राहुल गांधी का ‘MBC प्लान’ तैयार, ताकत मिलने पर लालू-तेजस्वी को आंख दिखाने की तैयारी

पटना

बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। करीब 25 साल तक आरजेडी और लालू प्रसाद यादव की छत्रछाया में रहने वाली राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस इस बार दमखम दिखाने में मूड में दिख रही है। ये भी कह सकते हैं कि कांग्रेस बिहार में पिछलग्गू का धब्बा मिटाने और अपने पैरों पर खड़े होने की कोशिश में है। इसके लिए लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कृष्णा अल्लावरु को राज्य प्रभारी बनाया है तो दलित नेता राजेश कुमार को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। इसके अलावा कन्हैया कुमार जैसे तेजतर्रार नेता को बिहार में यात्रा करने की जिम्मेदारी सौंपी है।

आरजेडी की छत्रछाया से बाहर आने को छटपटा रही कांग्रेस
बिहार की राजनीति को जानने समझने वाले यही कहते हैं कि पिछले 15-20 साल से बिहार में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ही कांग्रेस पार्टी को भी संचालित कर रहे हैं। हाल ही में बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए गए अखिलेश सिंह भी पूरी तरह से लालू प्रसाद यादव के शागीर्द माने जाते रहे हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी लालू और आरजेडी की बैसाखी बने रहने के धब्बे को धोने की कोशिश कर रही है।

कांग्रेस की मीटिंग में बिहार के नेताओं ने उड़ेला दर्द
सूत्र बताते हैं कि बिहार कांग्रेस की दिल्ली में हुई बैठक में पार्टी के बड़े नेताओं के सामने दर्द बयां की। इस मीटिंग में बिहार कांग्रेस के ज्यादातर नेताओं ने खुले तौर पर कहा कि RJD बिहार में कांग्रेस को तनिक पर सम्मान नहीं देती है। बताया जा रहा है कि यहां तक कहा गया कि आरजेडी के साथ रहने से धरातल पर पार्टी की छवि को भी लगातार बट्टा लग रहा है।

बताया जा रहा है कि बिहार नेताओं की शिकायत पर राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस को सम्मान से समझौता नहीं करना चाहिए। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि सम्मान कमाना पड़ता है। राहुल गांधी का मानना है कि अगर कांग्रेस अपनी जगह बनाती है, तो सहयोगी दल अपने आप सम्मान करने लगेंगे। वहीं मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि जो भी शिकायतें हैं उसको लेकर सहयोगी दलों से बात की जाएगी।

बिहार में ताकत के लिए कांग्रेस का MBC प्लान क्या?
कांग्रेस की मीटिंग में उन तमाम मुद्दों पर बात हुई जिससे पार्टी को मजबूती मिले। इस चर्चा के दौरान पार्टी के तमाम नेताओं के बीच एक आम सहमति बनी कि पार्टी को बिहार में MBC प्लान के तहत आगे बढ़ना चाहिए। यहां MBC का मतलब Most Backward Classe यानी अत्यंत पिछड़ी जातियों की राजनीति से है।

1990 के बाद से बिहार की राजनीति में ओबीसी का वर्चस्व रहा है, जो नीतीश कुमार के रूप में अब तक जारी है। कांग्रेस का मानना है कि बिहार में बिना ओबीसी को अपने पाले में किए हुए ताकत नहीं हासिल की जा सकती है। बिहार में पिछड़ा वर्ग की आबादी 27.13 फीसदी और अति पिछड़ा वर्ग संख्‍या 36.01 फीसदी है। पिछड़ी जातियों में सबसे ज्यादा मजबूत यादव करीब 14 फीसदी हैं, जिसपर करीब-करीब लालू यादव और उनके परिवार की पकड़ बरकरार रहती है।

वहीं करीब कोइरी और कुर्मी मिलाकर करीब 10 फीसदी आबादी है। इस बिरादरी के लोगों के बीच नीतीश कुमार लोकप्रिय हैं। ऐसे में बाकी बची जातियां अलग अलग दलों में बंटी हुई हैं। माना जा रहा है कि कांग्रेस MBC प्लान के तहत इन्हीं बची हुई अतिपिछड़ी जातियों के वोट बैंक के बड़े चंक को अपने पाले में करने की कोशिश करेगी।इसमें एक एंगल यह भी है कि नीतीश कुमार अपनी राजनीतिक पारी के अंतिम पड़ाव पर हैं। ऐसे में उनके वोटबैंक में कुछ हिस्सा कांग्रेस अपने साथ जोड़ने के प्रयास में है।

बैठक में हुई चर्चा में माना गया कि RJD अपने कोर वोटर मुस्लिम+यादव के अलावा दूसरी जातियों को तवज्जो देकर उन्हें अपने साथ जोड़ने के प्रयास में है। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव की तरह विधानसभा चुनाव टिकट बंटवारे में भी यह दिख सकता है।

आजरेडी की इसी चाल को भांपते हुए कांग्रेस ने एक दलित नेता राजेश कुमार को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। पार्टी चाहती है कि गैर-यादव OBC समुदाय जैसे मल्लाह, राजभर और नाई पर फोकस बढ़ाया जाना चाहिए। MBC प्लान के तहत कांग्रेस गैर-यादव OBC और दलितों को साथ लेकर अपनी सामाजिक पकड़ मजबूत करना चाहती है। बिहार की आबादी में गैर-यादव OBC और दलित लगभग 50 फीसदी है।

चिराग और प्रशांत को लेकर भी कांग्रेस ने किया गुणा भाग
कांग्रेस की मीटिंग में चिराग पासवान और प्रशांत किशोर को लेकर भी चर्चा हुई। इसमें माना गया कि चुनाव में अगर चिराग एनडीए में बने रहते हैं तो गठबंधन को इसका फायदा होना तय है। 2020 के चुनाव में चिराग ने जेडीयू के खिलाफ प्रत्याशी उतारकर उन्हें काफी डैमेज किया था।

दूसरी तरफ कांग्रेस ने प्रशांत किशोर के राजनीति में आने से वोटबैंक पर पड़ने वाले असर पर भी चर्चा की। मीटिंग में यह समझने की कोशिश की गई कि एक तरफ कांग्रेस अपने पैरों पर खड़े होने की कोशिश कर रही है, ऐसे में प्रशांत किशोर और चिराग पासवान किस तरह से बाधा बन सकते हैं।

मीटिंग के बाद बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरु ने जहां यह कह दिया कि आरजेडी के साथ गठबंधन बरकरार रहेगा, लेकिन मुख्यमंत्री के चेहरे पर गठबंधन की बैठक में तय किया जाएगा। दूसरी तरफ जब उनसे पूछा गया कि क्या कांग्रेस प्रशांत किशोर के साथ गठबंधन के बारे में सोच रही है इसपर उन्होंने इनकार नहीं किया, लेकिन यह जरूर कहा कि इसपर पार्टी और गठबंधन के तमाम नेताओं के साथ बैठक के बाद ही इस तरह के फैसले लिए जा सकते हैं।

कुल मिलाकर देखें तो एक बात तो साफ तौर से दिखती है बिहार में कांग्रेस आरजेडी के साथ गठबंधन में बने रहने के मूड में है, लेकिन ये भी तय है कि पार्टी अपनी खोई हुई ताकत हासिल करना चाहती है। ताकि वह किसी के साथ गठबंधन में ही भी रहे तो दमखम के साथ अपने अधिकार हासिल कर पाए।

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