मोदी की ताजपोशी थी या नए संसद भवन का उद्घाटन? सिर्फ पुजारी बुलाए गए मौलाना क्यों नहीं… ओवैसी

हैदराबाद

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने पीएम मोदी पर निशाना साधा है। नए संसद भवन के उद्घाटन पर उन्होंने कहा कि दिल्ली में किसी सुल्तान के राज्याभिषेक समारोह जैसा लग रहा था। उन्होंने कहा, ‘यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि पीएम मोदी ने ऐसा व्यवहार किया जैसे वह केवल एक धर्म के पीएम हैं। भारत एक नहीं सभी धर्मों का देश है। ओवैसी ने कहा कि मोदी को अपने साथ एक सिख गुरु, ईसाई पुजारी, एक जैन धार्मिक विद्वान और एक मुस्लिम मौलाना को भी लोकसभा और राज्यसभा में उनके संबंधित पवित्र ग्रंथों से छंदों का उच्चारण करने के लिए ले जाना चाहिए था।’ओवैसी ने कहा, ‘भारत का कोई धर्म नहीं है। भारत सारे धर्मों को मानता है। जो धर्म को नहीं मानता है भारत उसे भी मानता है। मगर अफसोस है कि पीएम सिर्फ एक ही मजहब के लोगों को संसद में लेकर गए।’

‘टीपू सुल्तान ने क्या इसी दिन के लिए दी कुर्बानी’
ओवैसी ने कहा, ‘क्या यह भारत का सकुर्लिज्म है, क्या यही सत्यमेव जयते है? क्या यही दिन देखने के लिए हमारे बुजर्गों ने अंग्रेजों से लड़कर अपनी कुर्बानी दी? क्या इसी दिन के लिए हमारे बुजुर्गों ने काला पानी की सजा काटी? क्या इसी दिन के लिए जलियावाला कांड में कुर्बियां दी गईं? बहादुर शाह जफर के सामने उनके बेटे के सिर को काटकर रख दिया गया क्या इसी दिन के लिए? क्या इसी दिन के लिए टीपू सुल्तान ने अपनी जान की कुर्बानी दी ताकि देश को अंग्रेजों से आजाद कराया जाए।’

‘भारत का एक महजब नहीं’
पीएम आप एक महजब के नहीं हैं। भारत की पार्लियामेंट का उद्घाटन हआ। पीएम की फोटो आई लेटे हुए। फिर एक फोटो आई अंदर जा रहे हैं उनके पीछे 18 से 20 हिंदू मजहब के पुजारी मंत्र पढ़ते हुए जा रहे हैं। मुझे देखकर ताज्बुक हुआ कि आपके दिल में यह क्यों नहीं आया कि जब हिंदू पुजारियों को लेकर गए तो उसमें ईसाईयों के पादरी, मुस्लिमों के पादरी और सिखों के गुरुओं को भी होना चाहिए था। भारत का एक मजहब नहीं है। भारत सारे मजहब को मानता है।

अंदर पढ़ी जानी चाहिए थी सूरह रहमान की तिलावत’
ओवैसी ने कहा कि काश आपका दिल बड़ा होता तो उसमें सिख, मुसलमान और ईसाई भी होते। सर्व धर्म प्रार्थना पर ओवैसी ने कहा कि सूरह रहमान की तिलावत की गई … अल्हमदुलिल्लाह… लेकिन यह बाहर किया गया। इसे संसद भवन के अंदर भी पढ़ा जाना चाहिए था। वह लोकसभा का उद्घाटन नहीं लग रहा था। ऐसा लग रहा था कि दिल्ली के सुल्तान की ताजपोशी हो रही है। संसद बननी चाहिए लेकिन यह क्या है बनाया है?

‘अल्लाह ने मेरी फकीरी में शाही दी’
हैदराबाद सांसद ने कहा कि यह देश के वजीरेआजम को नहीं करना चाहिए था। आप हिंदू, मुसलमानों, सिखों और ईसाई सबके पीएम हैं। आप एक मजहब के नहीं हैं। लोग कहेंगे ओवैसी तेरा मजहब क्या है? मैं पीएम की बात कर रहा हूं। जो हिंद का वजीरेआजम है। जब तक मुझे अल्लाह जिंदा रखेगा, आपका साथ और दुआ रहेगी तो मैं जहां हूं, वहीं रहूंगा। अल्लाह ने मेरी फकीरी में शाही दी है।

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