मणिपुर हिंसा: कैब ड्राइवर्स ने स्कूल और चर्च में ली शरण, मुख्यमंत्री ने दिया ये निर्देश

कछार,

मणिपुर में आरक्षण को लेकर शुरू हुई हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है. इसी बीच कछार में जिरीघाट के राम गैजांग बैपिस्ट चर्च में कैब ड्राइवर रुके हुए हैं. ये लोग मणिपुर से जंगल के रास्ते भाग कर आए हैं. इन लोगों को कोई भी कमी न हो, इसलिए असम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्व शर्मा निर्देश जारी किए हैं. इसके चलते कछार जिले की एसपी नार्मल इलाके का दौरा कर रहे हैं.

मामले में एसपी नार्मल महत्व ने बताया कि अभी तक जिले में एक हजार से ज्यादा लोग मणिपुर से आ चुके हैं. कुछ लोग चर्च में हैं, तो कुछ लोग स्कूल में हैं. साथ ही कुछ लोग परिजनों के पास जा चुके हैं. जो लोग स्कूल और चर्च में हैं, उनको कोई समस्या न हो इसके लिए हम लोग पूरी कोशिश कर रहे हैं. जिला प्रशासन के तरफ से मेडिकल टीम सहित जो भी कार्रवाई करना चाहिए, हम लोग कर रहे हैं. जानकारी मिली है कि अभी भी कुछ लोग आ सकते हैं. इसके लिए हम लोग तैयार हैं.

इम्फाल में शुक्रवार को भी हुई हिंसा
राजधानी इम्फाल में शुक्रवार को भी हिंसा हुई. वहां लोगों ने एक कार को पहले पलट दिया फिर उसमें आग लगा दी. पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित किया. यह घटना दोपहर करीब 12 और 1 बजे के बीच हुई है. एक सीनियर पुलिस अफसर ने बताया कि पहाड़ी इलाकों में सुरक्षाबलों और दंगाइयों के बीच मुठभेड़ की खबर है.

क्यों भड़की हिंसा?
दरअसल, पिछले महीने मणिपुर हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस एमवी मुरलीधरन ने एक आदेश दिया था. इसमें राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग पर विचार करने को कहा था. इसके लिए हाईकोर्ट ने सरकार को चार हफ्ते का समय दिया है. मणिपुर हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद नगा और कुकी जनजाति समुदाय भड़क गए.

तीन मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) ने ‘आदिवासी एकता मार्च’ निकाला था. ये रैली चुरचांदपुर के तोरबंग इलाके में निकाली गई थी. इसी रैली के दौरान आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसक झड़प हो गई. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे. तीन मई की शाम तक हालात इतने बिगड़ गए कि राज्य सरकार ने केंद्र से मदद मांगी. बाद में सेना और पैरामिलिट्री फोर्स की कंपनियों को वहां तैनात किया गया है.

 

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