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Tuesday, July 1, 2025
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सुप्रीम कोर्ट से शिंदे गुट को बड़ा झटका, CJI बोले- अंदरूनी कलह के आधार पर फ्लोर टेस्ट सही नहीं

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नई दिल्ली

शिवसेना विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने गुरुवार (11 मई) को फैसला सुनाया। एकनाथ शिंदे और 15 अन्य विधायकों को जून 2022 में तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत करने के लिए अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए या नहीं इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया। मामले की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि महाराष्ट्र का मुद्दा बड़ी बेंच के पास जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट से शिंदे गुट को झटका
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस हिमा कोहली, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्पीकर ने असली व्हिप की जांच नहीं की, स्पीकर को सिर्फ पार्टी द्वारा नियुक्त व्हिप को ही मानना चाहिए था। कोर्ट ने कहा कि स्पीकर ने सही व्हिप जानने की कोशिश नहीं की। स्पीकर को दो गुट बनने की जानकारी थी। बेंच ने कहा कि शिंदे गुट के गोगावले को चीफ व्हिप मानने का फैसला गलत था।

महाराष्ट्र विवाद पर क्या बोले CJI चंद्रचूड़
CJI चंद्रचूड़ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि अंदरूनी विवाद को सुलझाने के लिए फ्लोर टेस्ट सही नहीं। उन्होंने कहा कि विश्वास मत का आधार अंदरूनी कलह नहीं हो सकत और उसे सुलझाने के लिए गवर्नर का दखल सही नहीं है। CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने उद्धव ठाकरे के इस्तीफे पर कहा कि ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया। महाराष्ट्र में व्हिप को पार्टी से अलग कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल की भूमिका पर भी सवाल उठाए।

बैच में कई मुद्दों पर शिंदे और ठाकरे के समूहों के सदस्यों द्वारा दायर याचिकाएं शामिल थीं। पहली याचिका सीएम एकनाथ शिंदे ने जून 2022 में दल-बदल को लेकर संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत बागियों के खिलाफ तत्कालीन डिप्टी स्पीकर द्वारा जारी नोटिस को चुनौती देते हुए दायर की थी। बाद में, ठाकरे समूह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जिसमें महाराष्ट्र के राज्यपाल द्वारा विश्वास मत के लिए बुलाए जाने के फैसले, भाजपा के समर्थन से सरकार के मुख्यमंत्री के रूप में एकनाथ शिंदे का शपथ ग्रहण, नए अध्यक्ष का चुनाव को चुनौती दी गई थी।

क्या है पूरा मामला?
दरअसल, जून 2022 में एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के 39 विधायकों के साथ मिलकर तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी थी, जिससे MVA सरकार गिर गई थी। इसके बाद शिंदे गुट ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली। इस गठबंधन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। ठाकरे गुट के जिन विधायकों ने बगावत की थी उन 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की गई है।

 

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