‘किसी के बयान से कम नहीं होगी SC की साख’, रिजिजू के खिलाफ दायर PIL खारिज

मुंबई,

न्यायालय को लेकर कई मौकों पर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा बयान दिए गए हैं. उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का बयान भी सुर्खियों में रहा. अब उन्हीं सब बयानबाजी को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट में किरेन रिजिजू और जगदीप धनखड़ के खिलाफ याचिका दायर की गई थी. लेकिन सोमवार को वो याचिका खारिज कर दी गई है. कोर्ट ने दो टूक कहा है कि कुछ लोगों के बयान देने से उच्चतम न्यायालय की साख कम नहीं हो सकती है.

कोर्ट ने रिजिजू के बयानों को नहीं दी तवज्जो?
सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की विश्वसनीयता तो आसमान छूती है. ये कुछ लोगों के बयान से कम नहीं हो सकती. इसी टिप्पणी के बाद कोर्ट ने किरेन रिजिजू और जगदीप धनखड़ के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया. अब जानकारी के लिए बता दें कि किरेन रिजिजू ने कॉलेजियम सिस्टम को लेकर कई बड़े बयान दिए हैं. उनके उन्हीं बयानों में कई मौकों पर कोर्ट के लिए तल्खी देखी गई है. उस वजह से विवाद भी बड़ा हुआ है. लेकिन सुनवाई के दौरान कोर्ट ने साफ कर दिया है कि कुछ लोगों के कहने से किसी की साख कम नहीं हो सकती.

सात पन्नों के फैसले में कोर्ट ने ये भी कहा कि हर नागरिक संविधान से बंधा हुआ है. जितनी भी संवैधानिक संस्थाएं हैं, उन्हें भी संविधान का सम्मान करना है. इसमें संवैधानिक पदों पर बैठे लोग भी शामिल हैं. कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि संवैधानिक पद पर बैठे लोगों को इस तरह से नहीं हटाया जा सकता है. निष्पक्ष आलोचना वैसे भी की जा सकती है.

रिजिजू ने क्या बोला था?
वैसे पिछले साल एक कार्यक्रम में किरेन रिजिजू ने कड़े सवाल पूछते हुए कहा था कि जजों की नियुक्ति को लेकर संविधान में स्पष्ट प्रावधान है. संविधान कहता है कि भारत के राष्ट्रपति जजों की नियुक्ति करेंगे. इसका मतलब यह है कि कानून मंत्रालय भारत के मुख्य न्यायाधीश के साथ परामर्श करके जजों की नियुक्ति करेगा. कानून मंत्री ने कहा कि 1993 में सर्वोच्च न्यायालय ने परामर्श को सहमति के रूप में परिभाषित किया. किसी दूसरे क्षेत्र में परामर्श  को सहमति के रूप में परिभाषित नहीं किया गया है बल्कि न्यायिक नियुक्तियों में ऐसा किया गया है. उन्होंने कहा कि न्यायपालिका ने 1998 में कॉलेजियम सिस्टम का विस्तार किया.

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