नई दिल्ली
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ‘One Nation, One Election’ के मुद्दे पर बात करते हुए कहा है कि आम सहमति बनाए बिना केंद्र का इस विषय पर पर जोर देना भारत में लोकतंत्र के खतरे में होने का उदाहरण है। जब सीएम अशोक गहलोत से इस मुद्दे पर राय पूछी गई तो सीएम ने कहा, “मैं लंबे समय से यह कह रहा हूं, आज जो कुछ भी हो रहा है, कोई नहीं जानता कि देश किस दिशा में जा रहा है। लोकतंत्र खतरे में है और संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। एक साथ चुनाव इसका एक उदाहरण है। केंद्र विपक्षी दलों को साथ लेकर और उनके साथ चर्चा करके ऐसा कर सकता था लेकिन ऐसा नहीं हुआ है।”
क्या बोले CM गहलोत?
इस मुद्दे की जांच के लिए पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा समिति का नेतृत्व करने का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा, “राष्ट्रपति का पद एक प्रतिष्ठित पद है, मैंने कभी किसी पूर्व राष्ट्रपति को किसी समिति का नेतृत्व करते हुए नहीं सुना, समिति की आलोचना के साथ-साथ प्रशंसा भी की जाएगी और आपने अनावश्यक रूप से पूर्व राष्ट्रपति को इसमें शामिल कर लिया है।”
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि केंद्र विपक्ष को विश्वास में ले सकता था और लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इससे लोगों को उन पर शक होता है कि उनकी मंशा क्या है। उन्होंने कहा कि सरकार 18-22 सितंबर तक विशेष संसद सत्र बुलाने के अपने अधिकार में है, लेकिन उसने अभी भी देश को यह नहीं बताया है कि इसे क्यों बुलाया गया है।
मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि राजस्थान के लोगों ने राज्य में कांग्रेस सरकार को फिर से चुनने का मन बना लिया है। यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें इस बात की चिंता है कि चुनाव हारने के बाद भाजपा राजस्थान में सरकार बनाने में विफल रही है और वह बदला लेगी, मुख्यमंत्री ने कहा, “उन्हें (भाजपा) पता होना चाहिए कि वे किसके सामने हैं।”
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में मोदी फैक्टर काम नहीं करने वाला है और पार्टी ने राज्य की 200 सीटों में से 156 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। कानून-व्यवस्था पर गहलोत ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों की ओर इशारा किया और कहा कि अन्य राज्यों का रिकॉर्ड राजस्थान से भी खराब है।