इस्लामाबाद
अफगानिस्तान में तालिबानी आतंकियों का राज आने के बाद अब पाकिस्तान में हालात भयानक होते जा रहे हैं। पाकिस्तान में अगस्त 2021 के बाद से अब तक तहरीक-ए-तालिबान की ओर से 400 से ज्यादा आतंकी हमले किए गए है। पिछले दिनों करीब एक दशक के बाद राजधानी इस्लामाबाद में टीटीपी आतंकियों ने आत्मघाती धमाका करके पाकिस्तानी सरकार को हिलाकर रख दिया। यही नहीं पिछले कुछ महीने में बलूच विद्रोहियों ने भी अपने खूनी हमलों को तेज कर दिया है। ताजा हमले में पाकिस्तानी सेना के एक कैप्टन समेत 5 सैनिकों की मौत हो गई है। यही वजह है कि अब पाकिस्तानी सेना इन विद्रोहियों के खिलाफ भीषण हमले की तैयारी में जुट गई है जिसमें अमेरिका भी उसकी मदद कर सकता है।
इस बीच अमेरिका ने अपने नागरिकों और दूतावास के कर्मचारियों को चेतावनी दी है कि वे इस्लामाबाद के मैरिएट होटल में न जाएं क्योंकि वहां आतंकियों की ओर से हमला हो सकता है। इस्लामाबाद में आत्मघाती हमले के बाद पूरे राजधानी को हाई अलर्ट पर रखा गया है। अमेरिका ने यह भी कहा है कि उसके नागरिक इस्लामाबाद में गैर जरूरी यात्रा से बचें। टीटीपी के आत्मघाती हमले में एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई है और 10 अन्य घायल हो गए हैं। इस बीच पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में टीटीपी ने कई जगहों पर अपने झंडे लगाए हैं और पाकिस्तानी सेना को चेतावनी दी है।
‘बाजवा और इमरान ने टीटीपी पर की बड़ी भूल’
पाकिस्तान में हिंसा की बढ़ती घटनाओं के बीच मीडिया में आई खबरों में कहा जा रहा है कि शहबाज सरकार और आर्मी चीफ असीम मुनीर दोनों ही अब टीटीपी और बलूचों के खिलाफ जोरदार सैन्य कार्रवाई पर गंभीरतापूर्वक विचार कर रहे हैं। विश्लेषकों का कहना है कि इससे पहले के आर्मी चीफ जनरल बाजवा और इमरान सरकार ने बलूचों पर ध्यान नहीं दिया और उनके आतंकियों को अफगानिस्तान से खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में आने दिया था। अब टीटीपी आतंकी खैबर प्रांत में खुलेआम अपने झंडे लगा रहे हैं और चेक पोस्ट बनाकर धमकियां दे रहे हैं।
टीटीपी और बलूचों के खूनी हमलों से पाकिस्तान में घबराहट का माहौल है और यही वजह है कि रणनीति को बदलने पर विचार किया जा रहा है। आने वाले कुछ दिनों इस पर फैसला हो सकता है। एक पाकिस्तानी अधिकारी ने पाकिस्तानी मीडिया से कहा, ‘खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के कुछ इलाकों खासकर कबायली जिलों में स्थिति बहुत खराब हो गई है और ऐसे में एक व्यापक सैन्य कार्रवाई की संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता है। टीटीपी के साथ अब कोई बातचीत नहीं चल रही है और समझौते के बाद जो आतंकी पाकिस्तान में घुस आए हैं, उन्हें वापस भेजना होगा। आतंकियों को आने देना बहुत बड़ी गलती थी और उसे ठीक करना होगा।’