16.3 C
London
Friday, July 4, 2025
Homeराजनीतिअटल को श्रद्धांजलि देने क्यों पहुंचे राहुल गांधी? BJP की स्टाइल में...

अटल को श्रद्धांजलि देने क्यों पहुंचे राहुल गांधी? BJP की स्टाइल में ही छिपा है राज

Published on

नई दिल्ली

सियासतदानों की दुनिया ही निराली है। कब कौन क्या करता है, सबकी अपनी वजह होती है। कांग्रेस के दिग्गज नेता सरदार वल्लभ भाई पटेल और नेताजी सुभाष चंद्र बोस भाजपा को ‘अच्छे’ लगते हैं। भगवा दल दोनों महान नेताओं को इतिहास में कम जगह दिए जाने और उनके योगदान को कमतर आंकने का कांग्रेस पर आरोप लगाता रहता है। लेकिन जब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी भाजपा के संस्थापक और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि देने पहुंचे तो सियासी बयार उल्टी दिशा में बहती दिखी। कांग्रेस के नेता का भाजपा के दिग्गज के आगे नतमस्तक होना साधारण घटना नहीं है। लोगों के मन में सवाल उठने लगे कि आखिर राहुल गांधी ने अटल की समाधि के सामने पहुंचकर सिर क्यों झुकाया? क्या इसके पीछे सियासी फायदे की कोई रणनीति है? वैसे, अटल जैसे नेताओं को सभी पार्टियों के नेता पसंद करते थे और आज भी याद करते हैं। उनके भाषण के लोग कायल थे लेकिन दूसरी पार्टी के नेता खुलेआम विरोधी नेता के आगे नतमस्तक होने को अपनी पार्टी और विचारधारा को नुकसान की तरह देखते हैं। अगर ऐसा है तो राहुल गांधी ने ऐसा क्यों किया? इसका जवाब भाजपा में ही छिपा है।

दूसरे पार्टी के नेता क्यों अच्छे लग रहे
जैसा शुरुआत में कहा कि ‘अच्छे’ लगने की वजह होती है। भारतीय जनता पार्टी में शायद इकलौते अटल बिहारी वाजपेयी ऐसे दिग्गज नेता रहे हैं जिनका संघ के साथ वैचारिक मतभेद भी सामने आया और जिन्होंने कैमरे के सामने इसे स्वीकार भी किया। हालांकि उन्होंने इसे ज्यादा बड़ा या तूल देने की कोशिश कभी नहीं की। 1996 में एक इंटरव्यू में अटल ने उन मुद्दों की चर्चा नहीं की थी कि संघ से उनका किन मुद्दों पर मतभेद है। हां, उन्होंने यह जरूर कहा था कि अगर मतभेद इतने गहरे और तीव्र होते तो मैं अपने लिए अलग रास्ता खोज लेता। सियासी गलियारों और मीडिया में तब कहा जाता था कि आरएसएस के प्रधानमंत्री आडवाणी और बीजेपी के पीएम कैंडिडेट अटल हैं। इंटरव्यू में यह सवाल सुनकर वाजपेयी खिलखिलाकर हंस पड़े थे। उस समय ही अटल ने संघ के हाथ में ‘रिमोट कंट्रोल’ होने के सवाल पर कहा था कि जी नहीं, हम उनसे परामर्श लेते हैं। अटल ही शायद इकलौते ऐसे नेता भी हुए हैं जो खुलकर भाजपा को मध्यमार्गी कहते थे। पूर्व पीएम ने तर्क रखते हुए कहा था कि भाजपा मध्यम मार्गी है क्योंकि हम समन्वय में विश्वास करते हैं।

