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दुर्लभ खनिजों पर चीनी प्रभुत्व जल्द होगा खत्म, वैज्ञानिकों की बड़ी भविष्यवाणी, अमेरिका की बल्ले-बल्ले

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बीजिंग

चीनी विज्ञान अकादमी (CAS) के शोधकर्ताओं का अनुमान है कि दुर्लभ पृथ्वी खनिजों में चीन की बादशाहत जल्द खत्म होने वाली है। वर्तमान में चीन पूरी दुनिया के 60 प्रतिशत से अधिक दुर्लभ पृथ्वी खनिजों का मालिकाना हक रखता है। इसके अलावा वह दुनियाभर के दुर्लभ पृथ्वी खनिजों का 90 प्रतिशत से अधिक प्रसंस्करण भी करता है। पिछले हफ्ते चीनी विज्ञान अकादमी की पीयर्ड रिव्यू मैगजीन चाइनीज रेयर अर्थ्स में प्रकाशित एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी कि नए स्रोतों के उभरने के कारण देश का अनुमानित 62 प्रतिशत कच्चा माल 2035 तक घटकर केवल 28 प्रतिशत रह सकता है। इससे अमेरिका को सबसे ज्यादा लाभ होगा।

2040 तक आधे से कम हो जाएगा उत्पादन
शोधकर्ताओं ने कंप्यूटर मॉडलिंग के जरिए भविष्यवाणी की है कि 2040 तक चीन के दुर्लभ पृथ्वी खनिजों में 23 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है। इससे चीन इस क्षेत्र में अपनी प्रमुख स्थिति को खो देगा। इसका प्रमुख कारण अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में दुर्लभ पृथ्वी खनिजों के विशाल भंडार का मिलना और उनके निष्कर्षण की तकनीक का सर्वव्यापी होना भी है। इन देशों में खनन सीमाओं के खुलने से संभावित रूप से उद्योग का स्वरूप बदल जाएगा।

इन खनिज क्षेत्रों से चीन को खतरा
शोधपत्र के अनुसार, दक्षिणी चीन में स्थित दुर्लभ पृथ्वी तत्वों के प्रमुख क्षेत्र को ग्रीनलैंड के क्वानेफजेल्ड और कई दक्षिण अमेरिकी परियोजनाओं से खतरा हो सकता है। अध्ययन का नेतृत्व पूर्वी चीन के जियांग्शी प्रांत के गंझोउ में सीएएस गंजियांग इनोवेशन अकादमी के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया था – जो महत्वपूर्ण धातुओं के दुनिया के सबसे बड़े उत्पादन केंद्रों में से एक है। यह एक राज्य समर्थित संस्थान द्वारा दुर्लभ मृदा आपूर्ति श्रृंखला पर चीन के नियंत्रण की नाजुकता की एक दुर्लभ और विस्तृत स्वीकारोक्ति है।

दुर्लभ मृदा तत्व क्यों महत्वपूर्ण
दुर्लभ मृदा तत्वों का स्मार्टफोन और इलेक्ट्रिक कारों जैसे हाई-टेक उत्पादों में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इस कारण चीन का दुर्लभ मृदा भंडार उसे हाई-टेक उद्योगों में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त देता है। यह बीजिंग के लिए भू-राजनीतिक तुरुप का इक्का भी है। शोधकर्ताओं ने लिखा, “वर्ष 2040 तक, चूंकि दुर्लभ पृथ्वी की वैश्विक मांग में वृद्धि जारी है, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया क्रमिक रूप से अतिरिक्त उच्च-संभावित दुर्लभ पृथ्वी भंडार विकसित करेंगे। यूरोप भी वैश्विक दुर्लभ पृथ्वी आपूर्ति श्रृंखलाओं में भाग लेना शुरू कर देगा।”

वैज्ञानिकों ने कैसे किया अध्ययन
उन्होंने लिखा, “यह विकास वैश्विक दुर्लभ पृथ्वी बाजार परिदृश्य में एक गहन परिवर्तन को चिह्नित करता है और विविध आपूर्ति स्रोतों की ओर तेजी से बढ़ते रुझान को रेखांकित करता है।” शोधकर्ताओं ने वर्ष 2025 और 2040 के बीच वैश्विक खनन निर्णयों और औद्योगिक मांग का अनुकरण करने के लिए अध्ययन में उन्नत “एजेंट-आधारित मॉडलिंग” का उपयोग किया।

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