‘क्रूर हैं नए कानूनों के प्रावधान…’ दिल्ली के जिला अदालतों के वकील 15 जुलाई को करेंगे विरोध प्रदर्शन

नई दिल्ली

नए आपराधिक कानूनों के प्रावधानों को क्रूर बताते हुए दिल्ली के वकील इसका विरोध कर रहे हैं। इन कानूनों के विरोध को लेकर नई दिल्ली बार एसोसिएशन (एनडीबीए) की समन्वय समिति ने हाल ही में तीस हजारी कोर्ट में एक बैठक की। जिसमें फैसला लिया गया कि दिल्ली के सभी कोर्ट में 15 जुलाई को वकील न्यायिक कार्यों का बहिष्कार करेंगे।

कोऑर्डिनेशन कमेटी ने वकीलों से न्यायिक कार्यों का बहिष्कार करने की अपील करते हुए कहा है कि नए आपराधिक कानूनों में हिरासत के प्रावधान काफी क्रूर हैं और इससे न्याय मिलना काफी मुश्किल हो जाएगा। वहीं ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन के दिल्ली ईकाई के सचिव सुनील कुमार ने कहा कि नए कानून से हिरासत में प्रताड़ना बढ़ेगी। बता दें कि नए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 187(3) पुलिस हिरासत को 15 दिन से बढ़ाकर 60 से 90 दिन करने का प्रावधान है।

दिल्ली हाई कोर्ट ने नए कानूनों की तारीफ की थी
बता दें कि कुछ दिन पहले ही दिल्ली हाई कोर्ट ने नए कानूनों की तारीफ में टिप्पणियां की थी। कोर्ट ने कहा था कि सीआरपीसी की जगह लेने वाले नए कानून भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) आपराधिक न्याय में एक बदलाव लाने वाले युग की शुरुआत करता है और एक ऐसे सिस्टम को बढ़ावा देता है, जो पारदर्शी, जवाबदेह और मूल रूप से निष्पक्षता और न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप है। हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी एनडीपीएस एक्ट के तहत दर्ज नशीले पदार्थ से जुड़े मामले में एक आरोपी को जमानत देते हुए की।

BNSS की खूबियां बताते हुए कोर्ट ने कहा कि इसके तहत फोटोग्राफी और विडियोग्राफी को जरूरी कर दिया गया है, जिसे साक्ष्यों की बेहतर समझ और मूल्यांकन के लिए सर्वोत्तम चलन के रूप में दुनियाभर में स्वीकार किया जाता है। आदेश जस्टिस अमित महाजन की कोर्ट का है जिन्होंने कहा कि बदलते समय की जरूरत को समझते हुए संसद ने BNSS को पारित किया।

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