अब 1996 से सीधे 2001 में आइए। इसी साल तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने नरेंद्र मोदी को गुजरात भेजा था। उस समय राज्य में भाजपा की स्थिति अच्छी नहीं थी। बाद में मोदी लगातार 2002, 2007 और 2012 में भी चुनाव जीते। 2014 में वह भारी बहुमत के साथ देश के प्रधानमंत्री बने। आज जब राहुल गांधी अटल की समाधि पर गए तो कांग्रेस ने ‘राजधर्म’ वाली बात उछाली। जी हां, वही ‘अच्छे’ लगने वाला ऐंगल… दरअसल, 2002 दंगे के बाद कैमरे के सामने तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि एक चीफ मिनिस्टर के लिए मेरा एक ही संदेश है कि वह राजधर्म का पालन करें। राजधर्म…। उस समय अटल के बगल में मोदी भी बैठे हुए थे। अटल ने थोड़ा रुककर कहा था कि ये शब्द काफी सार्थक है। राजा के लिए, शासक के लिए प्रजा-प्रजा में भेद नहीं हो सकता है। न जन्म के आधार पर, न जाति के आधार पर, न संप्रदाय के आधार पर। मोदी ने फौरन कहा था, ‘हम भी वही कर रहे हैं साहब।’

कांग्रेस के लिए मुद्दा है वाजपेयी का ‘राजधर्म’
इसके बाद जब भी गुजरात दंगे का मामला उछलता तो कांग्रेस अटल की उस सीख की बात करने लगती। आज भी जब राहुल के अटल समाधि जाने की चर्चा पर डिबेट शुरू हो गई तो कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि वाजपेयी ने 2002 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और आज के प्रधानमंत्री से ‘राजधर्म’ का पालन करने को कहा था। उन्होंने कहा, ‘यह अफसोस की बात है कि नरेंद्र मोदी ने कभी वह सबक नहीं सीखा और उन्होंने संविधान को किनारे रखा। हम केवल आशा और प्रार्थना करते हैं कि आज अटल जी की समाधि पर राहुल जी को देखने के बाद, प्रधानमंत्री मोदी को एहसास होगा कि उनका सर्वोच्च कर्तव्य संविधान की रक्षा करना और उनके नाम पर हो रही हिंसा को रोकना है और मुझे लगता है कि राहुल गांधी यही संदेश देने की कोशिश कर रहे थे।’

दरअसल, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के कार्यालय से जुड़े एक नेता ने वाजपेयी के खिलाफ एक ऐसी टिप्पणी की जिस पर भाजपा माफी मांगने की मांग करने लगी। खरगे के कार्यालय के समन्वयक और सोशल मीडिया का कामकाज संभालने वाले गौरव पंधी ने ट्वीट किया था कि वाजपेयी ने अंग्रेजों का पक्ष लिया था। हालांकि, बाद में उन्होंने इसे हटा दिया क्योंकि भाजपा ने आरोप लगाया था कि एक तरफ राहुल गांधी वाजपेयी के स्मारक पर श्रद्धांजलि देने का ‘नाटक’ कर रहे हैं तो दूसरी तरफ उनकी पार्टी के नेता पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ ‘अपमानजनक शब्दों’ का इस्तेमाल कर रहे हैं।

