नई दिल्ली,
ज्ञानवापी मामले में भोजन अवकाश के बाद सुनवाई फिर शुरू हुई तो मस्जिद पक्ष के पैरोकार वकील अहमदी ने कोर्ट को बताया कि मस्जिद में जाने का रास्ता किधर है. अहमदी ने कहा कि हम लगातार मस्जिद का हिस्सा खो रहे हैं जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने ही वजूखाना क्षेत्र को संरक्षित किया है. उन्होंने कहा कि मस्जिद की जगह पर अतिक्रमण किया जा रहा है. जैसे सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई कोर्ट के आगे जाकर नीचे कई कैंटीन हैं. ये कहा जाए कि वह सुप्रीम कोर्ट का हिस्सा नहीं, वैसा ही इस मामले में भी हुआ है.
वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में व्यास जी के तहखाने में पूजा पाठ रोकने को लेकर मस्जिद कमेटी की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के समक्ष वकील हुजैफा अहमदी ने कहा कि 1993 से 2023 तक कोई पूजा नहीं हो रही थी. 2023 में पूजा के अधिकार की फिर से बहाली का दावा किया गया. उस पर अदालत ने आदेश कर दिया और पूजा स्थल कानून को ध्यान में रखते हुए दिया गया.
कोर्ट में हुई जोरदार बहस
अहमदी ने वाराणसी अदालत का आदेश पढ़कर सुनाया, जिसमें व्यास परिवार को तहखाने में पूजा करने की इजाजत दी गई थी. सीजेआई ने कहा कि कलेक्टर का कहना है कि दूसरा लॉक राज्य सरकार का है. अहमदी ने कहा, ‘यह सही है. 1993 तक उसका कब्जा था. 1993 में हस्तक्षेप राज्य द्वारा किया गया था.’ इस पर सीजेआई ने पूछा कि दूसरा ताला किसने खोला? अहमदी ने कहा कि दूसरा ताला कलेक्टर ने खुलवाया. कोर्ट ने पूछा कि पहला ताला व्यास परिवार के पास था?
अहमदी ने कहा, ‘नहीं, उन्होंने बैरिकेड्स हटाने के लिए लोहे के कटर खरीदे, रात में बैरिकेड्स हटा दिए और सुबह 4 बजे पूजा शुरू कर दी. तहखाने में हो रही पूजा से पहले कोई कब्जा नहीं है. इससे चीजें खराब हो जाएंगी. इतिहास ने हमें कुछ अलग सिखाया है. मैं इसमें नहीं पड़ना चाहता. नागरिक कानून के सिद्धांतों के अनुसार, यह एक अनुचित आदेश है.’
कोर्ट ने दिया यथास्थिति कायम रखने का आदेश
सीजेआई ने पूछा, ‘क्या तहखाने और मस्जिद में जाने का एक ही रास्ता है?’ अहमदी ने कहा कि तहखाना दक्षिण में हैं और मस्जिद जाने का रास्ता उत्तर में है. सीजेआई ने पूछा, ‘रास्ते अलग हैं, नमाज़ पढ़ने जाने के और पूजा पर जाने को. ऐसे में हमारा मानना है कि दोनों पूजा पद्धति में कोई बाधा नहीं होगी. ऐसे में हम नोटिस जारी कर मामले को सुनवाई के लिए जुलाई में सूचीबद्ध करते हैं. सीजेआई ने कहा कि तहखाने और मस्जिद में जाने का रास्ता अलग है तो फिलहाल हम यथास्थिति रखते हैं.
सीजेआई ने मांगी स्पष्टता
सीजेआई ने कहा कि हमें पूरी तरह से इस पर स्पष्टता चाहिए कि आने जाने का रास्ता तहखाने का कहां से है और मस्जिद में प्रवेश का कहां से है. अहमदी ने कहा कि जब 30 साल बीते चुके थे तो आखिर इतनी जल्दबाजी क्या थी. इस मामले में अदालत को पूजा के आदेश पर दिए गए फैसले पर रोक लगानी चाहिए. तहखाने में पूजा का अधिकार नहीं देना चाहिए. कई अलग-अलग अर्जियां हैं. एक में नमाज पढ़ने पर रोक लगाने की मांग की गई है.
हिंदू पक्ष की तरफ से श्याम दीवान ने कहा कि उत्तर दिशा में मस्जिद जाने का और दक्षिण दिशा में व्यास जी के तहखाने में जाने का रास्ता है. इस मामले में अदालत को नोटिस नहीं जारी करना चाहिए. ये नोटिस जारी करने का मामला नहीं है. व्यास जी के परिवार को नहीं बल्कि काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के पुजारी की ओर से पूजा की जा रही है. सुप्रीम कोर्ट के समक्ष मैप के जरिए बताया गया कि मंदिर कहां है और मस्जिद कहां हैं.