वॉशिंगटन
भारत और अमेरिका के बीच रिश्तों में घरेलू और विदेशी नीतियों तथा मुद्दों को लेकर नोकझोंक बढ़ता जा रहा है। सीएए, अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी, कांग्रेस के फ्रीज बैंक खाते का मुद्दा उठाने के बाद अब अमेरिका ने तालिबान के साथ भारत के रिश्तों पर नसीहत दी है। अमेरिका ने भारत से कहा है कि वह सामूहिक हित को ध्यान में रखते हुए अफगानिस्तान में एकीकृत राजनयिक रवैया अपनाए। अमेरिका का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब हाल ही में भारतीय विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी जेपी सिंह ने काबुल का दौरा किया था। इस दौरान भारतीय अधिकारी ने तालिबान के शीर्ष नेताओं के साथ मुलाकात की थी।
वाइस ऑफ अमेरिका की रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान के लिए अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि थॉमस वेस्ट ने भारतीय विदेश सचिव से अनुरोध किया है कि वह अफगानिस्तान में एक एकीकृत राजनयिक रुख विकसित करें ताकि सामूहिक हितों को मदद दी जा सके। अमेरिका के विपरीत भारत ने काबुल की नई सरकार के साथ अपने रिश्ते बरकरार रखे हैं। यही नहीं भारत और तालिबान के बीच संबंध अब नई ऊंचाई पर पहुंच रहे हैं। भारत ने यह कदम तब उठाया है जब चीन ने तालिबानी राजदूत को मान्यता दे दी है। वहीं अमेरिका की बात करें तो वह अभी भी तालिबानी नेताओं को अलग थलग करने की नीति पर ही बना हुआ है।
भारत को पाकिस्तानी आतंकियों का खतरा
तालिबान पर अमेरिकी प्रतिबंध अभी भी बने हुए हैं। कई विश्लेषकों ने अमेरिका के इस रुख की आलोचना की है लेकिन बाइडन प्रशासन इस पर कायम है। उसका कहना है कि तालिबान के महिलाओं को शिक्षा और काम का अधिकार देने तक यह जारी रहेगा। पाकिस्तान के पूर्व राजदूत रुस्तम शाह महमूद का कहना है कि भारत तालिबान के साथ व्यापार और मध्य एशिया के ऊर्जा स्रोतों तक अपनी पहुंच बनाना चाहता है। भारतीय अधिकारी ने तालिबानी विदेश मंत्री के साथ मुलाकात में कहा था कि वह ईरान भारत के बनाए चाबहार पोर्ट के जरिए व्यापार को बढ़ाना चाहते हैं।
तालिबानी सरकार ने ऐलान किया है कि वह चाबहार पोर्ट में निवेश करेगी और पाकिस्तान के कराची पोर्ट से अपनी निर्भरता को घटाएगी। हालांकि अमेरिकी प्रवक्ता ने यह भी कहा कि वह भारत के तालिबान के साथ रिश्तों को सुधारकर राष्ट्रीय हितों को आगे बढ़ाने की जरूरत का सम्मान करता है। बता दें कि भारत और अमेरिका दोनों ही के लिए अफगानिस्तान से पैदा होने वाले आतंकी मुख्य चिंता का विषय रहे हैं। अमेरिका अक्सर अलकायदा को लेकर तालिबान को चेतावनी देता रहता है। भारत को भी पाकिस्तान के पाले हुए लश्कर आतंकियों का खतरा रहता है जो भारत में खून बहाते हैं। तालिबान ने वादा किया है कि वह अपनी जमीन का इस्तेमाल किसी भी आतंकी गुट को नहीं करने देंगे।