नई दिल्ली
देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट में केस की सुनवाई के बीच कभी-कभी जज और वकील के बीच कुछ हल्की-फुल्की बातें भी हो जाया करती हैं। कुछ ऐसा ही 11 जुलाई को भी हुआ। सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ तीन साथी जजों के साथ एक के बाद एक मामले निपटाते जा रहे थे। इसी बीच एक केस में सीनियर वकील राजू रामचंद्रन पेश हुए।
राजू रामचंद्रन का मामला संपत्ति विवाद से जुड़ा था। मुंबई में कोई बंगला गिरा कर बहुमंजिली इमारत बनाए जाने का मामला। एडवोकेट रामचंद्रन एक बिल्डर की ओर से मुकदमा लड़ रहे थे।सीजेआई चंद्रचूड़ की पीठ को वकील रामचंद्रन ने केस का बैकग्राउंड बताते हुए कहा कि हमारी बस इतनी दरख्वास्त है कि उन्हें खरीदार के फेवर में थर्ड पार्टी राइट्स जारी न करने दिया जाए। सीजेआई ने कहा- हम उन्हें नोटिस भेजेंगे और उनका पक्ष भी सुनेंगे।
एडवोकेट रामचंद्रन ने सेक्शन नौ के तहत ऑर्डर जारी करने की गुजारिश करते हुए दलील दी कि कहा- अगर हमारी पीठ के पीछे अग्रीमेंट बन जाता है और कोर्ट से भी छुपा लिया जाता है…सीजेआई ने बीच में ही रोकते हुए कहा- आप भी मुंबई के बहुत बड़े बिल्डर हैं। आपकी पीठ के पीछे कुछ नहीं हो सकता। आप देख रहे हैं कि पूरी इमारत खड़ी हो रही है।वकील रामचंद्रन ने हंसते हुए कहा- वो तो मैं उस रास्ते से गुजरते हुए देख पाया। मैं मुंबई की हर सड़क पर नहीं चलता हूं।
सीजेआई ने कहा- हम शॉर्ट नोटिस भेजते हैं और फिर देखते हैं। रामचंद्रन गुहार लगाते रहे- लॉर्डशिप! बस सेक्शन नौ के तहत राहत दे दी जाए। लेकिन, सीजेआई अपनी बात पर कायम रहे।दूसरे मामले पर आगे बढ़ने से सीजेआई ने कहा- हमें दो मिनट के लिए जाना होगा, क्योंकि ब्राजील से कुछ जज आए हुए हैं।जज उठते, इससे पहले रामचंद्रन ने एक और किस्सा सुनाना शुरू कर दिया। यह किस्सा उनका 48 साल पुराना एक निजी अनुभव था।रामचंद्रन को एक जूनयिर वकील की सीजेआई चंद्रचूड़ द्वारा हौंसला बढ़ाते देख यह वाकया याद आ गया था। इसे उन्होंने अदालत में सुनाया।