खरगोन:
गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों की औपचारिक घोषणा की गई है। इसमें मध्य प्रदेश के खरगोन जिले की 82 साल की शैली होल्कर को इस वर्ष पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। होल्कर एक अनुभवी सामाजिक उद्यमी हैं, जिन्होंने रानी अहिल्याबाई होल्कर की विरासत से प्रेरित होकर 300 साल पुरानी माहेश्वरी हथकरघा उद्योग को पुनर्जीवित किया है। इसके लिए उन्होंने अपना पांच दशक से अधिक का समय इसी में लगा दिया।
बता दें कि शैली होल्कर को यह पुरस्कार व्यापार और उद्योग (वस्त्र) के क्षेत्र में उत्कृष्ट काम करने के लिए दिया जा रहा है। होल्कर का जन्म अमेरिका में हुआ। उन्होंने खरगोन की समाप्त हो रही महेश्वरी शिल्प को एक बार फिर से समृद्ध कर दिया। शैली ने इस शिल्प को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई और इस शिल्प कला में आधुनिक डिजाइन के साथ परंपरा को भी सहजता से मिश्रित किया है।
प्रशिक्षण के लिए खोला स्कूल
शैली ने हथकरघा की पारंपरिक बुनाई तकनीकों को और अधिक प्रसारित करने के लिए इसका प्रशिक्षण देना शुरू किया, जिसके लिए उन्होंने महेश्वर में हथकरघा स्कूल की स्थापना की और हथकरघा शिल्प का संरक्षण और इसके विकास को सुनिश्चित किया।
250 से अधिक महिलाओं को मिला रोजगार
शैली होल्कर महिला सशक्तिकरण की प्रबल समर्थक हैं। उन्होंने 250 से अधिक महिला बुनकरों को रोजगार दिया है। 110 से अधिक हथकरघे स्थापित किए और 45 से ज्यादा घर, 8वीं क्लास तक का एक स्कूल और अपने कर्मचारियों के बच्चों के लिए एक घर स्थापित किया है। उनकी पहल ने महिलाओं को हथकरघा शिल्प कौशल में प्रशिक्षित किया, जिससे महिलाओं को स्थायी आजीविका का साधन मिल गया है। वहीं दूसरी ओर अहिल्याबाई ज्योति स्कूल के माध्यम से 240 से अधिक युवाओं को इस का प्रशिक्षण देने की प्लानिंग है। इसमें महिलाओं और बच्चों को भी सीखने का अवसर मिलेगा।