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यूपी निकाय चुनाव में कितना फिट बैठा मुस्लिम उम्मीदवारों पर बीजेपी का दांव

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लखनऊ/वाराणसी,

उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव के नतीजे आए लगभग 10 दिन बीत चुके हैं. बीजेपी इन नतीजों के बाद अपने मुस्लिम चेहरों की जीत की समीक्षा भी कर रही है. समीक्षा इस बात की हो रही है कि क्या मुस्लिम वोटरों का भरोसा बीजेपी पर बढ़ा है? क्या मुसलमानों तक प्रधानमंत्री की योजनाएं पहुंच पाई हैं? क्या इसका कोई चुनावी फायदा बीजेपी को मिल रहा है?

इन सवालों के बीच चुनावी नतीजे यह बता रहे हैं कि हां बीजेपी का मुस्लिम समर्थन बढ़ रहा है. इस बार साल 2017 की तुलना में मुसलमानों के कई गुना ज्यादा वोट पार्टी को मिले हैं. हालांकि, इस चुनाव में बीजेपी द्वारा पहली बार खुलकर खेला गया पसमांदा कार्ड उतना सफल नहीं रहा.

यहां तक की वाराणसी में बीजेपी ने तीन पार्षद उम्मीदवार उतारे थे. तीनों पसमांदा मुस्लिम चेहरे थे, लेकिन तीनों तीसरे नंबर पर आए. हालांकि, 2017 के मुकाबले इस बार मुस्लिम उम्मीदवारों को उनके वार्ड में कई गुना ज्यादा वोट मिले हैं.

आंकड़े बताते हैं कि पसमांदा कार्ड नहीं चला
बीजेपी की समीक्षा में जो सबसे ज्यादा चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है, वो यह है कि बीजेपी ने लगभग 80 फीसदी पसमांदा उम्मीदवार उतारे. मगर, कुल जीतने वालों में सिर्फ 20 फीसदी पसमांदा चेहरे हैं. वहीं, 20 फीसदी अगड़े या अशराफ मुसलमानों को बीजेपी ने टिकट दिया, जिसमें से 80 फीसदी ने जीत हासिल की.

पिछली बार की तुलना में ढाई गुना ज्यादा मुस्लिम उम्मीदवार
इस बार बीजेपी ने 2017 के मुकाबले ढाई गुना से ज्यादा मुस्लिम उम्मीदवार निकाय चुनाव में उतारे. पार्टी ने कुल 395 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे, जिसमें करीब 65 से 70 उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है. बीजेपी के मुस्लिम मोर्चा के अध्यक्ष का दावा है कि यह संख्या अगले चुनावों में और ऊपर जा सकती है.

पीएम की योजनाओं का मुस्लिमों को मिला फायदा
यानी बीजेपी ने जितने उम्मीदवार उतारे, उसमें से 17 फीसदी उम्मीदवार जीतकर आए हैं. यह एक बड़ा आंकड़ा है. दरअसल, बीजेपी इस बार मुसलमानों के बीच प्रधानमंत्री की योजनाओं को लेकर पहुंची थी. प्रधानमंत्री की योजनाओं पर अगर गौर करें, तो उसमें लगभग 4.30 करोड़ मुस्लिम जनसंख्या तक पीएम की कोई न कोई योजना पहुंची है.

आंकड़ों के मुताबिक, सबसे ज्यादा 2.61 करोड़ मुस्लिम आबादी तक मुफ्त राशन पहुंचा है. साढ़े 18 लाख मकान मुस्लिम परिवारों को मिले हैं. 90 लाख मुस्लिम छात्रों को छात्रवृत्ति मिली है. करीब सवा लाख तक मुख्यमंत्री की शादी योजना पहुंची है. कुल आबादी का करीब 22.30 फीसदी किसान सम्मान राशि मुस्लिम परिवारों तक पहुंची है.

इसके अलावा अन्य कई योजनाएं उन तक पहुंची हैं. यह बीजेपी का लिटमस टेस्ट था कि क्या इसका कोई सियासी फायदा मिल रहा है या नहीं. शुरुआती समीक्षा में बीजेपी के लिए यह संकेत उत्साह बढ़ाने वाले हैं. हालांकि, बीजेपी बहुत मुस्लिम चेहरों वाली ज्यादा सीटें नहीं जीती हैं, लेकिन उसे अच्छे खासे वोट जरूर मिले हैं.

वाराणसी में मुस्लिम मतदाताओं ने कितना वोट दिया?
भले ही वाराणसी नगर निगम चुनाव में बीजेपी के मुस्लिम प्रत्याशियों का खाता नहीं खुल सका, लेकिन मुस्लिम इलाकों में बीजेपी का वोट प्रतिशत बढ़ा है. पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में हाल ही में हुए निकाय चुनाव में भले ही बीजेपी की तरफ से मुस्लिम बहुल इलाकों में उतारे गए तीन मुस्लिम प्रत्याशियों में से किसी ने जीत का स्वाद न चखा हो, लेकिन पहले के मुकाबले मुस्लिमों में बीजेपी इसे बढ़ते जनाधार के रूप में देख रही है.

वाराणसी के कुल 100 वार्ड में से बीजेपी ने तीन वार्ड मदनपुरा, जमालुद्दीन्पुरा वार्ड और कच्चीबाग पर मुस्लिम प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था. तीसरे स्थान पर रहने वाली वार्ड मदनपुरा की हुमा बानों की मानें, तो 2017 में वे भी वे बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ी थी, लेकिन सिर्फ 100 वोट हासिल कर पाई थीं, जबकि इस बार उन्हें 500 वोट मिले हैं.

जहां कोई बीजेपी का झंडा उठाने को तैयार नहीं था, वहां दोबारा चुनाव लड़कर उन्होंने 500 वोट पाए. ऐसा तब हुआ है जब उनके क्षेत्रीय विधायक, कोई बीजेपी मंत्री, मेयर प्रत्याशी और संगठन तक का कोई भी नेता उनके क्षेत्र में प्रचार करने नहीं आया था.

उनके वार्ड से एक बार फिर कांग्रेस की इशरत परवीन ने जीत हासिल की है क्योंकि कांग्रेस की तरफ से पूरा संगठन उनके लिए लगा हुआ था. वहीं, बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा वाराणसी के महामंत्री हाजी हमीदुल हसन ने बताया कि बीजेपी के प्रति मुस्लिम समाज का विश्वास बढ़ा है.

जमालुद्दीन्पुरा वार्ड में बीजेपी प्रत्याशी अहमद अंसारी को 433 वोट मिले हैं, जबकि पहले बूथों पर इकाई-दहाई से ज्यादा वोट नहीं मिल पाते थे. मुस्लिम बाहुल काजी सादुल्लापुरा में भले ही बीजेपी ने हिंदू प्रत्याशी उतारा था, वो चुनाव हार गए. मगर, पहली बार उनके वार्ड में बीजेपी को 1896 वोट मिले. पहले इस वार्ड में भी बीजेपी को अलग-अलग बूथों पर 2-8 से आठ वोट ही मिलते थे.

 

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