भाजपा vs कांग्रेस
अब जरा भाजपा की रणनीति पर गौर कीजिए। 2014 में केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद कांग्रेस के दो प्रमुख नेताओं की चर्चा भाजपा के हर नेता हर कार्यक्रम में करते थे। गुजरात से ताल्लुक रखने वाले सरदार पटेल और नेताजी सुभाष चंद्र बोस। नेताजी के ऐतिहासिक दस्तावेजों को जारी कर और राजपथ पर प्रतिमा लगाकर सत्ताधारी पार्टी ने यह जताने की कोशिश की कि उसने देश की महान विभूतियों को विशेष श्रद्धांजलि दी है। गुजरात के मुख्यमंत्री रहते नरेंद्र मोदी ने सरदार पटेल की विशालकाय मूर्ति का निर्माण शुरू कराया था। इसे आज स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के नाम से दुनिया में प्रसिद्धि मिली है। जबकि कांग्रेस के खेमे में इन दोनों नेताओं की विशेष चर्चा नहीं दिखती। मिशन 2024 नजदीक है। कन्याकुमारी से कश्मीर की ‘महायात्रा’ भारत जोड़ो यात्रा लेकर निकले राहुल गांधी भी शायद भाजपा को उसी की रणनीति से जवाब देने की कोशिश कर रहे हैं। तभी तो जैसे ही गौरव पंधी के ट्वीट पर बवाल हुआ तुरंत उनका ट्वीट डिलीट कराया गया और कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि किसी के ट्वीट को बेवजह तूल दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि जब राहुल गांधी किसी चीज के लिए खड़े होते हैं तो यह पार्टी का रुख होता है… जहां तक मेरी जानकारी है, संबंधित व्यक्ति ने भी इसे हटा दिया है, लेकिन यह मुद्दा नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘मुद्दा यह है कि जब राहुल गांधी राजीव जी या इंदिरा जी या शास्त्री जी, नेहरू जी, महात्मा, चौधरी चरण सिंह या अटल बिहारी वाजपेयी जी की समाधि पर जाते हैं, तो वह वास्तव में इस देश का निर्माण करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को श्रद्धांजलि देते हैं।’ इसके जरिए कांग्रेस यह संदेश देना चाहती है कि वह सभी महान विभूतियों को याद करती है भले ही वह किसी भी पार्टी के हो। श्रीनेत ने कहा कि राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो’ यात्रा सभी तरह की विचारधाराओं के संगम जैसा है और जब वाजपेयी ने मोदी को ‘राज धर्म’ का पालन करने के लिए कहा था तो वह संविधान की रक्षा कर रहे थे और अटल जी की समाधि पर राहुल गांधी की उपस्थिति उसी सम्मान का प्रतीक है।

Latest articles

बीएचईएल के जीएम श्रीनिवास राव का तबादला एचबीजी नोएडा

भेल भोपालबीएचईएल के जीएम श्रीनिवास राव का तबादला एचबीजी नोएडा,भेल भोपाल यूनिट के महाप्रबंधक...

बीएचईएल के ब्रेड बटर यानि ट्रेक्शन मोटर भगवान भरोसे

केसी दुबे, भोपालबीएचईएल के ब्रेड बटर यानि ट्रेक्शन मोटर भगवान भरोसे,भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड...

आरयूएचएस अस्पताल में विशेषज्ञ सेवाओं का लगातार हो रहा विस्तार— आपातकालीन इकाई में सर्जरी कर बचाई 5 वर्षीय बच्चे की जान, खाने की नली...

जयपुरआरयूएचएस अस्पताल में विशेषज्ञ सेवाओं का लगातार हो रहा विस्तार— आपातकालीन इकाई में सर्जरी...

भेल कर्मचारियों की समस्याओं को लेकर इंटक ने निकाला पैदल मार्च

भेल भोपालभेल कर्मचारियों की समस्याओं को लेकर हेम्टू इंटक ने भेल कर्मचारियों के साथ...

More like this

तेलंगाना BJP को बड़ा झटका विधायक टी राजा सिंह ने पार्टी से दिया इस्तीफ़ा, नेतृत्व विवाद की अटकलें तेज़

BJP : तेलंगाना में बीजेपी विधायक टी राजा सिंह ने पार्टी से इस्तीफ़ा दे...

MP BJP अध्यक्ष पद पर सस्पेंस ख़त्म होने वाला है 2 जुलाई को होगा बड़ा ऐलान

MP BJP: मध्य प्रदेश बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए पिछले 6 महीने...

Jitu Patwari FIR: जीतू पटवारी के ख़िलाफ़ FIR: अशोकनगर मामले में नया मोड़ युवक ने वीडियो वायरल करने का लगाया आरोप

Jitu Patwari FIR: मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के ख़िलाफ़ अशोकनगर के मुंगावली...