पटना
बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन के प्रमुख घटक जेडीयू संसदीय बोर्ड का प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने जिस तरह पार्टी नेतृत्व से सवाल पूछ रहे हैं, उससे यह तय है कि कुशवाहा अब आर-पार के मूड में हैं। वैसे, उन्होंने भाजपा में नहीं जाने की घोषणा के बाद इस कयास पर भी विराम लगा दिया है कि वे कहीं और जाने वाले हैं। इस स्थिति में कुशवाहा के हिस्सेदारी मांगा जाने के बाद यह आशंका पनपने लगी है कि क्या जदयू दो भागों में बंट जाएगी। जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने पार्टी नेतृत्व को बिना सहमति के जदयू की बैठक बुलाने के लिए पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को एक पत्र लिखा है। कुशवाहा ने पत्र में लिखा कि यह लड़ाई जदयू को बचाने की अंतिम कोशिश है। कुशवाहा का मानना है कि पार्टी कमजोर हुई है। दूसरी ओर जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा है कि कुशवाहा सिर्फ एमएलसी हैं और कुछ नहीं।
वहीं, उपेंद्र कुशवाहा का कहना है कि विधानसभा उपचुनाव में पार्टी की हार के बाद से ही नीतीश कुमार को इससे अवगत करवाता रहा हूं लेकिन उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया। कुशवाहा ने पटना में 19 और 20 फरवरी को बुलाई बैठक में जदयू के कार्यकर्ताओं के साथ-साथ रालोसपा के पूर्व नेताओं और महात्मा फूले समता परिषद् के नेताओं को भी आमंत्रित किया है। उन्होंने कहा कि इस बैठक में पार्टी के मजबूत करने पर विचार किया जाएगा। कुशवाहा ने हालांकि पार्टी में किसी प्रकार की नाराजगी से भी इनकार किया है। उन्होंने कहा कि उनकी चिंता पार्टी को बचाने की है।
नीतीश कुमार बोले- कुशवाहा को लेना है फैसला
इधर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी सोमवार को कुशवाहा के संबंध में पूछे जाने पर कहा कि कुशवाहा किसी और की भाषा बोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे तीन बार पार्टी में आए और पार्टी ने उन्हें इज्जत देकर एमएलए, सांसद और पार्टी का नेता बनाया। मुख्यमंत्री ने भाजपा की ओर इशारा करते हुए कहा कि पता नहीं उन्हें क्या हो गया है, किसकी भाषा बोल रहे हैं। दो महीने के अंदर ऐसा क्या हो गया समझ में नहीं आ रहा है। उन्होंने कहा कि इस मामले पर रोज बोलना और उसके प्रचार का मतलब है कि किसी और के लिए बोल रहे हैं तो इसका प्रचार हो रहा है। उन्हें कहीं जाना है तो जायें, फैसला उनको लेना है।
ललन सिंह बोले- कहीं पर निगाहें कहीं पर निशाना
इधर, पार्टी के प्रमुख ललन सिंह भी भाजपा की ओर इशारा करते हुए कहा था कि कहीं पर निगाहें कहीं पर निशाना। कुशवाहा पार्टी नेतृत्व से राजद के साथ सरकार बनाने को लेकर हुई डील के लिए भी सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि डील हुई है तो बताना चाहिए क्योंकि राजद के नेता इसे बोलते रहे हैं, अगर नहीं हुई है तब भी मुख्यमंत्री को इस डील को लेकर खंडन करना चाहिए। वहीं ललन सिंह ने एक न्यूज चैनल से बात करते हुए कहा कि कुशवाहा अभी सिर्फ एमएलसी हैं। जेडीयू संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष कोई नहीं है।
…तो हो जाएगा गेम ओवर?
उपेंद्र द्वारा बुलाई गई बैठक को कुशवाहा के शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि अगर बैठक में कार्यकर्ताओं की संख्या ठीकठाक पहुंच गई तो जेडीयू का दो धड़े में बंटना तय है। वैसे, अभी यह कहना जल्दबाजी है। इधर ललन सिंह का ये कहना है कि कुशवाहा सिर्फ एमएलसी हैं, इसके अलावा कुछ नहीं। कुछ और ही इशारा कर रहा है।