‘मृत्यु पूर्व बयान की पर्याप्त पुष्टि होना जरूरी’, हत्या के आरोपी को राहत देते समय बॉम्बे हाई कोर्ट की टिप्पणी

मुंबई

बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में स्पष्ट किया है कि मृत्यु पूर्व बयान की पर्याप्त पुष्टि होना जरूरी है, इसके बिना उस बयान पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने यह बात हत्या के मामले में दोषी पाए गए एक आरोपी को राहत प्रदान करते हुए कही। सत्र न्यायालय ने 29 अक्टूबर 2018 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। आरोपी उमेश धुमाल ने 2019 में इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी और इस सजा पर रोक लगाने की मांग की।

खंडपीठ ने तथ्यों पर गौर करने के बाद यह पाया कि पर्याप्त समय होने के बावजूद पीड़िता के बयान को दर्ज करने के लिए कार्यकारी मैजिस्ट्रेट को नहीं बुलाया गया और न ही उसके अंगूठे के निशान को प्रमाणित किया गया। ऐसे में पर्याप्त पुष्टि के बिना मरने से पहले दिया गया पीड़िता का बयान भरोसे लायक नहीं माना जा सकता। मैरिट के आधार पर अपील पर सुनवाई करने में वक्त लगेगा। कोर्ट ने आरोपी की सजा पर रोक लगा कर उसे जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया।

क्या थी घटना
11 सितंबर 2016 को आरोपी और महिला के बीच विवाद हुआ था। गुस्से में उसने मिट्टी का तेल उड़ेल कर महिला को आग के हवाले कर दिया। 12 सितंबर 2016 को इलाज के दौरान महिला की मौत हो गई थी।

वकील की दलील
आरोपी के वकील विजय हिरेमठ ने कहा कि 14 में से 7 गवाह मुकर चुके हैं। अभियोजन पक्ष ने पीड़िता की मौत से पहले दिए गए बयान को मुख्य आधार बनाया है। महिला के शरीर का ऊपरी हिस्सा 82 प्रतिशत झुलसा था, जबकि अंगूठे का जो निशान लिया गया, वह संदेहजनक है। डॉक्टर ने महिला का बयान दर्ज किया था।

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