर्नर को संविधान के अनुच्छेद 192(2) के तहत अपनी राय दे सकता है।

इस मामले की छानबीन तब शुरू हुई जब चंद्रकांत बरेला की तरफ से नेशनल कमीशन फॉर एसटी में एक याचिका दायर की गई। दरअसल इस चुनाव में बरेला को सोनावणे के समक्ष हार का मुंह देखना पड़ा था। नवंबर के महीने में बरेला ने यह शिकायत की थी कि कोर्ट द्वारा सोनावणे के कास्ट सर्टिफिकेट को फर्जी ठहराए जाने के बावजूद मौजूदा विधायक को सदन से डिसक्वालीफाई नहीं किया गया है। उन्होंने एनसीएसटी को यह भी बताया कि सत्ताधारी दल की महिला विधायक लताबाई सोनावणे काफी प्रभावशाली हैं।

फर्जी जाति प्रमाणपत्र ने बढ़ाई महिला विधायक की मुश्किलें
अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व सीट पर फर्जी प्रमाण पत्र के जरिए है चुनाव लड़ने के बाद लताबाई सोनवणे की सदस्यता विवादों में आ गई थी। उन्होंने यह चुनाव तो शिवसेना के टिकट पर जीता था लेकिन बगावत के बाद वह एकनाथ शिंदे गुट के साथ शामिल हो गईं थी। 9 फरवरी 2022 को सोनावणे द्वारा पेश किया गया अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र को एसटी सर्टिफिकेट स्क्रूटनी कमेटी द्वारा अपात्र ठहराया गया था। इसके बाद सोनावणे ने हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक दौड़ लगाई थी लेकिन वहां भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी और अदालत ने उनके जाति प्रमाण पत्र को जून और सितंबर महीने में फर्जी करार दिया था।

कार्रवाई ने होने से दोबारा लगाई अर्जी
जाति प्रमाण पत्र फर्जी पाए जाने के बावजूद लताबाई सोनवणे पर जब कोई कार्रवाई नहीं हुई और उन्हें सदन से डिसक्वालीफाई नहीं किया गया। तब बरेला ने एनसीएसटी के पास नवंबर के महीने में एक याचिका दायर की जिसमें उन्होंने मांग की कि इस मामले को तत्काल संज्ञान में लिया जाए और कोर्ट के आदेश के मुताबिक एक्शन लिया जाए। एचडी में उन्होंने यह भी कहा कि अदालत द्वारा प्रमाण पत्र जारी बताया जाने के बाद चुनाव आयोग को खुद इस मामले में सुमोटो लेते हुए लताबाई सोनावणे को डिसक्वालीफाई करना चाहिए था लेकिन अभी तक उन्होंने ऐसा नहीं किया है। उन्होंने कहा कि मैं जलगांव में फर्जी जाति प्रमाण पत्र को लेकर हो रहे भ्रष्टाचार के बारे में आवाज भी उठा चुका हूं। उन्होंने यह भी कहा कि कई सारे ऐसे लोग हैं जो अनुसूचित जाति के नहीं है। बावजूद इसके वो इनको मिलने वाली तमाम सुविधाओं का लाभ ले रहे हैं।

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