‘भ्रम फैलाया गया…’, 2002 के गुजरात दंगों पर बोले PM मोदी, कहा- इससे पहले भी 250 से ज्यादा देंगे हुए

अहमदाबाद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन से बातचीत में गोधरा कांड को ‘अकल्पनीय त्रासदी’ बताया। यह घटना 27 फरवरी 2002 को गुजरात विधानसभा के बजट सत्र के दौरान हुई थी। इसमें 59 लोगों की जलकर मौत हो गई थी। पीएम मोदी ने गुजरात में 2002 से पहले हुए दंगों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि 2002 से पहले 250 से ज्यादा दंगे हुए थे। उन्होंने यह भी बताया कि गोधरा कांड के बाद कुछ लोगों ने हिंसा का रास्ता अपनाया। लेकिन न्यायपालिका ने मामले की जांच की और उन्हें निर्दोष पाया। मोदी ने कहा कि 2002 के बाद गुजरात में कोई बड़ा दंगा नहीं हुआ है।

गोधरा पर पीएम मोदी ने की खुलकर बात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को प्रसिद्ध पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन के साथ एक बातचीत में गोधरा ट्रेन हादसे पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि इससे पहले कि आप 2002 के दंगों के बारे में बात करें, मैं आपको स्थिति का उचित अंदाजा देने के लिए पिछले सालों की एक तस्वीर पेश करना चाहूंगा। जैसे 24 दिसंबर 1999 को काठमांडू से दिल्ली जाने वाले विमान को हाईजैक कर लिया गया और कंधार ले जाया गया। पूरे देश में तूफान खड़ा हो गया था क्योंकि लोगों की जिंदगी और मौत का सवाल था। साल 2000 में दिल्ली में लाल किले पर आतंकी हमला हुआ। इस घटना के बाद एक और तूफान जुड़ गया।

जब बने मुख्यमंत्री, तब कैसे थे हालात?
इसके बाद 11 सितंबर 2001 को अमेरिका के ट्विन टावर्स पर बहुत बड़ा आतंकी हमला हुआ। अक्टूबर 2001 में जम्मू-कश्मीर विधानसभा पर आतंकी हमला हुआ। 13 दिसंबर 2001 को भारतीय संसद पर आतंकी हमला हुआ। ये वैश्विक स्तर के आतंकवादी हमले थे, जिन्होंने वैश्विक अस्थिरता की चिंगारी सुलगाई। इन सबके बीच 7 अक्टूबर 2001 को मुझे गुजरात का मुख्यमंत्री बनना था। पीएम मोदी ने बताया कि उस समय गुजरात में बहुत बड़ा भूकंप आया था। हजारों लोग मारे गए थे।

बहुत बड़ा दंगा है, यह भ्रम फैलाया गया
उन्होंने कहा कि शपथ लेने के बाद मैं पहले ही दिन से इसके लिए काम में जुट गया। मैं एक ऐसा व्यक्ति हूं जिसका ‘सरकार’ नाम के साथ रिश्ता नहीं रहा था, सरकार क्या होती है मैं जानता नहीं था। मैं 24 फरवरी 2002 को पहली बार विधायक बना। मेरी सरकार 27 फरवरी 2002 को बजट पेश करने वाली थी और उसी दिन हमें गोधरा ट्रेन हादसे की सूचना मिली। यह बहुत गंभीर घटना थी। लोगों को जिंदा जला दिया गया था। आप कल्पना कर सकते हैं कि पिछली सभी घटनाओं के बाद स्थिति कैसी रही होगी। जो कहते थे कि यह बहुत बड़ा दंगा है, यह भ्रम फैलाया गया है।

गोधरा ट्रेन कांड के बाद कुछ लोग हिंसा की ओर बढ़े
पीएम मोदी ने कहा कि साल 2002 से पहले गुजरात में 250 से ज्यादा बड़े दंगे हुए थे। साल 1969 के दंगे करीब 6 महीने तक चले थे। यह धारणा कि ये अब तक के सबसे बड़े दंगे थे, गलत जानकारी है। अगर आप 2002 से पहले के आंकड़ों को देखें, तो आप पाएंगे कि गुजरात में अक्सर दंगे होते थे। कहीं न कहीं लगातार कर्फ्यू लगा रहता था। पतंगबाजी प्रतियोगिताओं या साइकिल की छोटी-मोटी टक्कर जैसी मामूली बातों पर भी सांप्रदायिक हिंसा भड़क जाती थी। प्रधानमंत्री ने स्वीकार किया कि गोधरा ट्रेन कांड के बाद कुछ लोग हिंसा की ओर बढ़े। उन्होंने कहा कि केंद्र में सत्ता में बैठे उनके विरोधियों ने उनकी सरकार पर आरोप लगाने की कोशिश की। हालांकि, न्यायपालिका ने स्थिति का विश्लेषण करने के बाद उन्हें निर्दोष पाया।

गृह राज्य पूरी तरह से शांतिपूर्ण
मोदी ने कहा कि उस समय हमारे राजनीतिक विरोधी सत्ता में थे और स्वाभाविक रूप से वे चाहते थे कि हमारे खिलाफ सभी आरोप साबित हों। उनके अथक प्रयासों के बावजूद न्यायपालिका ने दो बार स्थिति का बारीकी से विश्लेषण किया और अंततः हमें पूरी तरह से निर्दोष पाया। जो वास्तव में जिम्मेदार थे, उन्हें अदालतों से न्याय का सामना करना पड़ा है। प्रधानमंत्री ने 2002 के बाद गुजरात में कोई बड़ा दंगा न होने की सराहना की। उन्होंने कहा कि उनका गृह राज्य पूरी तरह से शांतिपूर्ण है क्योंकि उनकी सरकार का मंत्र सभी के विकास पर ध्यान केंद्रित करना है।

2002 के बाद 22 सालों में गुजरात में एक भी बड़ा दंगा नहीं
मोदी ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि गुजरात में जहां हर साल किसी न किसी तरह से दंगे होते थे, लेकिन 2002 के बाद 22 सालों में गुजरात में एक भी बड़ा दंगा नहीं हुआ है। गुजरात पूरी तरह से शांतिपूर्ण है। हमारा दृष्टिकोण हमेशा सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास रहा है। हम तुष्टिकरण की राजनीति से आकांक्षा की राजनीति की ओर बढ़े हैं। इस वजह से जो कोई भी योगदान देना चाहता है, वह स्वेच्छा से हमसे जुड़ता है। आज गुजरात एक विकसित भारत के निर्माण में भी सक्रिय रूप से योगदान दे रहा है।

क्या है गोधरा कांड?
27 फरवरी, 2002 को साबरमती एक्सप्रेस को भीड़ ने आग लगा दी थी। इसमें हिंदू कारसेवक सवार थे। इसके परिणामस्वरूप महिलाओं और बच्चों सहित 59 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद गुजरात राज्य में सांप्रदायिक दंगे हुए। इसमें सैकड़ों लोग मारे गए। 2011 में एक विशेष अदालत ने गोधरा ट्रेन जलाने की घटना के संबंध में 31 लोगों को दोषी ठहराया। इसके बाद 2014 में गुजरात हाईकोर्ट ने 11 लोगों की दोषसिद्धि को बरकरार रखा, जबकि 20 अन्य को बरी कर दिया। अंततः भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने गोधरा ट्रेन जलाने के संबंध में दोषियों की ओर से दायर अपीलों को खारिज करते हुए गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले को बरकरार रखा।

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