असम से इस साल हट जाएगा AFSPA, सीएम हिमंता का ऐलान, जानें क्या है ये कानून?

नई दिल्ली,

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने आफ्सपा (AFSPA) को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि 2023 के अंत तक आफ्सपा को पूरी तरह से राज्य से हटा लिया जाएगा. उन्होंने ट्ववीट कर इसकी जानकारी देते हुए कहा कि हमने 2023 के अंत तक राज्य से आफ्सपा को पूरी तरह से हटाने का लक्ष्य रखा है. उन्होंने इसके साथ ही यह भी बताया कि पुलिबल को ट्रेनिंग देने के लिए पूर्व सैन्यकर्मियों की सहायता ली जाएगी.

बता दें कि पूर्वोत्तर के राज्यों में AFSPA को हटाने की लंबे समय से मांग चल रही है. नागालैंड में तो पिछले साल दिसंबर में AFSPA को हटाने की मांग तब तेज हो गई थी, जब सेना की गोलीबारी में छह लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद नागालैंड में जबरदस्त हिंसा हुई, जिसमें और 8 लोग मारे गए थे.

किन क्षेत्रों से हटाया गया है AFSPA?
1. असमः यहां 1990 से पूरे इलाके में AFSPA लागू था. अब 23 जिलों से पूरी तरह इसे हटा लिया गया है. सिर्फ एक जिले में ये लागू आंशिक रूप से लागू रहेगा.
2. नागालैंडः यहां 1995 से पूरे इलाके में ये कानून लागू था. शुक्रवार से यहां के 7 जिलों के 15 पुलिस थानों से ये हट जाएगा.
3. मणिपुरः यहां राजधानी इंफाल के 7 क्षेत्रों को छोड़कर पूरे इलाके में 2004 से AFSPA लागू है. अब 6 जिलों के 15 पुलिस थानों से भी इसे हटा लिया गया है.

क्या होता है AFSPA?
– AFSPA को अशांत इलाकों में लागू किया जाता है. ऐसे इलाकों में सुरक्षाबलों के पास बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार करने की ताकत होती है और कई मामलों में बल प्रयोग भी किया जा सकता है.

– पूर्वोत्तर में सुरक्षाबलों की मदद करने के लिए 11 सितंबर 1958 को इस कानून को पास किया गया था. 1989 में जब जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद बढ़ा तो यहां भी 1990 में अफस्पा लागू कर दिया गया. अब ये अशांत क्षेत्र कौन होंगे, ये भी केंद्र सरकार ही तय करती है. AFSPA केवल अशांत क्षेत्रों में ही लागू होता है.

AFSPA से क्या मिल जाते हैं अधिकार?
– सुरक्षाबल किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकते हैं. कानून का उल्लंघन करने वाले को चेतावनी देने के बाद बल प्रयोग और उस पर गोली चलाने की भी अनुमति देता है. इस कानून के तहत सुरक्षाबलों को किसी के भी घर या परिसर की तलाशी लेने का अधिकार मिला है. और इसके लिए सुरक्षाबल जरूरत पड़ने पर बल का प्रयोग भी कर सकते हैं.

– अगर सुरक्षाबलों को ऐसा अंदेशा होता है कि उग्रवादी या उपद्रवी किसी घर या बिल्डिंग में छिपे हैं तो उसे तबाह किया जा सकता है. इसके अलावा वाहनों को रोककर उनकी तलाशी भी ली जा सकती है. बड़ी बात ये है कि जब तक केंद्र सरकार मंजूरी न दे, तब तक सुरक्षाबलों के खिलाफ कोई मुकदमा या कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती.

अभी किन-किन जगहों पर लागू है AFSPA?
– AFSPA को असम, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, नगालैंड, पंजाब, चंडीगढ़ और जम्मू-कश्मीर समेत कई हिस्सों में लागू किया गया था. हालांकि, बाद में समय-समय पर कई इलाकों से इसे हटा भी दिया गया. फिलहाल, ये कानून जम्मू-कश्मीर, नगालैंड, मणिपुर (राजधानी इम्फाल के 7 क्षेत्रों को छोड़कर), असम और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में लागू है. त्रिपुरा, मिजोरम और मेघालय से इसे हटा दिया गया है.

AFSPA हटने से क्या फर्क आएगा?
– केंद्र सरकार ने असम, नागालैंड और मणिपुर के जिन इलाकों से AFSPA को हटाया है, वो अब अशांत क्षेत्र नहीं रह जाएंगे. ये इलाके भी अब शांत क्षेत्र रहेंगे. सुरक्षाबलों की शक्तियां सीमित हो जाएंगी. जिस तरह अभी सुरक्षाबल बिना वारंट किसी की भी गिरफ्तारी कर सकते हैं, शक के आधार पर उनपर गोली चला सकते हैं, AFSPA हटने के बाद ये सब नहीं हो सकेगा.

 

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