‘रात में सो नहीं पाते, डर लगा रहता है…’, श्रावस्ती में दलित किशोर को पेशाब पिलाने का मामला

श्रावस्ती:

हम डर और दहशत से रातभर सो नहीं पाते हैं, हमें यही डर सताता रहता है कि अगर हमारे भाइयों को वह लोग रात में मारने आएंगे, उस समय अगर हम जाग रहे होंगे, तो हल्ला जरूर मचा लेंगे, ताकि हमारे भाई घर से बाहर भाग सकें और अपनी जान बचा लें, यह शब्द दलित संजू देवी के हैं, जिनके छोटे भाई को उन्हीं के गांव के तीन दबंगो ने कट्टे की नोक पर पटक कर अपना पेशाब पिला दिया, जिसकी रिपोर्ट पुलिस अधीक्षक के हस्तक्षेप के बाद घटना के 9 दिन बाद लिखी गई।

मजदूरी करके घर चलाते हैं पीड़ित परिवार
यह गांव सवर्ण बाहुल्य है। दलित के मात्र 4-6 घर हैं। वह भी सब आपस में पट्टीदार हैं। पीड़ित दलित परिवार के पास कागज में 32 बीघा जमीन है, लेकिन लगभग 25 बीघा जमीन नदी में कट गई है, इसलिए इस परिवार को 7 बीघा जमीन बची है। प्रदीप और उसके बड़े भाई चन्द्र प्रकाश द्वारा मजदूरी से कमाए गए पैसे से गुजारा करना पड़ता है ।

कट्टा कनपटी पर लगाकर पेशाब पिलाया
घटना के दिन मुन्नी लाल का डीजे किशन तिवारी के यहां बुक था, जिसको पहुंचाने की जिम्मेदारी प्रदीप की थी, क्योंकि वह आपरेटर था। प्रदीप ने जनरेटर पहुंचा दिया, लेकिन एक सोडियम लाइट रख कर वह किशन के साथ जा रहा था। रास्ते में पल्सर मोटरसाइकिल से दिलीप मिश्रा और सत्यम तिवारी आ गए और प्रदीप को रोक कर उन्होंने बीयर की बोतल में पेशाब किया। उसको पिलाने का प्रयास करने लगे। उसने मना किया तो एक झापड़ मारा और दिलीप ने कट्टा निकाल कर कनपटी पर लगा दिया। सत्यम और किशन ने उसे पकड़ लिया और उसके मुंह में बोतल घुसेड़ कर जबरदस्ती पेशाब पिला दिया। दरअसल, दिलीप, प्रदीप से इसलिए नाखुश था, क्योंकि एक दिन दिलीप पान मसाला खाकर दलित के बच्चों पर थूक रहा था, जिसका प्रदीप ने विरोध किया था।

9 जुलाई को लिखा गया मुकदमा
इस पूरी घटना की तहरीर प्रदीप के बड़े भाई चन्द्र प्रकाश पासवान ने 1 जुलाई को गिलौला थाने को दी, लेकिन एक सप्ताह तक गिलौला थाने की पुलिस टस से मस नहीं हुई, फिर पीड़ित ने लगभग एक सप्ताह बाद दूसरा एक प्रार्थना पत्र पुलिस अधीक्षक घनश्याम चौरसिया को दिया। पुलिस अधीक्षक के हस्तक्षेप के बाद 9 जुलाई को दिलीप मिश्रा, सत्यम तिवारी और किशन तिवारी के खिलाफ धारा- 115 (2), 351, 352 (एन एस ए) और अनुसूचित जाति/जनजाति अधिनियम के तहत मुकदमा लिखा गया और उसी दिन इन तीनों को गिरफ्तार कर लिया गया।

घर से बाहर नहीं निकल रहा पीड़ित का परिवार
पीड़ित प्रदीप का कहना है कि जब से यह तीनों छूट कर आए हैं, तब से हम कहीं बाहर नहीं जा पा रहे, क्योंकि इन लोगों ने चैलेंज किया है कि दोनों भाई कहीं भी मिले, तो इन्हें गायब कर दो। हम लोग डर के मारे सुकून से खा नहीं पा रहे हैं। हमारी मां का रो-रो कर बुरा हाल है। वह यह डर रही कि अगर हम लोगों को कुछ हो गया, तो बूढ़ा बाप जो अक्सर बीमार रहता है, वह कुछ कर भी नहीं पाएगा और हमारे परिवार की देखभाल कौन करेगा।

आरोपी के पिता ने कहा- हम लोगों को फंसाया गया है
इस संबंध में आरोपी दिलीप मिश्रा के बड़े बाप बदलू राम मिश्रा से जब पूछा गया कि बच्चों को समझते क्यों नहीं कि ऐसी हरकत न करें, तो उन्होंने कहा कि हम लोगों को फंसाया गया है। इसमें राजनीतिक प्रतिद्वन्द्विता का मामला है।

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