शीत युद्ध के बंकरों को एक्टिवेट क्यों कर रहा यह देश, क्या दुनिया पर मंडरा रहा नए युद्ध का खतरा?

ओस्लो

शीत युद्ध के दौरान लगभग पूरे यूरोप में बड़े पैमाने पर बंकरों का निर्माण किया गया था। इनमें से कुछ बंकरों को नाजी जर्मनी और उसके समर्थक देशों ने बनाया था, जबकि बाकी को विरोधी मित्र राष्ट्रों ने। हालांकि, अब इन्हीं मित्र राष्ट्रों में से एक शीत युद्ध के समय के बंकरों को फिर से एक्टिवेट कर रहा है। इन बंकरों की सफाई की जा रही है। ऐसे में अंदेशा जताया जा रहा है कि क्या यूरोप फिर से किसी नए युद्ध में फंसने वाला है।

नॉर्वे में सैकड़ों बंकर मौजूद
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, शीत युद्ध के दौरान यूएसएसआर के साथ नॉर्वे की निकटता ने कई सैन्य बंकरों का निर्माण किया। उनमें से कुछ विमानों और जहाजों के लिए विशाल गुप्त ठिकाने थे। अब रूस के साथ तनाव ने बंकरों को फिर से सुर्खियों में ला दिया है। हर साल सैकड़ों हजारों की संख्या में पर्यटक उत्तरी नॉर्वे आते हैं। लेकिन ले यहां की इस गुप्त दुनिया को कभी नहीं देख पाते। क्योंकि यहां की पहाड़ी गुफाओं में जेट फाइटर और परमाणु पनडुब्बियां छिपी हुई हैं।

बंकरों वाला देश है नॉर्वे
नॉर्वे कई बंकरों वाला देश है। शीत युद्ध के चरम पर, कम आबादी वाले, पहाड़ी देश में लगभग 3,000 अंडरग्राउंड फैसिलिटीज थीं जहां इसकी सेना और सहयोगी देशों के सैनिक छिप सकते थे और किसी भी आक्रमणकारी पर भारी पड़ सकते थे। अब जब यूरोपीय युद्ध पूर्वी यूक्रेन को अपनी गिरफ्त में ले रहा है, नॉर्वे शीत युद्ध के अपने दो सबसे प्रतिष्ठित भूमिगत ढांचों को फिर से सक्रिय कर रहा है।

बार्डुफॉस एयर स्टेशन को मजबूत कर रहा नॉर्वे
आर्कटिक सर्कल के उत्तर में रूस के साथ नॉर्वे की सीमा के करीब, बार्डुफॉस एयर स्टेशन के हैंगर और ओलाव्सवर्न में नौसेना बेस अपनी खुरदरी चट्टानी दीवारों, चमचमाती कंक्रीट और सैन्य उपकरणों के साथ ऐसा महसूस कराते हैं जैसे वे किसी जासूसी फिल्म में हों। पहाड़ की ढलान पर बना, लगभग 900 फीट (275 मीटर) की कठोर गैब्रो चट्टान से सुरक्षित, ओलास्वर्न बेस विशेष रूप से अपनी 3,000 फीट लंबी (909 मीटर) निकास सुरंग के साथ बहुत आकर्षक है, जिसमें विशाल द्वार है।

नॉर्वे को किस देश से खतरा
नॉर्वे को डर है कि रूस कभी भी यूरोप पर आक्रमण कर सकता है। चूंकि नॉर्वे शुरू से आर्कटिक में बेस के लिए सबसे महत्वपूर्ण देश रहा है। ऐसे में इस देश के इलाकों पर कब्जे से रूस की आर्कटिक में उपस्थिति मजबूत हो सकती है। दूसरा, नॉर्वे अमेरिका का करीबी सहयोगी देश है। ऐसे में नॉर्वे पर आक्रमण कर रूस अमेरिका के दूसरे सहयोगी देशों को सीधी चेतावनी दे सकता है। ऐसी आशंका के कारण नॉर्वे अपनी सुरक्षा को मजबूत कर रहा है। हालांकि, रूस ने बार-बार कहा है कि उसका ऐसा करने का कोई इरादा नहीं है।

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