फिर ऐक्टिव हुआ बच्चों की जान लेने वाला खतरनाक वायरस, कैसे पड़ा इसका नाम चांदीपुरा?

नई दिल्ली

एक ऐसा वायरस जो बच्चों पर अटैक करता है और मौत के घाट उतार देता है, इसका नाम है चांदीपुरा। गुजरात के अलग-अलग इलाकों में चांदीपुरा वायरस से संक्रमण का खतरा बढ़ता जा रहा है। गुजरात के हिम्मतनगर अस्पताल में चांदीपुरा वायरस से 6 लोगों की मौत हो गई। चांदीपुरा कोई नया वायरस नहीं है, इसका पहला मामला साल 1965 में महाराष्ट्र से सामने आया था। उसके बाद गुजरात में भी यह संक्रमण पाया गया। बरसात के मौसम में यह वायरस ऐक्टिव होता है।

यह संक्रमित रोग मक्खी, मच्छर के काटने से होता है। 9 महीने से 14 साल की उम्र के बच्चों में यह संक्रमण पाया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में इस वायरस का संक्रमण ज्यादा देखने को मिलता है। इस वायरस के नाम को लेकर सोशल मीडिया पर काफी चर्चा है। दरअसल इस वायरस का नाम किसी गांव, कस्बे और शहर के नाम की तरह है। इस वायरस का नाम चांदीपुरा कैसे पड़ा? हर कोई जानना चाहता है। आइए जानते हैं इसके नाम के पीछे का रहस्य।

क्यों पड़ा चांदीपुरा नाम?
साल 1965 में अप्रैल से जून के बीच नागपुर शहर के चांदीपुर में एक नए वायरस का प्रकोप देखा गया। इस वायरस से लोगों को बुखार होता था। 14 से 15 साल के कई बच्चे इस वायरस की चपेट में आने से मर गए थे। देश में सबसे पहले नागपुर के चांदीपुरा गांव से वायरस की शुरुआत होने के कारण इसे चांदीपुरा वायरस के तौर पर जाना जाने लगा।

क्या है लक्षण?
बच्चों में तेज बुखार, उल्टी, दस्त, सिर दर्द और ऐंठन जैसे प्राथमिक लक्षण दिखाई देते हैं। चांदीपुरा वायरस में अक्सर अचानक तेज बुखार आना, उसके बाद दौरे पड़ना, दस्त, मस्तिष्क में सूजन, उल्टी का होना शामिल है, जो मौत का कारण बन सकता है। बताया गया है कि इस वायरस से संक्रमित बच्चे लक्षण दिखने के 48-72 घंटों के भीतर मर जाते हैं। ऐसे में यह वायरस शिशुओं और वयस्क के लिए घातक है। गुजरात सरकार ने लोगों को सावधानी बरतने की अपील की है।

About bheldn

Check Also

गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश का मामला, भारतीय जांच कमेटी कल जाएगी अमेरिका

नई दिल्ली, कनाडा के साथ हरदीप सिंह निज्जर हत्याकांड को लेकर आई तल्खी के बीच …