नई दिल्ली,
हिंडनबर्ग की हालिया रिपोर्ट को खारिज करते हुए बीजेपी ने इसे देश की अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचाने की साजिश बताया. बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने सोमवार को इस मामले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की और हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर अमेरिकी बिजनेसमैन जॉर्ज सोरोस और विपक्ष को आड़े हाथों लिया. रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हमें उम्मीद थी कि तीसरी बार सत्ता से बेदखल होने के बाद कांग्रेस वाले टूलकिट का इस्तेमाल नहीं करेंगे. लेकिन चुनाव में हारने के बाद अब कांग्रेस पार्टी देश में आर्थिक अराजकता फैलाना चाहती है.
‘शेयर बाजार को हिलाने की साजिश’
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि ये रिपोर्ट भारतीय शेयर बाजार को हिलाने की साजिश है. उन्होंने कहा कि आपने देखा होगा कि ये रिपोर्ट शनिवार को आई, जिसके बाद सोमवार को बाजार खुलते ही इसका असर देखने को मिला. उन्होंने कहा कि आरोपों का जवाब सेबी प्रमुख ने दे दिया है. लेकिन हिंडनबर्ग वाले भारत विरोधी एजेंडा चलाते हैं.
क्या बोले रविशंकर प्रसाद
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हिंडनबर्ग की पहली रिपोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया था. इसको लेकर हिंडनबर्ग को नोटिस भी भेजा गया था. लेकिन इस नोटिस का जवाब देने के बजाय हिंडनबर्ग ने फिर से आधारहीन आरोप लगाया है. रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इस मामले पर सेबी और सेबी प्रमुख ने भी स्पष्टीकरण दिया है. लेकिन फिर भी सवाल उठाए जा रहे हैं.
जॉर्ज सोरोस को घेरा
रविशंकर प्रसाद ने आरोप लगाया कि अमेरिकी बिजनेसमैन जॉर्ज सोरोस हिंडनबर्ग में मुख्य निवेशक हैं. यह एक टूलकिट गैंग है और साजिश के तहत भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचाई जा रही है. शेयर बाजार को अस्थिर किया जा रहा है. आपने देखा होगा कि कैसे साजिश के तहत ये रिपोर्ट शनिवार को आई, जब बाजार बंद रहता है. सोमवार को इस रिपोर्ट के बाद बाजार में क्या हुआ आप सबने देखा.
कांग्रेस पर बोला हमला
रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस पर भी सवाल खड़े किए. बीजेपी नेता ने पूछा कि आखिर कांग्रेस चाहती क्या है. कांग्रेस चाहती है कि भारत में कोई आर्थिक निवेश न हो. भारत की प्रगति को रोकने की साजिश रची जा रही है. कांग्रेस पार्टी भारत को कमजोर और भारत की आर्थिक स्थिति को बिगड़ना चाहती है. बीजेपी नेता ने कहा कि मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि चमन उजड़ेगा नहीं और हम भारत को कमजोर नहीं होने देंगे.
कौन हैं जॉर्ज सोरोस
जॉर्ज सोरोस का जन्म 12 अगस्त, 1930 को हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में हुआ था. वे खुद को दार्शनिक और सामाजिक कार्यकर्ता भी बताते हैं. हालांकि, उन पर दुनिया के कई देशों की राजनीति और समाज को प्रभावित करने का एजेंडा चलाने का आरोप लगता रहता है. 11 नवंबर 2003 को वॉशिंगटन पोस्ट को दिए इंटरव्यू में सोरोस ने कहा था, जॉर्ज डब्ल्यू बुश को राष्ट्रपति पद से हटाना उनके जीवन का सबसे बड़ा मकसद है. और ये उनके लिए ‘जीवन और मौत का सवाल’ है. सोरोस ने कहा था कि अगर कोई उन्हें सत्ता से बेदखल करने की गारंटी लेता है, तो वो उस पर अपनी पूरी संपत्ति लुटा देंगे.
1956 में वो लंदन से अमेरिका आ गए थे. यहां आकर उन्होंने फाइनेंस और इन्वेस्टमेंट की दुनिया में कदम रखा और अपनी किस्मत बदली. 1973 में उन्होंने ‘सोरोस फंड मैनेजमेंट’ लॉन्च किया. उनका दावा है कि अमेरिकी इतिहास में उनका फंड सबसे बड़ा और कामयाब इन्वेस्टर है.
भारत विरोधी बयान के लिए हैं मशहूर
हंगरी-अमेरिकी मूल के मशहूर अरबपति जॉर्ज सोरोस अपने बयानों को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहते हैं. खासतौर पर उनकी नजर भारतीय उपमहाद्वीप में हो रहे राजनीतिक बदलावों पर रहती है. सोरोस कई मंचों से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व अमेरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को लगातार सत्ता में बने रहने से तानाशाही की ओर बढ़ने वाला नेता कहते रहे हैं.
पीएम मोदी पर उठाया था सवाल
भारत में नागरिकता संशोधन कानून और कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने को लेकर जॉर्ज सोरोस ने पीएम मोदी पर निशाना साधा था. सोरोस का आरोप था कि भारत हिंदू राष्ट्र बनने की ओर बढ़ रहा है.
– इसी साल जनवरी में जब हिंडनबर्ग से अडानी ग्रुप पर सवाल उठाया तो हाथ सेंकने के लिए जॉर्ज सोरोस भी सामने आ गए थे. जॉर्ज सोरोस ने अडानी मुद्दे के बहाने फिर पीएम मोदी पर निशाना साधा. सोरोस ने दावा किया था कि अडानी के मुद्दे पर भारत में एक लोकतांत्रिक परिवर्तन होगा.
-बीते दिनों उन्होंने म्यूनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस में कहा था कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है, लेकिन नरेंद्र मोदी लोकतांत्रिक नहीं हैं. मोदी के तेजी से बड़ा नेता बनने के पीछे अहम वजह मुस्लिमों के साथ की गई हिंसा है