ग्वालियर
14 मार्च के दिन देशभर में होली का त्योहार मनाया जाएगा। ऐसे में सभी को होली में लगने वाले हार्मफुल कलर को लेकर चिंता सताने लगी है। इसी विषय को लेकर मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी गौशाला लाल टिपारा में एक नवाचार किया जा रहा है। जिसमें गाय के गोबर, फल-फूल और सब्जियों से रंगों को तैयार किया जा रहा है। इन रंगों को गौशाला में ही तैयार किया जा रहा है। इन रंगों को तैयार करने वालों की माने तो ये रंग पूरी तरह से केमिकल विहीन है। साथ ही इनके इस्तेमाल से त्वचा को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होगा।
नगर निगम ग्वालियर द्वारा संचालित आदर्श गौशाला लाल टिपारा में कृष्णयन गौसेवा समति के संत ऋषभदेव आनंद महाराज के मार्गदर्शन में हर्बल गुलाल तैयार किए जा रहे हैं। जिनमे किसी भी तरह का केमिकल इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। रंगों के त्योहार होली में इन हर्बल गुलाल को केमिकल कलर की जगह उपयोग किया जा सकता है। इनके कई फायदे हैं।
स्किन को नहीं होगा कोई नुकसान
गौशाला में इन रंगों को तैयार कर रही ममता सिंह ने बताया कि ये कलर पूरी तरह से हर्बल हैं। जिन्हे चुकंदर, पालक, नीम, गेंदे के फूल, गुलाब और खासतौर पर गाय के गोबर की भस्म को मिलाकर तैयार किया जाता है। जिसकी वजह से ये त्वचा को किसी भी प्रकार से नुकसान नहीं पहुंचता है। इसके साथ ही यदि यह आंखो या मुंह में भी चला जाता है। तो किसी भी प्रकार से इसके कोई साइड इफेक्ट नहीं होते हैं। यही वजह है। कि इनकी डिमांड तेजी से बड़ रही है।
गौशाला में तैयार हो रहे हर्बल रंगों को लेकर त्वचा विशेषज्ञ डॉ मंजरी गर्ग ने बताया कि होली रंगों का त्यौहार है। ऐसे में अपना और अपनों का ख़्याल रखते हुए इस तरह के हर्बल गुलाल जो की फल और फूलों आदि से तैयार होते हैं। उन्ही का प्रयोग करना चाहिए। ताकि आपकी स्किन को किसी तरह का नुकसान न पहुंचे। उन्होंने बताया कि होली में घर से निकलने ने पहले कोकोनट ऑयल जैसी किसी चीज का प्रयोग करें। ताकि आपके ऊपर गिरने या लगने वाला कलर आपकी त्वचा तक न पहुंचे।