दिल्ली में जिलाध्यक्षों की होने वाली मीटिंग से पहले टेंशन में स्टेट यूनिट, कांग्रेस के सामने आया ये सवाल

नई दिल्ली

कांग्रेस ने साल 2025 को अपने संगठन के सृजन को समर्पित किया है, जिसका मकसद संगठन को जमीन पर मजबूत करना है। इसी दिशा में पार्टी इन दिनों जिलाध्यक्षों की बैठक कर रही है। देशभर से सभी राज्यों के 700 जिलाध्यक्षों की बैठक होनी है। जो तीन चरण में चलेगी। इसकी पहली बैठक गत 27 मार्च को संपन्न हुआ, जहां 23 राज्यों व तीन केंद्र शासित प्रदेशों के लगभग 336 जिलाध्यक्ष शामिल हुए। इसकी अगली दो बैठकें 3 व 4 अप्रैल को दिल्ली में होंगी।

हरियाणा में 13 सालों से जिलाध्यक्षों की नियुक्ति नहीं हुई
लेकिन इस बीच कुछ राज्यों के सामने सवाल है कि इस बैठक के लिए किसे भेजा जाए, क्योंकि वहां जिलाध्यक्ष ही नहीं हैं। इनमें एक अहम नाम दिल्ली से सटे प्रदेश हरियाणा का है, जहां लगभग 13 सालों से जिलाध्यक्षों की नियुक्ति नहीं हुई है। हालांकि इस बीच देश में तीन आम और राज्य में तीन असेंबली चुनाव हो गए, कई प्रदेश कई प्रदेशाध्यक्ष व प्रभारी बदल गए, लेकिन कोई भी अपने यहां जिलाध्यक्षों की नियुक्ति नहीं करा पाया। इसकी एक बड़ी वजह मानी जाती है कि प्रदेश के वजनदार नेताओं का होना। इन नेताओं के आपसी मतभेद के चलते जिलाध्यक्षों की कभी सर्वमान्य सूची बन ही नहीं पाई। अब जिलाध्यक्षों की बैठक होनी है तो किसे भेजा जाए, इसे लेकर माथापच्ची हो रही है।

प्रदेश के प्रभारी इसी कवायद में जुटे
सूत्रों के मुताबिक, प्रभारी सहित जिम्मेदार लोग इस कवायद में जुटे हुए हैं। इसे लेकर फिलहाल दो संभावनाएं दिख रही हैं। पहला, अगली बैठक से पहले जिलाध्यक्षों की सूची निकाल दी जाए, दूसरा प्रदेश में पिछले दिनों हुए स्थानीय निकाय चुनाव के मद्देनजर पार्टी ने हरियाणा में जिला कन्वीनर व जिला प्रभारी बनाए थे। उनमें से जिला कन्वीनर को बतौर जिलाध्यक्ष भेज दिया जाए। इस संभावना के पीछे एक तर्क दिया जा रहा है कि प्रदेश के प्रभारी बी के हरिप्रसाद ने गत 11 व 12 मार्च को चंडीगढ़ में सभी जिला कन्वीनरों की मीटिंग ली थी। जहां इन्हें संकेत दिया गया था कि जब तक जिलाध्यक्षों की नियुक्ति नहीं होती, इन्हीं लोगों को अपने-अपने जिले में पार्टी का काम व गतिविधियां देखनी हैं।

प्रदेश अध्यक्ष व अन्य नेताओं के साथ मिलकर कई बैठकें
सूत्रों के मुताबिक, हरि प्रसाद ने पिछले दिनों प्रदेश अध्यक्ष व अन्य नेताओं के साथ मिलकर कई बैठकें कीं। माना जा रहा है कि यह कवायद प्रदेश इकाई की तस्वीर साफ होने को लेकर है। इनके आधार पर जिलाध्यक्ष तय होने की बात भी कही जा रही है। वहीं दूसरा राज्य है ओड़िशा, जहां प्रदेश असेंबली व आम चुनावों के बाद पूरी प्रदेश इकाई भंग की दी गई थी। वहां कुछ समय पहले पार्टी ने भक्त चरणदास को प्रदेश की कमान सौंपी है। कुछ समय पहले एनबीटी से बातचीत में दास ने कहा था कि अगले तीन महीने में प्रदेश की इकाई की तस्वीर साफ हो जाएगी। हालांकि उनके यहां भी जिलाध्यक्ष नहीं हैं। जब प्रदेश के एक अहम रणनीतिकार से पूछा गया कि आपके यहां से किसे भेजा जाएगा तो उनका जवाब था कि अभी तो हम राज्य में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार व अपराध को लेकर जमीन पर उतरे हैं। इसके लिए पार्टी क्या फैसला करती है, अभी साफ नहीं है।

सीएलपी व प्रदेश इकाई की तस्वीर भी साफ होना बाकी
जिलाध्यक्षों की बैठक के बाद कांग्रेस का दो दिन का राष्ट्रीय अधिवेशन गुजरात के अहमदाबाद में होना है। इसमें एक दिन विस्तारित कांग्रेस वर्किंग कमिटि की बैठक होनी है, जिसके लिए सीडब्ल्यूसी मेंबर्स के अलावा सभी राज्यों के सीएलपी व प्रदेश अध्यक्ष भी शामिल होंगे। कुछ जगह सीएलपी नहीं है। इकाई की तस्वीर भी साफ होना बाकी है। हरियाणा में चुनाव हुए कई महीने बीत चुके है, लेकिन विधायक दल का नेता नहीं चुना गया है। जबकि वहां बजट सत्र भी निकल गया, लेकिन पार्टी ने सीएलपी नहीं दिया। सीएलपी को लेकर पेंच फंसा है। पूर्व सीएम बी एस हुड्डा सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं, लेकिन गुटबाजी के चलते मामला अटका है। कहा जा रहा है कि इसी वजह से वहां जिलाध्यक्ष पर भी फैसला नहीं हो पा रहा।

इसके अलावा, वहां सीएलपी व प्रदेश अध्यक्ष पर फैसला होना है। अधिवेशन में बतौर सीएलपी कौन जाएगा, देखना अहम होगा। दरअसल, बेलगांवी के आयोजन में हरियाणा, त्रिपुरा व अरुणाचल प्रदेश में सीएलपी नहीं तय हुए। तो कहा गया कि अरुणाचल प्रदेश में एक विधायक है तो उसे बुलाया जाए। वहीं त्रिपुरा में तीन विधायकों में से एक को बुलाया गया, जबकि हरियाणा में पूर्व सीएम के तौर पर हुड्डा को बुलाया गया। देखना होगा कि अहमदाबाद में पार्टी क्या विकल्प चुनती है।

About bheldn

Check Also

भीषण गर्मी झेलने के लिए रहें तैयार, अप्रैल से जून तक हीटवेव को लेकर IMD ने दी चेतावनी

नई दिल्ली, भारत में इस साल अप्रैल से जून के बीच सामान्य से अधिक गर्मी …