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90 साल की महिला को 77 साल बाद वापस मिले 2 फ्लैट, HC ने दिया आदेश

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मुंबई,

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई में रहने वाले एक शख्स और उसके परिवार को 77 साल से कब्जा किए हुए फ्लैटों को खाली करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि वह अपमार्केट दक्षिण मुंबई में स्थित जिन फ्लैटों पर 1944 से कब्जा कर रह रहे थे, उन्हें खाली करें और इसके मूल मालिक (अलाइस डिसूजा) को सौंपे. मूल मालिक 93 वर्षीय महिला अलाइस डिसूजा हैं, जिन्हें फाइनली धोबीतलाव इलाके में मेट्रो थियेटर के नजदीक स्थित फ्लैट मिल सकेंगे. जस्टिस आरडी धानुका और एमएम सथाये की बेंच मालिक और कब्जाधारियों द्वारा एक दूसरे के खिलाफ दायर तीन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.

आजादी से पहले का है मामला
मामला देश की आजादी से पहले का है. 13 जुलाई 1944 में लिखे एक पत्र में बॉम्बे नगर पालिका के तत्कालीन डिप्टी सिटी इंजीनियर ने परिसर के तत्कालीन मालिक (वर्तमान मालिक एलायस डिसूजा के पिता एचएस डायस) को सूचित किया था कि दो फ्लैटों को नगरपालिका उपयोग के लिए रखा गया था. बाद में बंबई के गवर्नर ने 17 जुलाई 1946 को आदेश दिया कि प्रॉपर्टी के मालिक, डिफेंस ऑफ़ इंडिया नियम के अंतर्गत वह यह प्रॉपर्टी डी. एस. लॉड नाम के सरकारी कर्मचारी को दे दें. हालांकि ,24 जुलाई 1946 को कलेक्टर ने इन संपत्तियों को ‘रिक्वीजिशन’ के दायरे के बाहर कर दिया. 27 जुलाई, 1946 के आदेश में बॉम्बे के कलेक्टर ने निर्देश दिया कि इमारत की पहली मंजिल का कब्जा, जहां परिसर स्थित हैं उसे मांग से मुक्त किया जाना चाहिए और मालिक को दिया जाना चाहिए.

इस आदेश के बावजूद परिसर का कब्जा मालिक को नहीं सौंपा गया. 08 अप्रैल 1952, 24 मार्च 1952 और 02 मई 1952 के पत्रों में लाड के वकील ने परिसर का कब्जा मालिक को सौंपने से इनकार कर दिया. एक पत्र में कहा गया कि उक्त परिसर पर साल 1944 से लॉड का कब्जा है.

लंबी चली मुकदमेबाजी
अंतत: 8 मई 1987 को, मालिक ने लॉड को नोटिस जारी कर उक्त परिसर को मांग से मुक्त करने का अनुरोध किया. 1987 से 1991 के बीच मालिक द्वारा रिट याचिकाएँ दायर की गईं लेकिन किसी न किसी कारण से उन्हें वापस ले लिया गया. बाद में बॉम्बे भूमि अधिग्रहण (बीएलआर) अधिनियम की धारा 8सी (2) के तहत नोटिस के साथ 2009 में नई मुकदमेबाजी शुरू हुई, जिसे महाराष्ट्र भूमि अधिग्रहण अधिनियम के नाम से जाना जाता है. इसे मंगेश डी. लाड (डीएस लॉड के कानूनी उत्तराधिकारी) को जारी किया गया और परिसर में उनके कब्जे के संबंध में सुनवाई के लिए बुलाया गया.

कोर्ट ने दिया फ्लैट खाली करने का आदेश
विस्तृत सुनवाई के बाद आवास नियंत्रक (सीओए) ने लाड को आदेश प्राप्त होने की तारीख से 30 दिनों के भीतर परिसर खाली करने और राज्य सरकार को खाली कब्जा सौंपने का निर्देश दिया. सीओए ने निष्कर्ष निकाला कि लॉड द्वारा जिन दस्तावेजों पर भरोसा किया गया है, वे किरायेदारी स्थापित नहीं करते हैं. सीओए ने कहा कि डी.एस. लॉड को परिसर में विशिष्ट इरादे से शामिल किया गया था क्योंकि वह सरकारी कर्मचारी थे. कोर्ट ने कहा कि सरकारी सेवक (आवंटी) की सेवानिवृत्ति या मृत्यु के बाद सरकारी सेवक या उसके कानूनी उत्तराधिकारियों को परिसर में कब्जा करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है.

सीओए के इस आदेश को लॉड ने चुनौती दी थी और मालिक की ओर से याचिका भी दायर की गई थी. हालांकि, डिसूजा के पक्ष में फैसला सुनाते हुए पीठ ने फ्लैटों से कब्जा खाली करने को कहा और निर्देश दिया कि वह इन घरों को खाली कराकर आठ सप्ताह के भीतर उन्हें डिसूजा को सौंप दे.

 

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