मुशर्रफ का प्लान आगे बढ़ाते मुनीर, नवाज शरीफ जैसा होगा इमरान खान की पार्टी का हाल!

लाहौर

पाकिस्‍तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान अपनी पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) को देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी करार देते हैं। अपने इसी दावे के साथ वह चुनाव की मांग भी करते रहते हैं। लेकिन देश में बची राजनीतिक उथल-पुथल के बीच ही पाकिस्‍तान के आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर ने वही दांव खेल दिया है जो पूर्व मुखिया परवेज मुशर्रफ ने खेला था। इमरान की पार्टी से भी उनके ही करीबी किनारा करने लगे हैं। इमरान का दाया हाथ कहे जाने वाले फवाद चौधरी का बयान इस तरफ इशारा करने वाला था। वहीं ऐसी खबरें हैं कि इमरान की सरकार में विदेश मंत्री रहे शाह महमूद कुरैशी भी उनका साथ छोड़ सकते हैं।

टूट सकती है पार्टी?
पिछले एक हफ्ते से पीटीआई के नेताओं को गिरफ्तार किया जा रहा है। कुरैशी और फवाद चौधरी जहां जेल से बाहर आ गए हैं तो पूर्व रक्षा मंत्री शीरीन माजरी जेल में हैं। नौ मई को हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद सेना का रुख सख्‍त है और आर्मी एक्‍ट के तहत एक्‍शन लेने की तैयारी भी हो चुकी है। पार्टी के कुछ नेता एमएनए आमिर महमूद कियानी और महमूद बाकी मौलवी जैसे नेता पाटर्र छोड़कर जा चुके हैं। हर कोई अब इस राजनीतिक पार्टी का भविष्‍य जानना चाहता है। कियानी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पार्टी और राजनीति से इस्तीफा देने की बात कही। कई जानकारों की मानें तो अगर इमरान की पार्टी टूट जाए तो किसी को हैरानी नहीं होनी चाहिए।

तख्‍तापलट के बाद मुशर्रफ का दांव
कई विशेषज्ञों की मानें तो पीटीआई नेता जिस तरह से पार्टी को छोड़ रहे हैं या इसे छोड़ने का मन बना चुके हैं, उसके बाद लगता है कि इमरान को और उनकी पार्टी को कमजोर करने के लिए यह एक ऑपरेशन चलाया जा रहा है। इसी तरह के हालात से पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भी रूबरू हो चुके हैं। तानाशाह परवेज मुर्शरफ ने उनकी पार्टी पाकिस्‍तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) को तोड़ने में सफलता हासिल की थी। सन् 1999 में मुशर्रफ ने जब देश में तख्‍तापलट किया तो उन्‍होंने नवाज की पार्टी के कई नेताओं को तोड़ दिया। ये ऐसे लीडर थे जो नवाज के बेहद करीबी थे। सन् 1997 में हुए आम चुनावों में नवाज के अपनी ही पार्टी के कुछ नेताओं से मतभेद हो गए थे। मुशर्रफ इस बात को भांप चुके कि पार्टी के नेता नवाज से संतुष्‍ट नहीं हैं।

मुशर्रफ के साथ‍ मिलाया हाथ
तख्‍तापलट के बाद उन्‍होंने इसी बात का फायदा उठाया। साल 2002 में असंतुष्‍ट पार्टी नेताओं ने मुशर्रफ से मुलाकात की जो उस समय राष्‍ट्रपति बन चुके थे। 20 जुलाई 2002 को पाकिस्‍तान मुस्लिम लीग-क्‍यू (PML-Q) की शुरुआत हुई। बाद में यह पार्टी मुशर्रफ की सरकार का एक अभिन्न हिस्‍सा बन गई। पार्टी के नेता शुजात हुसैन, जो नवाज के करीब हुआ करते थे, वह पीएम बन गए। अजीज ने मुशर्रफ के तख्‍तापलट का जोरदार समर्थन किया था। शुजात हुसैन को पार्टी अध्यक्ष भी बनाया गया। साथ ही पार्टी का ध्यान पीएमएल-एन के वोटर्स को आकर्षित करना था। इसका फायदा मुशर्रफ को मिला। नवाज की लोकप्रियता कम होती गई और मुशर्रफ आगे बढ़ते गए।

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