‘तालिबान से तुलना करने से RSS की छवि खराब हुई’, जावेद अख्तर की याचिका पर बोली कोर्ट

देश के मशहूर गीतकार जावेद अख्तर को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तुलना तालिबान से किए जाने के मामले में मुंबई कोर्ट से झटका लगा है. कोर्ट ने जावेद अख्तर की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि मजिस्ट्रेट कोर्ट ने सही तथ्यों पर आदेश जारी किया है. जिसमें देखा गया है कि कैसे आरएसएस की तुलना तालिबान से करने से शिकायकर्ता की उसके दोस्तों और लोगों के छवि खराब हुई है, क्योंकि वह आरएसएस की विचारधारा का पालन करता है. मामले में कोर्ट ने पिछले हफ्ते फैसला सुनाया था. आदेश की विस्तृत कॉपी अब जारी हुई है.

दरअसल, वकील संतोष दुबे ने अख्तर के खिलाफ 2021 में एक आपराधिक मानहानि की शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने आरएसएस को तालिबान के रूप में संदर्भित किया है, जिससे उनकी भावनाएं आहत हुई हैं. उनकी शिकायत पर मुलुंड मजिस्ट्रेट कोर्ट ने जावेद अख्तर को मानहानि के आरोपों का सामने करने के लिए तलब किय था. जिसके इस आदेश को जावेद अख्तर ने सेशन कोर्ट में चैलेंज किया था. जिस पर सेशन कोर्ट ने पिछले हफ्ते आदेश सुनाते हुए मजिस्ट्रेट कोर्ट के फैसले को सही करार दिया था.

बता दें कि वकील दुबे का कहना था कि वो बचपन से ही आरएसएस के स्वयंसेवक हैं. ऐसे में जावेद अख्तर के बयान से आहत हुए हैं. अख्तर की टिप्पणी के बाद कई लोगों ने उन्हें संगठन से अलग होने के लिए कहा. इसको लेकर ही उन्होंने जावेद अख्तर पर मानहानि का मामला दायर किया था. सेशन कोर्ट से भी झटका लगने के बाद अख्तर के वकील जय भारद्वाज ने कहा कि वे इस आदेश के खिलाफ याचिका के साथ बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे.

‘आरएसएस की प्रतिष्ठा कम करने की कोशिश’
मामले में सेशन कोर्ट के जज ने कहा, “याचिकाकर्ता (अख्तर) का बयान एक राष्ट्रीय चैनल और यूट्यूब पर एक इंटरव्यू में था. जिससे स्वयंसेवकों, आरएसएस के समर्थकों की प्रतिष्ठा धूमिल हुई है और दुनिया को एक संदेश दिया गया है कि आरएसएस अफगानिस्तान में तालिबान के समान है. इस प्रकार, आरएसएस की प्रतिष्ठा को कम करने की कोशिश के लिए पर्याप्त सामग्री है.

‘प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वाले तत्व’
जज ने आगे कहा, “आरएसएस के स्वयंसेवी संगठन की तालिबान मानसिकता से तुलना, जिसमें बर्बर कृत्य हैं… प्रथम दृष्टया आरएसएस की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वाले तत्व हैं.” जावेद अख्तर को 31 मार्च को मजिस्ट्रेट अदालत में उपस्थित होना होगा, नहीं तो उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट की मांग की जाएगी.

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