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मोन कांड: मेजर समेत 30 सैन्यकर्मियों पर चलेगा मुकदमा? केंद्र के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में नगालैंड

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नई दिल्ली 

करीब साढ़े 3 साल पहले नगालैंड के मोन में 13 सिविलियंस की हत्या के मामले में वहां की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। नगालैंड सरकार ने केंद्र के उस डेढ़ साल पुराने आदेश को चुनौती दी है, जिसमें 30 सैन्यकर्मियों पर मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया गया था। ये सैन्यकर्मी 4 दिसंबर, 2021 को मोन जिले में उग्रवादियों पर घात लगाने के एक नाकाम अभियान में 13 आम नागरिकों की हत्या के मामले में नामजद थे। इस घटना के बाद राज्य पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी।

नगालैंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत याचिका दायर की है, जिसमें नागरिकों के मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का हवाला दिया गया है। सीजेआई डी. वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस जे. बी. पारदीवाला और मनोज मिश्रा की बेंच के सामने राज्य के महाधिवक्ता के. एन. बालगोपाल ने कहा कि राज्य पुलिस के पास एक मेजर सहित सैन्यकर्मियों के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं। उन्होंने कहा कि इसके बाद भी केंद्र ने ‘मनमाने ढंग ‘से उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया है। नगालैंड सरकार ने कहा, ‘केंद्र सरकार के सक्षम प्राधिकारी ने, विशेष जांच दल (राज्य पुलिस) द्वारा जांच के दौरान एकत्र की गई पूरी सामग्री को ध्यान में रखे बिना और जनहित के खिलाफ, आरोपी सैन्यकर्मियों पर मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से मनमाने ढंग से इनकार कर दिया है।’ पीठ ने केंद्र और रक्षा मंत्रालय को नोटिस जारी कर 4 हफ्ते में जवाब मांगा है।

जुलाई 2022 में, सुप्रीम कोर्ट ने 21 पैरा (स्पेशल फोर्सेज) की अल्फा टीम से जुड़े सैन्यकर्मियों के खिलाफ मुकदमा चलाने पर रोक लगा दी थी। यह रोक आरोपी सैन्यकर्मियों की पत्नियों की तरफ से दायर याचिकाओं पर लगाई गई थी। याचिकाकर्ताओं का दावा था कि उनके पतियों पर मुकदमा चलाया जा रहा है, जबकि राज्य ने केंद्र से मुकदमा चलाने के लिए अनिवार्य मंजूरी नहीं ली है। उन्होंने एफआईआर को रद करने की भी मांग की थी। पिछले साल 28 फरवरी को केंद्र ने इन सैन्यकर्मियों पर मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया था। राज्य ने कहा कि सेना की घात लगाए टीम ने कोयला खनिकों को ले जा रहे एक बोलेरो पिकअप वाहन पर बिना किसी चुनौती दिए या उनसे अपनी पहचान बताने के लिए कहे गोलियां चला दी थीं। इसने घात लगाए टीम के इस दावे का हवाला दिया कि उन्होंने मारे गए लोगों की सकारात्मक पहचान कर ली थी क्योंकि वे बंदूक और हथियार ले जा रहे थे, गहरे रंग के कपड़े पहने हुए थे और जल्दी से वाहन में कूद गए थे।

राज्य ने कहा, ‘ये फैक्टर नगालैंड के ग्रामीणों में आम हैं। सेना की निगरानी टीम को नगालैंड की जमीनी हकीकतों की कोई बुनियादी जानकारी नहीं थी, जहां शिकार के लिए बंदूकें ले जाना आम बात है।’ पहले घात में 6 नागरिकों के मारे जाने के बाद, गुस्साए ग्रामीणों की सेना से झड़प हो गई, जिसमें 7 अन्य ग्रामीण और एक सैनिक की मौत हो गई। एसआईटी की तरफ से इकट्ठे किए गए सभी सबूत 24 मार्च, 2022 को नई दिल्ली में सैन्य मामलों के विभाग को भेज दिए गए थे, जिसमें मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगी गई थी।

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