जनधन खातों में लेनदेन न होने से 35 हजार निष्क्रिय घोषित, भारतीय रिजर्व बैंक का ये नियम जानिए

बांदा

वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से खोले गए जनधन खातों में बड़ी संख्या में निष्क्रिय हो चुके हैं। जिले में करीब 35,000 से अधिक जनधन खाते लेनदेन न होने के कारण निष्क्रिय घोषित कर दिए गए हैं।वर्ष 2014 में केंद्र सरकार के निर्देश पर बैंकों ने व्यापक स्तर पर अभियान चलाकर जीरो बैलेंस पर 6,78,994 जनधन खाते खोले थे। इन खातों का उद्देश्य लाभार्थियों को सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ पहुंचाना था, लेकिन वर्तमान में हर 19वां खाता बिना किसी लेनदेन के निष्क्रिय हो गया है।

आरबीआई का नियम
बैंकों के आंकड़ों के अनुसार, आर्यावर्त बैंक ने 2,82,159 खाते खोले थे, जिनमें से 10,025 खाते निष्क्रिय हो चुके हैं। इसी तरह इंडियन बैंक में 1,99,522 खातों में से 14,878 खाते निष्क्रिय हो गए हैं। बैंक ऑफ बड़ौदा के 89,310 खातों में से 2,954, सेंट्रल बैंक के 13,123 खातों में से 308, पंजाब नेशनल बैंक के 15,873 खातों में से 2,585 और सेंट्रल बैंक के 15,873 खातों में से 1,532 खाते निष्क्रिय घोषित किए जा चुके हैं।

भारतीय रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों के अनुसार, यदि किसी बचत खाते में दो वर्षों तक कोई लेनदेन नहीं होता है, तो उसे निष्क्रिय घोषित कर दिया जाता है। हालांकि, जनधन खातों में न्यूनतम राशि की बाध्यता नहीं है, लेकिन खाते को सक्रिय रखने के लिए नियमित लेनदेन आवश्यक है।

खाता धारकों की दिक्कतें
खाते निष्क्रिय होने के पीछे कई कारण सामने आ रहे हैं। गृहिणी संगीता सिंह ने बताया कि बढ़ती महंगाई के चलते बचत कर पाना मुश्किल हो गया है, इसलिए बैंक में पैसा नहीं जमा कर पा रही हैं। कई अन्य महिला खाताधारकों का भी यही कहना है कि जब खाते खुले थे, तब सरकार द्वारा कुछ आर्थिक सहायता भेजी गई थी, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से कोई धनराशि नहीं आई, जिससे लेनदेन बंद हो गया।

बैंक कर रहे प्रेरित
जिला अग्रणी बैंक के प्रबंधक रवि शंकर ने बताया कि खाताधारकों को जागरूक किया जा रहा है कि वे नियमित लेनदेन करें, अन्यथा उनके खाते निष्क्रिय हो जाएंगे। बैंकों द्वारा खातों को सक्रिय रखने के लिए विभिन्न स्तरों पर प्रयास किए जा रहे हैं। अगर खाताधारक समय-समय पर अपने खातों में न्यूनतम लेनदेन जारी रखते हैं तो उन्हें निष्क्रिय होने से बचाया जा सकता है।

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